Private sector participation in defence production
संदर्भ:
भारत में रक्षा उत्पादन में निजी क्षेत्र की भागीदारी रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गई है। रक्षा उत्पादन विभाग के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में कुल ₹1,50,590 करोड़ के रक्षा उत्पादन में निजी क्षेत्र का योगदान ₹33,979 करोड़ रहा, जो कुल उत्पादन का 22.56% है। यह 2016-17 के बाद से सबसे उच्च निजी भागीदारी है, जब यह हिस्सा 19% था।
भारत में रक्षा उत्पादन:
- क्षेत्रीय योगदान: वित्त वर्ष 2024-25 में रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों (DPSUs) ने कुल रक्षा उत्पादन में 57.50% योगदान दिया। भारतीय आयुध कारखानों का योगदान 14.49% और गैर-रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों का योगदान 5.4% रहा।
- रक्षा बजट वृद्धि: वर्ष 2013-14 में रक्षा बजट ₹2.53 लाख करोड़ था, जो 2025-26 में बढ़कर ₹6.81 लाख करोड़ हो गया।
- उच्चतम उत्पादन उपलब्धि: 2024-25 में भारत ने अब तक का सर्वोच्च रक्षा उत्पादन ₹1.50 लाख करोड़ दर्ज किया, जो 2014-15 के ₹46,429 करोड़ से तीन गुना से अधिक है।
- स्वदेशी उत्पादन में वृद्धि: वर्तमान में 65% रक्षा उपकरण देश में निर्मित हो रहे हैं। पहले 65-70% उपकरण आयात पर निर्भर थे।
- भविष्य का लक्ष्य: भारत का लक्ष्य 2029 तक रक्षा उत्पादन को ₹3 लाख करोड़ तक पहुँचाना है, जिससे देश एक वैश्विक रक्षा विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित हो सके।
रक्षा निर्यात में वृद्धि:
- भारत के रक्षा निर्यात में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2013-14 में जहाँ यह केवल ₹686 करोड़ था, वहीं 2024-25 में बढ़कर ₹23,622 करोड़ हो गया, जो 34 गुना वृद्धि है।
- भारत का रक्षा निर्यात पोर्टफोलियो विविध है, जिसमें बुलेटप्रूफ जैकेट, चेतक हेलीकॉप्टर, तेज गति वाले इंटरसेप्टर बोट्स और हल्के टॉरपीडो शामिल हैं।
- भारत आज 100 से अधिक देशों को रक्षा उपकरण निर्यात करता है। वर्ष 2023-24 में अमेरिका, फ्रांस और आर्मेनिया इसके प्रमुख गंतव्य रहे।
सार्वजनिक और निजी क्षेत्र का योगदान
- कुल रक्षा उत्पादन में सार्वजनिक क्षेत्र (DPSUs और अन्य यूनिट्स) का हिस्सा लगभग 77% है, जबकि निजी क्षेत्र का योगदान 23% है।
- निजी क्षेत्र की भागीदारी लगातार बढ़ रही है, जो FY 2023-24 में 21% से बढ़कर FY 2024-25 में 23% हो गई है।
- DPSUs की ग्रोथ FY 2024-25 में वर्ष-दर-वर्ष (YoY) 16% रही।
- निजी क्षेत्र की ग्रोथ इसी अवधि में 28% YoY रही, जो रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र में इसकी बढ़ती भूमिका को दर्शाती है।
नीतिगत सुधार और आत्मनिर्भरता अभियान:
- सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में निरंतर वृद्धि का मुख्य कारण है व्यापक नीतिगत सुधार और ease of doing business उपाय।
- पिछले एक दशक में सरकार ने indigenisation (स्वदेशीकरण) पर विशेष जोर दिया है।
- प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आत्मनिर्भर भारत पहल ने रक्षा क्षेत्र में आयात पर निर्भरता घटाने और मजबूत घरेलू रक्षा निर्माण पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करने में अहम भूमिका निभाई है।
आगे की राह
- कौशल विकास: उभरती रक्षा तकनीकों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू कर कुशल कार्यबल तैयार करना।
- संयुक्त उपक्रम: विदेशी रक्षा कंपनियों के साथ co-development और technology transfer के लिए साझेदारी को बढ़ावा देना।
- स्टार्ट–अप्स को बढ़ावा देना: iDEX और ADITI जैसी योजनाओं के तहत रक्षा start-ups को AI, क्वांटम, स्पेस और साइबर क्षेत्रों में सहयोग प्रदान करना।
- समानअवसर: पारदर्शी procurement प्क्रिलागू कर निजी कंपनियों को DPSUs के साथ निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा का मौका देना।
- निर्यात तंत्र को मज़बूत करना: नए वैश्विक बाज़ारों में पहुँच बढ़ाने और निजी कंपनियों को प्रोत्साहन देकर निर्यात गंतव्यों का विविधीकरण करना।