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Entod Pharmaceuticals के PresVu Eye Drop को मिली मंजूरी

Mains GS II –  विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां, केंद्र और राज्यों द्वारा आबादी के कमजोर वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं, स्वास्थ्य।

चर्चा में क्यों?

प्रेसवू आई ड्रॉप, जिसे भारत में प्रेसबायोपिया के इलाज के लिए मंजूरी दी गई है। यह दवा चश्मे पर निर्भरता कम करने में क्रांतिकारी साबित हो सकती है, जिसे लेकर काफी चर्चा हो रही है। यह आई ड्रॉप प्रेसबायोपिया का बिना किसी ऑपरेशन के समाधान प्रस्तुत करती है। इन कारणों से यह उत्पाद नेत्र उपचार में एक महत्वपूर्ण और बहुप्रतीक्षित नवाचार के रूप में देखा जा रहा है।

PresVu Eye Drop क्या है?

PresVu Eye Drop एक प्रिस्क्रिप्शन आधारित आई ड्रॉप है, जिसे खासतौर पर प्रेसबायोपिया से प्रभावित लोगों के लिए विकसित किया गया है। 

  • इसका मुख्य उद्देश्य पढ़ने के चश्मे पर निर्भरता को कम करना है। प्रेसबायोपिया एक सामान्य उम्र से संबंधित समस्या है, जो आंखों से संबंधित है।
  • PresVu Eye Drop को मुंबई स्थित एन्टोड फार्मास्यूटिकल्स द्वारा विकसित किया गया है।
  • इसे विकसित करने में नेत्र विज्ञान में नवीनतम तकनीकों और अनुसंधान का उपयोग किया गया है। यह आई ड्रॉप आंखों की लेंस और मांसपेशियों की फोकसिंग क्षमता को सुधारने में मदद करता है।
  • PresVu Eye Drop को भारत में ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) से मंजूरी मिली है। यह संस्था भारत में दवाओं और चिकित्सा उपकरणों के उत्पादन, उपयोग और विपणन के लिए नियामक प्राधिकरण है।
  • DCGI के अंतर्गत आने वाली केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की विषय विशेषज्ञ समिति (SEC) ने इस दवा की जांच और परीक्षण के बाद इसे मंजूरी दी है, जिससे यह भारतीय बाजार में पेश की जा सकेगी।

PresVu Eye Drop का मुख्य घटक:

PresVu Eye Drop का मुख्य सक्रिय घटक पिलोकार्पिन (Pilocarpine) है, जो आँखों की पुतली के आकार को नियंत्रित करता है।

ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI)

●   ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) भारत में दवाओं और चिकित्सा उपकरणों के उत्पादन, वितरण, और बिक्री को नियंत्रित करने वाली प्रमुख नियामक संस्था है।

●   यह संस्था स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन काम करती है।

●    इसका मुख्य उद्देश्य देश में दवाओं की गुणवत्ता, सुरक्षा, और प्रभावकारिता को सुनिश्चित करना है।

●   DCGI नए दवाओं, टीकों, और चिकित्सा उपकरणों को भारतीय बाजार में पेश करने से पहले उनकी गुणवत्ता और सुरक्षा की जाँच करके उन्हें मंजूरी देता है।

●   यह संस्था भारत में किए जाने वाले क्लिनिकल ट्रायल्स की निगरानी और मंजूरी देती है।

●   यह भारतीय फार्मास्युटिकल उद्योग पर नज़र रखता है।

पिलोकार्पिन (Pilocarpine)

●   पिलोकार्पिन एक प्राकृतिक रूप से प्राप्त एल्कलॉइड है, जो विभिन्न नेत्र रोगों के उपचार में उपयोग किया जाता है।

●   यह प्रमुख रूप से ग्लूकोमा और प्रेसबायोपिया जैसे नेत्र विकारों के इलाज में मदद करता है।

●   पिलोकार्पिन का रासायनिक सूत्र है:  C₁₁H₁₆N₂O₂

●   यह एक कार्बनिक यौगिक है जिसमें कार्बन (C), हाइड्रोजन (H), नाइट्रोजन (N), और ऑक्सीजन (O) परमाणु होते हैं। 

PresVu Eye Drop कैसे काम करती है?

