Poson Poya
संदर्भ:
श्रीलंका में पोसन पोया पर्व मनाया जा रहा है, जो 2,000 से अधिक वर्षों पूर्व बौद्ध धर्म के आगमन की स्मृति में आयोजित होता है।
(Poson Poya) पोसन पोया दिवस:
पोसन पोया श्रीलंका का एक प्रमुख बौद्ध पर्व है, जो देश में बौद्ध धर्म के आगमन की 2000 वर्ष पुरानी ऐतिहासिक घटना को स्मरण करता है। यह पर्व हर वर्ष जून माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है और वेसाक के बाद श्रीलंका का दूसरा सबसे बड़ा बौद्ध उत्सव माना जाता है।
ऐतिहासिक महत्त्व:
- यह दिन उस ऐतिहासिक क्षण का प्रतीक है जब सम्राट अशोक के पुत्र आरहत महिंदा ने राजा देवानम्पिय तिस्स को बौद्ध धर्म में दीक्षित किया।
- यह घटना श्रीलंका में बौद्ध धर्म के प्रचार की शुरुआत मानी जाती है।
प्रमुख आयोजन स्थल:
- मिहिंतले की पहाड़ी और अनुराधापुर का प्राचीन बौद्ध विहार परिसर, इस उत्सव के मुख्य केंद्र होते हैं जहाँ हजारों श्रद्धालु एकत्र होते हैं।
- श्रद्धालु श्वेत वस्त्र धारण कर मिहिंतले की सीढ़ियाँ चढ़ते हैं और उसी शिला शिखर पर ध्यान लगाते हैं, जहाँ आरहत महिंदा ने उपदेश दिए थे।
उत्सव की विशेषताएँ:
- धार्मिक अनुष्ठान, बोधि पूजन, सिल अभियान, और दानशालाएँ (Dansalas)—जहाँ श्रद्धालुओं को निःशुल्क भोजन एवं पेय वितरित किए जाते हैं।
- पूरे द्वीप में सड़कें, घर, मंदिर एवं सार्वजनिक स्थल खूबसूरती से कागज़ी लालटनों और पंडालों से सजाए जाते हैं, जिन पर भगवान बुद्ध के जीवन प्रसंग दर्शाए जाते हैं।
- यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक गर्व का भी प्रतीक बन गया है।