Railway and Women Commission join hands: A new initiative against human trafficking
Railway and Women Commission join hands: A new initiative against human trafficking –
संदर्भ :
30 जुलाई 2025 | नई दिल्ली विश्व मानव तस्करी विरोधी दिवस पर रेलवे सुरक्षा बल (RPF) और राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने मिलकर एक अहम कदम उठाया है। दोनों संस्थाओं के बीच हुए समझौते (MoU) का मकसद है—महिलाओं और बच्चों की तस्करी को रोकना और इस दिशा में ज़मीनी स्तर पर काम कर रही इकाइयों को और मज़बूत बनाना।
इस अवसर पर केंद्रीय रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव की मौजूदगी रही, जो इस पूरे प्रयास के प्रतीक के रूप में सामने आए।
समझौते का उद्देश्य :
मानव तस्करी एक ऐसा अपराध है, जो अक्सर दिखता नहीं लेकिन सबसे गहरा घाव छोड़ता है। इस समझौते का लक्ष्य है:
- RPF कर्मियों को तस्करी की पहचान और रोकथाम में और बेहतर बनाना।
- पीड़ित महिलाओं और बच्चों के साथ संवेदनशीलता से पेश आने की ट्रेनिंग देना।
- रेलवे नेटवर्क को जागरूकता फैलाने का एक मंच बनाना।
विशेष पुस्तिका का विमोचन
इस मौके पर NCW द्वारा तैयार की गई एक “मानव तस्करी रोधी पुस्तिका” का भी विमोचन किया गया। यह दस्तावेज़ RPF के लिए एक व्यवहारिक मार्गदर्शिका की तरह काम करेगा—तस्करी के मामलों को कैसे पहचाना जाए, किस स्तर पर क्या कार्रवाई होनी चाहिए, और पीड़ितों को कैसे सहायता पहुंचाई जाए।
RPF: एक संकल्पित सुरक्षा बल
रेलवे सुरक्षा बल (RPF), भारतीय रेलवे का एक अर्धसैनिक बल है जिसकी जिम्मेदारी रेलवे परिसरों, स्टेशनों और ट्रेनों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में, RPF ने सामाजिक न्याय और मानवीय सुरक्षा के क्षेत्र में भी बड़ी भूमिका निभाई है।
वर्ष 2020 से अब तक, RPF ने 65,000 से अधिक गुमशुदा, तस्करी किए गए और भागे हुए बच्चों को बचाकर उनके परिवारों या संरक्षण गृहों तक पहुँचाया है।
RPF की Anti-Human Trafficking Units (AHTUs) अब 750 से ज्यादा स्टेशनों पर सक्रिय हैं।
“Operation AAHT” जैसे विशेष अभियानों के ज़रिए RPF ने हजारों पीड़ितों को राहत दी है।
NCW: महिलाओं की प्रहरी संस्था
राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW), भारत सरकार का एक वैधानिक निकाय है जिसकी स्थापना 1992 में की गई थी। इसका उद्देश्य महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करना और उन्हें सशक्त बनाना है।
NCW न केवल शिकायतों की जांच करती है, बल्कि विभिन्न राज्यों और संस्थाओं के साथ मिलकर नीति निर्माण, शिक्षा, जागरूकता, और संवेदनशीलता अभियान भी चलाती है।
मानव तस्करी जैसे मुद्दों पर NCW वर्कशॉप्स, ट्रेनिंग प्रोग्राम्स और रिसर्च के माध्यम से कार्यरत है।
आयोग कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ मिलकर पीड़ितों के पुनर्वास, कानूनी सहायता, और जनजागरूकता के लिए भी काम करता है।
अब तक बचाए गए 65,000 से अधिक बच्चे
RPF द्वारा बचाए गए बच्चे केवल आँकड़े नहीं हैं, वे उस चुपचाप चल रही मानवीय त्रासदी के जीवित प्रमाण हैं जो तस्करी के नाम पर भारत में होती है। इनमें से कई बच्चों को बच्चा मजदूरी, यौन शोषण, घरेलू उत्पीड़न या अवैध अंग व्यापार जैसे खतरों से बचाया गया।
भारत में मानव तस्करी की स्थिति
भारत में मानव तस्करी एक बहुआयामी अपराध है जिसमें निम्न शामिल हैं:
बच्चों को मजदूरी या यौन शोषण के लिए बेचना
महिलाओं को जबरन वेश्यावृत्ति में धकेलना
घरेलू काम में शोषण, शादी के लिए खरीद-फरोख्त
अवैध अंग व्यापार
प्रमुख तथ्य:
भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार, हर साल हजारों महिलाएं और बच्चे तस्करी का शिकार होते हैं।
रेलवे स्टेशनों को तस्करी के लिए अक्सर ट्रांजिट प्वाइंट की तरह इस्तेमाल किया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगे राज्यों जैसे बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, और उत्तर प्रदेश में यह अपराध अधिक देखा जाता है।
आगेकी योजना
RPF कर्मियों के लिए संरचित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित होंगे। रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में जन-जागरूकता अभियान चलेंगे।
AHTUs को और सक्षम बनाया जाएगा, और थर्ड-पार्टी NGO सहयोग भी बढ़ेगा।
भारत की नई दिशा: सुरक्षा और संवेदनशीलता
यह समझौता केवल एक कागज़ी करार नहीं, बल्कि भारत की उस नई सोच का प्रतीक है जिसमें सुरक्षा को केवल हथियारों से नहीं, संवेदनशीलता और सहयोग से परिभाषित किया जाता है। जब रेलवे और महिला आयोग जैसी संस्थाएं एक साथ खड़ी होती हैं, तो सिर्फ ट्रेनें नहीं चलतीं—क़ानून, न्याय और उम्मीद की रफ्तार भी बढ़ती है।