  • PresVu का सक्रिय घटक पिलोकार्पिन आईरिस की मांसपेशियों को सिकोड़कर काम करता है, जिससे पुतली का आकार नियंत्रित होता है।
  • इस प्रक्रिया से आँखों की फोकसिंग क्षमता बढ़ जाती है, जिससे व्यक्ति पास की वस्तुओं को साफ और स्पष्ट रूप से देख सकता है।
  • इसके अलावा, दवा की गतिशील बफर तकनीक सुनिश्चित करती है कि आँसू के साथ मिलकर दवा का असर लगातार बना रहे, जिससे प्रेसबायोपिया से पीड़ित व्यक्ति को चार से छह घंटे तक पढ़ने के चश्मे की ज़रूरत नहीं होती।

PresVu Eye Drop के फायदे

  • प्रेसबायोपिया के लिए सर्जरी की आवश्यकता को टालने का यह एक गैर-इनवेसिव विकल्प है।
  • यह आई ड्रॉप्स उपयोग करने में सरल है और इसका असर तुरंत महसूस होता है, जो चार से छह घंटे तक रहता है, जिससे व्यक्ति को अस्थायी राहत मिलती है।
  • यह दवा पढ़ने के चश्मे पर निर्भरता को कम करने में मदद करती है।

प्रेसबायोपिया क्या है?

प्रेसबायोपिया एक ऐसी दृष्टि समस्या है, जिसमें व्यक्ति को पास की वस्तुओं को देखने में कठिनाई होती है। इसे आमतौर पर उम्र बढ़ने के साथ अनुभव किया जाता है और यह एक सामान्य उम्र से संबंधित बदलाव है। यह आमतौर पर 40 वर्ष की उम्र के बाद होता है और चश्मे या संपर्क लेंस से ठीक किया जा सकता है।

यह समस्या तब होती है जब आंखों का लेंस (जो कि एक पारदर्शी संरचना है जो आंख के भीतर चित्र बनाने में मदद करता है) उम्र के साथ कठोर और कम लचीला हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप लेंस अपनी फोकसिंग क्षमता खो देता है, जिससे पास की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देखना मुश्किल हो जाता है।\

प्रेसबायोपिया के लक्षण

  • व्यक्ति को किताबें, अखबार, या मोबाइल स्क्रीन जैसे पास की वस्तुओं को पढ़ने में कठिनाई होती है। पढ़ते समय शब्द धुंधले या अस्पष्ट लगते हैं।
  • पास की वस्तुओं को देखने में कठिनाई के साथ-साथ, व्यक्ति को किसी वस्तु को देखने के लिए अक्सर आंखों को ज्यादा झपकाना या इसे दूर करना पड़ता है।
  • लंबे समय तक पास की चीजें देखने के दौरान आंखों में थकावट या तनाव महसूस होती है।
  • पास की चीजों को देखने के दौरान आँखों को संतुलित रखने में समस्या होती है।
  • प्रेसबायोपिया के कारण, व्यक्ति की दृष्टि की तीक्ष्णता पास की वस्तुओं पर कम होती है।

प्रेसबायोपिया का वर्तमान में इलाज कैसे किया जाता है?

  • प्रेसबायोपिया के इलाज के लिए सबसे आम और सरल तरीका है पढ़ने का चश्मा। ये चश्मे विशेष रूप से पास की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देखने में मदद करते हैं।
  • प्रेसबायोपिया के लिए विशेष संपर्क लेंस, जैसे मल्टीफोकल या बाइफोकल लेंस, उपयोग किए जाते हैं। ये लेंस आंखों के विभिन्न क्षेत्रों पर अलग-अलग फोकस प्रदान करते हैं।
  • लेजर सर्जरी, जैसे कि प्रेसबायोपिया लेज़र उपचार (PresbyLASIK) या फोटोरेफ्रैक्टिव केराटेक्टॉमी (PRK), दृष्टि को सुधारने के लिए लेजर का उपयोग करती है। यह सर्जरी लेंस के फोकसिंग क्षमता को बेहतर बनाती है।
  • मल्टीफोकल इंप्लांट (Multifocal Implants) को आमतौर पर प्रोस्थेटिक लेंस के रूप में उपयोग किया जाता है और इन्हें मोतियाबिंद सर्जरी के दौरान डाला जाता है।

