Raghuji Bhonsle
संदर्भ:
महाराष्ट्र सरकार ने प्रसिद्ध मराठा सेनापति रघुजी भोसले प्रथम की ऐतिहासिक “रघुजी तलवार“ को लंदन (यूके) में हुई नीलामी में ₹47.15 लाख में वापस हासिल कर लिया है।
रघुजी भोंसले प्रथम:
मूल जानकारी
- नाम: रघुजी भोंसले प्रथम
- राज्यकाल: 1739–1755
- पद: छत्रपति शाहू महाराज के अधीन मराठा सेनापति
- उपलब्धि: नागपुर स्थित भोंसले वंश के संस्थापक
सैन्य अभियान एवं विस्तार
- बंगाल अभियान:
- वर्ष: 1745 और 1755
- परिणाम: मराठा साम्राज्य का बंगाल और ओड़िशा तक विस्तार
- मध्य भारत में प्रभाव:
- चांदा, छत्तीसगढ़ और संबलपुर क्षेत्रों पर अधिकार
- दक्षिण भारत में अभियान:
- कर्नूल और कडप्पा के नवाबों को हराया
- दक्षिण भारत में मराठा प्रभुत्व को और सुदृढ़ किया
उपाधि एवं मान्यता
- छत्रपति शाहू महाराज द्वारा ‘सेनासाहेब सुबा’ की उपाधि प्रदान की गई
- कारण: उनकी वीरता और सैन्य नेतृत्व क्षमता की सराहना
रघुजी की तलवार –
मुख्य विशेषताएँ:
लिपि और अभिलेख:
- तलवार की पीठ (spine) पर देवनागरी लिपि में अभिलेख है
- अभिलेख से संकेत मिलता है कि यह तलवार रघुजी भोंसले प्रथम के लिए बनाई गई थी
डिज़ाइन और निर्माण शैली:
- तलवार में सीधी, एक धार वाली यूरोपीय ब्लेड है
- ब्लेड से जुड़ा हुआ है स्थानीय रूप से निर्मित मुलेरी हिल्ट (Mulheri Hilt)
- हिल्ट पर सूक्ष्म स्वर्ण जड़ाई (gold inlay) का सुंदर कार्य
ऐतिहासिक–सांस्कृतिक महत्व:
- यह तलवार 18वीं सदी के भारत में सक्रिय वैश्विक शस्त्र व्यापार को दर्शाती है
- भारतीय और यूरोपीय शिल्पकला का संगम प्रस्तुत करती है
नागपुर भोंसले वंश और शस्त्रकला:
- खनिज संसाधन: नागपुर भोंसले वंश ने एक खनिज-समृद्ध क्षेत्र पर शासन किया, जहां लोहा और ताम्बा का abundant था, जिसका उपयोग शस्त्र बनाने में किया गया।
- शस्त्रकला: भोंसले वंश द्वारा निर्मित शस्त्र अपनी उच्च गुणवत्ता और कारीगरी के लिए प्रसिद्ध थे।
- 1817 का सिताबुलदी युद्ध: इस युद्ध में ईस्ट इंडिया कंपनी ने नागपुर भोंसले को हराया और उनके खजाने, आभूषण और शस्त्रों को लूट लिया।