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दुर्लभ प्रवासी पक्षी पलास गल (Rare migratory bird Pallas Gull) | Apni Pathshala

Rare migratory bird Pallas Gull

Rare migratory bird Pallas Gull

संदर्भ:

दुर्लभ प्रवासी पक्षी पलास गल को हाल ही में झारखंड के उधवा पक्षी अभयारण्य में लगभग दस वर्षों बाद देखा गया। यह पक्षी सामान्यतः दुर्लभ है, इसलिए इसका पुनः दिखना पारिस्थितिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। 

दुर्लभ प्रवासी पक्षी पलास गल का परिचय:

  • वैज्ञानिक परिचय: पलास गल का वैज्ञानिक नाम इक्थ्याएटस इक्थ्याएटस है। यह गल कुल का सदस्य है और इसे दुनिया की सबसे बड़ी काले सिर वाली गल माना जाता है। 

    • शारीरिक विशेषताएँ: प्रजनन काल में इसका पूरा सिर काला, पीठ धूसर, नीचे का भाग सफेद, टाँगें पीली और चोंच पीले-नारंगी रंग की लाल नोक के साथ होती है। शीतकाल में काला सिर समाप्त होकर आँख के चारों ओर गहरा धब्बा रह जाता है। इसकी लंबाई लगभग 60 से 72 सेंटीमीटर तथा पंखों का फैलाव 155 से 170 सेंटीमीटर तक होता है।

  • प्रजनन क्षेत्र: यह पक्षी यूरेशिया के शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में स्थित झीलों और दलदलों के द्वीपों पर प्रजनन करता है। इसके प्रमुख प्रजनन क्षेत्र रूस, कज़ाखस्तान, मंगोलिया, तिब्बत और उत्तरी चीन में पाए जाते हैं।

    • शीतकालीन प्रवासन: पलास की गल एक दीर्घ दूरी का प्रवासी पक्षी है। यह सितंबर से दिसंबर के बीच भारत आता है और अप्रैल-मई तक वापस लौट जाता है। भारत में यह गंगा के मैदानी क्षेत्र, झीलों, बड़ी नदियों और तटीय आर्द्रभूमियों में देखा जाता है।

  • आहार प्रकृति: यह पक्षी सर्वाहारी और अवसरवादी शिकारी है। इसका मुख्य भोजन मछलियाँ, जलीय कीट, क्रस्टेशियन, छोटे सरीसृप, अन्य पक्षियों के अंडे तथा कभी-कभी छोटे स्तनधारी होते हैं।

  • सामाजिक व्यवहार: प्रजनन काल में यह हजारों जोड़ों की कॉलोनियों में रहता है। शीतकाल में यह अपेक्षाकृत शांत रहता है और बड़े जल निकायों के आसपास विचरण करता है।

  • अंतरराष्ट्रीय स्थिति: अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ द्वारा पलास गल को कम से कम चिंता की श्रेणी में रखा गया है। इसका वैश्विक वितरण क्षेत्र बहुत विस्तृत है और कुल जनसंख्या स्थिर मानी जाती है।

  • भारत में कानूनी संरक्षण: भारत में यह पक्षी वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची-II में सूचीबद्ध है। यह प्रजाति अफ्रीकी-यूरेशियाई प्रवासी जलपक्षी संरक्षण समझौते के अंतर्गत भी आती है।

  • संभावित खतरे: हालाँकि वैश्विक स्तर पर इसकी स्थिति सुरक्षित है, परंतु कुछ क्षेत्रों में आवास क्षरण, जल प्रदूषण, जल स्तर में अस्थिरता और जलवायु परिवर्तन इसके लिए खतरा बन रहे हैं। प्रजनन स्थलों पर स्तनधारी शिकारी भी जोखिम उत्पन्न करते हैं।

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