भारत में दवा निर्माण और मंजूरी की सम्पूर्ण प्रक्रिया

  • भारत में किसी दवा को निर्माण और मंजूरी की पूरी प्रक्रिया ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) द्वारा नियंत्रित की जाती है।
  • पहले, दवा निर्माता को दवा की सुरक्षा, प्रभावकारिता, और गुणवत्ता की पुष्टि के लिए एक विस्तृत आवेदन प्रस्तुत करना होता है, जिसमें प्री-क्लिनिकल और क्लिनिकल ट्रायल डेटा शामिल होते हैं।
  • इसके बाद, दवा को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) द्वारा समीक्षा के लिए प्रस्तुत किया जाता है।
  • CDSCO की विषय विशेषज्ञ समिति (SEC) दवा की जाँच करती है और अगर सब कुछ मानकों के अनुरूप होता है, तो DCGI दवा को बाजार में लॉन्च करने की मंजूरी प्रदान करता है।
  • इसके बाद, दवा के निर्माण और वितरण के लिए आवश्यक लाइसेंस और अनुमतियाँ प्राप्त की जाती हैं, और दवा को भारतीय बाजार में उपलब्ध कराया जाता है।
  • यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि दवा की गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों पर पूरी तरह से खरी उतरती है।

प्रेसबायोपिया से संबंधित वैश्विक आंकड़े:

  • वैश्विक स्तर पर, प्रेसबायोपिया अनुमान के अनुसार, यह समस्या दुनिया भर में लगभग 1.09 से 1.8 बिलियन लोगों को प्रभावित कर रही है।
  • साल 2015 तक के एक रिपोर्ट में दुनिया भर में करीब 1.8 बिलियन लोगों को प्रेसबायोपिया था।
  • शोधकर्ताओं का अनुमान है कि साल 2030 तक यह संख्या बढ़कर 2.1 बिलियन हो जाएगी।
  • प्रेसबायोपिया वाले लोगों में से 826 मिलियन को निकट दृष्टि दोष पाया गया था।
  • साल 2015 में प्रेसबायोपिया सुधार के लिए वैश्विक अपूरित आवश्यकता 45% थी।
  • प्रेसबायोपिया वाले लोग ज़्यादा विकसित देश के शहरी क्षेत्र में रहते हैं। जो विकसित लोगो की एक बड़ी समस्या है।
  • ब्राज़ील के अमेज़ॅन क्षेत्र की आबादी के लिए किए गए एक अध्ययन में, प्रेसबायोपिया कुल मामलों में 71.8% के लिए ज़िम्मेदार था।

प्रेसबायोपिया (नेत्र) से संबंधित भारतीय आंकड़े

  • भारत में प्रेसबायोपिया एक आम समस्या है। अनुमानित आंकड़ों के अनुसार, भारत में लगभग 50% से अधिक लोग इस स्थिति से प्रभावित होते हैं।
  • भारतीय नेत्र स्वास्थ्य रिपोर्टों के अनुसार, लगभग 27 करोड़ से अधिक लोग भारत में दृष्टि समस्याओं से जूझ रहे हैं, जिनमें प्रेसबायोपिया एक प्रमुख समस्या है।
  • भारत में पिछले 20 साल में निकट दृष्टि दोष से पीड़ित लोगो की संख्या दोगुना हुई है, जो की चिंताजनक है।
  • भारत में लगभग 1.1 मिलियन लोग कॉर्नियल ब्लाइंडनेस से पीड़ित हैं, जिनमें से 60 प्रतिशत लोग 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चे हैं।

भारत सरकार की नेत्र स्वास्थ्य और नेत्र संबंधी बीमारियों को कम करने की पहल

  • राष्ट्रीय नेत्र स्वास्थ्य कार्यक्रम: यह कार्यक्रम दृष्टि समस्याओं को पहचानने और उनका इलाज करने के लिए व्यापक प्रयास करता है, विशेष रूप से ग्रामीण और दूरदराज क्षेत्रों में।
  • आयुष्मान भारत योजना: इस योजना के तहत, पात्र व्यक्तियों को नेत्र सर्जरी और उपचार के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, जिससे उन लोगों को लाभ होता है जो आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं।
  • नेत्रदान और नेत्र बैंक: भारत सरकार ने नेत्रदान को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न जागरूकता अभियानों की शुरुआत की है, और नेत्र बैंकों की स्थापना की है ताकि अंधत्व से पीड़ित लोगों को आंखें मिल सकें।
  • स्कूल नेत्र जांच कार्यक्रम: बच्चों में दृष्टि समस्याओं की पहचान के लिए स्कूलों में नियमित नेत्र जांच की जाती है, ताकि प्रारंभिक उपचार सुनिश्चित किया जा सके।
  • राष्ट्रीय नेत्र ज्योति अभियान: यह योजना मोतियाबिंद के इलाज के लिए फ्री सर्जरी और दवाइयों की व्यवस्था करती है, खासकर गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों के लिए।

UPSC पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQ)

प्रश्न: उपयुक्त रेखा-चित्र बनाते हुए मनुष्य की आँख की संरचना का वर्णन कीजिए।

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