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संथाली भाषा में संविधान का विमोचन (Release of the Constitution in Santhali language) | UPSC

Release of the Constitution in Santhali language

Release of the Constitution in Santhali language

संदर्भ:

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक विशेष समारोह में ओल चिकी (Ol Chiki) लिपि में लिखित संथाली भाषा में भारत के संविधान का आधिकारिक संस्करण जारी किया। जिससे अब संथाली भाषा बोलने वाले लोग आसानी से भारतीय संविधान को पढ़ सकेंगे।

संथाली भाषा के बारे मे:

संथाली एक ‘ऑस्ट्रो-एशियाटिक’ (Austro-Asiatic) परिवार की भाषा है, जो विशेष रूप से मुंडा शाखा से संबंधित है। यह वियतनामी और खमेर जैसी दक्षिण-पूर्व एशियाई भाषाओं से दूर का संबंध रखती है।

  • प्रसार: यह मुख्य रूप से भारत के झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और बिहार राज्यों में बोली जाती है। इसके अलावा असम, त्रिपुरा और पड़ोसी देशों जैसे बांग्लादेश और नेपाल में भी इसे बोला जाता हैं।
  • जनसांख्यिकी: 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में लगभग 70 लाख से अधिक लोग संथाली बोलते हैं, जो भारत की सबसे बड़ी बोली जाने वाली आदिवासी भाषा है।
  • 92वां संविधान संशोधन अधिनियम, 2003: इस संशोधन के माध्यम से संथाली को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया। इसके साथ बोडो, डोगरी और मैथिली को भी जोड़ा गया था।
  • अनुच्छेद 29 और 30: ये अनुच्छेद भाषाई अल्पसंख्यकों को अपनी विशिष्ट भाषा और लिपि के संरक्षण का अधिकार देते हैं। संथाली का संरक्षण इसी अधिकार का क्रियान्वयन है।
  • राज्य भाषा का दर्जा: झारखंड सरकार ने संथाली को अपनी आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में मान्यता दी है।
  • संस्कृति: संथाली भाषा बोलने वाले लोग सोहराय और बाहा जैसे त्यौहार मनाते हैं, जिनमें गायन और नृत्य के माध्यम से भाषा का जीवंत प्रदर्शन होता है।

ओल चिकी (Ol Chiki) लिपि:

‘ओल चिकी’, जिसे ‘ओल चेमेट’ के नाम से भी जाना जाता है, संथाली भाषा की आधिकारिक और वैज्ञानिक लिपि है। वर्ष 2025 इस लिपि के आविष्कार का शताब्दी वर्ष (Centenary Year) है। 

  • आविष्कारक: ओल चिकी लिपि का आविष्कार पंडित रघुनाथ मुर्मु द्वारा वर्ष 1925 में किया गया था। उन्हें संथाली समाज में ‘गुरु गोमके’ (महान शिक्षक) के रूप में सम्मानित किया जाता है।
  • वर्णमाला आधारित: अधिकांश भारतीय लिपियाँ (जैसे देवनागरी) ‘अक्षरात्मक’ (Abugida) होती हैं, लेकिन ओल चिकी एक शुद्ध वर्णमाला (Alphabet) है। इसमें स्वर और व्यंजन के लिए स्पष्ट और स्वतंत्र वर्ण हैं।
  • प्रकृति से प्रेरणा: ओल चिकी के अक्षरों की आकृति प्राकृतिक वस्तुओं, मानवीय गतिविधियों और संथाली जीवनशैली से प्रेरित है। उदाहरण के लिए, एक अक्षर उड़ते हुए पक्षी या काटते हुए औजार की आकृति जैसा दिखता है।
  • लेखन शैली: यह लिपि बाएँ से दाएँ लिखी जाती है। इसमें कुल 30 वर्ण होते हैं, जिनमें 6 स्वर और 24 व्यंजन शामिल हैं। यह लिपि संथाली भाषा की ‘ग्लॉटल स्टॉप’ (Glottal Stop) जैसी जटिल ध्वनियों को सटीकता से प्रस्तुत करती है।
  • अनुच्छेद 29: यह लिपि अनुच्छेद 29(1) के तहत अल्पसंख्यकों के अपनी विशिष्ट भाषा और लिपि के संरक्षण के अधिकार का प्रतीक है।

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