Political structure of France and appointment of Prime Minister
संदर्भ:
सेबास्टियन लेकोर्नू, जिन्हें राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने दो वर्षों में फ्रांस के पाँचवें प्रधानमंत्री के रूप में चुना है, ने बुधवार को पदभार ग्रहण किया। यह कदम ऐसे दिन उठाया गया जब देशभर में फैले विरोध प्रदर्शनों ने फ्रांस की गहरी राजनीतिक संकट को उजागर कर दिया।
फ्रांस का राजनीतिक ढांचा और प्रधानमंत्री की नियुक्ति:
पृष्ठभूमि (Background)
- 1958 का फ्रांसीसी संविधान: फ्रांस वर्तमान में पाँचवें गणराज्य के संविधान के अंतर्गत संचालित होता है, जिसे 1958 में लागू किया गया था।
- यह एक अर्ध–राष्ट्रपति प्रणाली (Semi-Presidential System) स्थापित करता है, जिसमें शक्ति सीधे चुने गए राष्ट्रपति और राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त प्रधानमंत्री के बीच बँटी होती है।
फ्रांसीसी संसद (French Parliament):
फ्रांस की संसद द्विसदनीय (Bicameral) है:
- नेशनल असेंबली (Assemblée Nationale):
- यह निचला सदन है, जिसे सीधे जनता द्वारा दो–चरणीय चुनाव प्रणाली के माध्यम से पाँच वर्षों के लिए चुना जाता है।
- इसे कानून बनाने की मुख्य शक्ति प्राप्त है।
- यह अविश्वास प्रस्ताव पारित करके सरकार को गिरा सकती है।
- सीनेट (Sénat): यह उच्च सदन है, जिसके सदस्य स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं।
- इसका काम कानूनों की समीक्षा करना है, लेकिन यह सरकार को नियंत्रित नहीं करता।
प्रधानमंत्री की नियुक्ति की प्रक्रिया:
- राष्ट्रपति की नियुक्ति शक्ति (Article 8): फ्रांस का राष्ट्रपति प्रधानमंत्री नियुक्त करता है।
- नेशनल असेंबली का समर्थन:
- प्रधानमंत्री को नेशनल असेंबली का विश्वास प्राप्त होना चाहिए।
- अगर राष्ट्रपति की पार्टी के पास बहुमत है, तो आमतौर पर उसी पार्टी से प्रधानमंत्री नियुक्त होता है।
- यदि विपक्ष के पास बहुमत है, तो राष्ट्रपति को विपक्ष के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त करना पड़ता है। इस स्थिति को सह–अस्तित्व कहा जाता है।
अविश्वास प्रस्ताव (Article 49): नेशनल असेंबली यदि प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित करती है, तो प्रधानमंत्री को इस्तीफ़ा देना पड़ता है।
कार्यकाल (Tenure)
- प्रधानमंत्री का कोई निश्चित कार्यकाल नहीं होता।
- वह तभी तक पद पर रहता है जब तक उसे राष्ट्रपति का समर्थन और नेशनल असेंबली का विश्वास प्राप्त है।
फ्रांस कर्ज़ संकट में क्यों है?
- लगातार अधिक खर्च:
- दशकों से फ्रांस की सरकार ने अपनी आय से ज़्यादा पैसा खर्च किया है।
- इस कमी को पूरा करने के लिए सरकार को लगातार उधार लेना पड़ा।
- सार्वजनिक कर्ज़ का बढ़ना:
- 2025 की शुरुआत में फ्रांस का सार्वजनिक कर्ज़ €3,345 अरब था, जो देश की GDP का 114% है।
- यह यूरोज़ोन में ग्रीस और इटली के बाद तीसरे स्थान पर है।
- औसतन हर फ्रांसीसी नागरिक पर लगभग €50,000 (लगभग 45 लाख रुपये) का कर्ज़ बैठता है।
- बजट घाटा:
- 2024 में बजट घाटा GDP का 8% था।
- 2025 में यह आंकड़ा भी लगभग 4% रहने का अनुमान है।
- बूढ़ी होती आबादी (Ageing Population):
- कामकाजी लोगों की संख्या घट रही है।
- पेंशन लेने वालों की संख्या बढ़ रही है।
- इससे सरकार पर पेंशन और स्वास्थ्य खर्च का भारी बोझ पड़ रहा है।