Port Economy
संदर्भ:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जैसे-जैसे भारत विकास की नई ऊंचाइयों को छू रहा है, तटीय राज्य और बंदरगाह शहर देश की प्रगति में अहम भूमिका निभाएंगे। यह बयान उन्होंने केरल की राजधानी में ₹8,800 करोड़ की लागत वाले विजिंजम अंतरराष्ट्रीय गहरे पानी के बहु-उद्देश्यीय बंदरगाह के शुभारंभ के अवसर पर दिया।
पोर्ट अर्थव्यवस्था:
- परिभाषा: पोर्ट अर्थव्यवस्था उन आर्थिक गतिविधियों और मूल्य को संदर्भित करती है जो बंदरगाहों के संचालन और विकास के माध्यम से उत्पन्न होती हैं। बंदरगाह वैश्विक व्यापार, रसद नेटवर्क, निर्यात-आयात संचालन और शिपबिल्डिंग तथा मरम्मत के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।
भारत की पोर्ट अर्थव्यवस्था का इतिहास:
- प्राचीन बंदरगाह: लोथल (गुजरात), मुजिरिस (केरल) और अरिकामेडु (तमिलनाडु) जैसे बंदरगाह इंडो-रोमन, इंडो-ग्रीक और दक्षिण-पूर्व एशियाई व्यापार के प्रमुख केंद्र थे।
- मध्यकालीन काल: सूरत, कालीकट और मसुलीपट्टनम जैसे बंदरगाह अरब, फारस, चीनी और यूरोपीय देशों के साथ व्यापार के प्रमुख केंद्र बन गए।
- औपनिवेशिक काल: औपनिवेशिक शासन के दौरान, बंदरगाहों का ध्यान संसाधन निष्कर्षण की ओर था, न कि राष्ट्रीय विकास की ओर।
भारत में पोर्ट विकास की स्थिति:
- तटरेखा: भारत की लंबी तटरेखा पर 13 मुख्य बंदरगाह और 200 से अधिक गैर-मुख्य बंदरगाह हैं, जो भारत के कुल विदेशी व्यापार का 95% मात्रा और 70% मूल्य संभालते हैं।
- वैश्विक रैंकिंग: भारत 2024–25 में वैश्विक शिपबिल्डिंग में शीर्ष 20 देशों में शामिल है।
- शीर्ष बंदरगाह: जवाहरलाल नेहरू पोर्ट अथॉरिटी (JNPA) और मुंद्रा पोर्ट वैश्विक स्तर पर शीर्ष 30 बंदरगाहों में शामिल हैं।
- लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन: वर्ल्ड बैंक के लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स (LPI) 2023 के अनुसार, भारत वैश्विक शिपमेंट श्रेणी में 22वें स्थान पर और समग्र LPI स्कोर में 38वें स्थान पर पहुंच गया है।
- विजिनजम बंदरगाह: भारत का पहला समर्पित ट्रांसशिपमेंट पोर्ट, जिसका उद्देश्य विदेशों पर निर्भरता को कम करना है (वर्तमान में भारत का 75% ट्रांसशिपमेंट विदेशों में होता है)।