PM e-Drive Scheme
संदर्भ:
हाल में जारी आंकड़ों के अनुसार 23 नवंबर 2025 तक पीएम ई-ड्राइव योजना के तहत केंद्र सरकार द्वारा कुल 1634.62 करोड़ रुपये की सब्सिडी वितरित की जा चुकी है। सरकार ने इस योजना को 31 मार्च 2028 तक बढ़ा दिया है, जबकि ई-2W और ई-3W श्रेणियों के लिए समयसीमा 31 मार्च 2026 तय है।
पीएम ई-ड्राइव क्या है?
पीएम ई-ड्राइव योजना केंद्र सरकार की एक प्रमुख इलेक्ट्रिक मोबिलिटी प्रोत्साहन योजना है, जिसका उद्देश्य उपभोक्ताओं को प्रत्यक्ष सहायता, सार्वजनिक परिवहन का विद्युतीकरण, और देशभर में EV Charging Infrastructure विकसित करना है। यह योजना FAME-II के बाद इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को अगले चरण तक ले जाने वाली पहल है। यह केवल वाहन सब्सिडी तक सीमित नहीं है, बल्कि ई-बसें, ई-एंबुलेंस, चार्जिंग नेटवर्क, और EV सार्वजनिक उपयोग तक विस्तृत है, जिससे भारत में एक एकीकृत EV इकोसिस्टम तैयार हो सके।
पीएम ई-ड्राइव योजना का उद्देश्य:
- स्वच्छ और स्थायी गतिशीलता को बढ़ावा देना: योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को घटाना और शहरी क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता सुधारना है।
- बड़े पैमाने पर EV अपनाने को प्रोत्साहित करना: उपभोक्ता सब्सिडी व सार्वजनिक परिवहन विद्युतीकरण के माध्यम से इलेक्ट्रिक वाहनों को लागत-प्रतिस्पर्धी बनाना।
- ईवी चार्जिंग अवसंरचना का विस्तार: देशभर में विश्वसनीय और व्यापक EVPC Infrastructure तैयार करना ताकि उपयोगकर्ताओं को वास्तविक पहुंच मिले।
- स्वास्थ्य सेवाओं का आधुनिकीकरण: पहली बार ई-एंबुलेंस के लिए 500 करोड़ रुपये का आवंटन कर आपातकालीन सेवाओं में EV तकनीक का समावेश किया गया है।
पीएम ई-ड्राइव योजना के मुख्य बिंदु:
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- घटक: पीएम ई-ड्राइव योजना तीन प्रमुख घटकों पर आधारित है: मांग प्रोत्साहन, जो ग्राहकों को सब्सिडी देता है; अनुदान, जो चार्जिंग स्टेशनों और ई-बसों जैसे पूंजीगत संपत्तियों के लिए है; और सूचना, शिक्षा और संचार (IEC) गतिविधियां।
- पात्रता: योजना में केवल उन्नत बैटरी (Advanced Chemistry Cell) वाले इलेक्ट्रिक वाहन ही प्रोत्साहन के लिए पात्र हैं। सभी वाहन केंद्रीय मोटर वाहन नियम (CMVR), 1989 के तहत पंजीकृत हों। विशेष रूप से ई-दोपहिया (e-2W) और ई-तिपहिया (e-3W) के लिए अनिवार्य है कि वाहन योजना की वैधता अवधि अक्तूबर 2024 से मार्च 2026 के भीतर निर्मित और पंजीकृत किए जाएँ।
- लाभार्थी: योजना के लाभार्थियों में उन्नत बैटरी वाले निजी और वाणिज्यिक ई-टू-व्हीलर और थ्री-व्हीलर, स्वास्थ्य सेवाओं के लिए ई-एम्बुलेंस, तथा स्क्रैपिंग प्रमाण-पत्र वाले ई-ट्रक शामिल हैं। इसके साथ ही सार्वजनिक परिवहन हेतु इलेक्ट्रिक बसें भी योजना की लक्षित श्रेणी में आती हैं।
- शर्ते: वाहन की कीमत सरकार द्वारा निर्धारित पात्र मूल्य सीमा से कम होनी चाहिए, अन्यथा वह प्रोत्साहन के लिए योग्य नहीं माना जाएगा। वाहन में उपयोग की गई बैटरी उन्नत तकनीक वाली हो और सुरक्षा मानकों के अनुरूप हो।
पीएम ई-ड्राइव योजना का महत्व:
- ऊर्जा सुरक्षा और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता में कमी: EV अपनाने से भारत का आयातित पेट्रोल-डीजल पर दबाव कम होगा और ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में ठोस कदम बढ़ेगा।
- वायु प्रदूषण में कमी और स्वास्थ्य लाभ: ई-बसें और ई-एंबुलेंस शहरी वायु गुणवत्ता सुधारने में सीधा योगदान देंगी, जिससे नागरिकों के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
- EV उद्योग और रोजगार सृजन को बढ़ावा: योजना बैटरी-निर्माण, चार्जिंग अवसंरचना, सर्विस नेटवर्क और विनिर्माण क्षेत्र में नए अवसर बनाती है।
- डिजिटल और हरित भविष्य: चूंकि योजना डेटा-आधारित निगरानी प्रणाली पर आधारित है, यह भारत को ग्रीन + टेक्नोलॉजी-ड्रिवेन ट्रांसपोर्ट सिस्टम की ओर ले जाती है।
- तीव्र विद्युतीकरण: मुंबई, दिल्ली और पुणे को बड़ी संख्या में ई-बसों का आवंटन सार्वजनिक परिवहन में EV अपनाने का महत्वपूर्ण संकेत है।
- उद्योग–सरकार साझेदारी को बढ़ावा: OMCs द्वारा प्रस्ताव प्रस्तुत करना दर्शाता है कि निजी क्षेत्र और सार्वजनिक क्षेत्र दोनों EV निवेश में रुचि दिखा रहे हैं।

