Repo rate unchanged at 5.50%
संदर्भ:
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने बुधवार को दूसरी लगातार समीक्षा में बेंचमार्क रेपो रेट को 5.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा। यह निर्णय आर्थिक वृद्धि की संभावनाओं और टैरिफ-संबंधी जोखिमों के बीच संतुलन बनाए रखते हुए लिया गया है।
आरबीआई की चौथी द्वैमासिक नीति – FY 2025-26
- रेपो रेट (Repo Rate): 5.5% पर यथावत, कोई बदलाव नहीं।
- स्टांस (Stance): Neutral (तटस्थ)।
- मुद्रास्फीति अनुमान (Inflation Forecast): FY26 के लिए घटाकर 2.6% किया गया (पहले 3.1%)।
- विकास दर अनुमान (Growth Forecast): FY26 के लिए बढ़ाकर 6.8% किया गया (पहले 6.5%)।
तिमाहीवार विकास दर अनुमान:
- Q2 FY26 – 7% (पहले 6.7%)
- Q3 FY26 – 6.4% (पहले 6.6%)
- Q4 FY26 – 6.2% (पहले 6.3%)
पृष्ठभूमि:
- फरवरी 2025 से अब तक 100 बेसिस पॉइंट की दर कटौती की गई है।
- अगस्त में मुद्रास्फीति 6 साल के निचले स्तर 2.07% पर आ गई, जिसका कारण था – खाद्य कीमतों में नरमी और GST में कटौती।
RBI नीति का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
- विकास के लिए सकारात्मक संकेत (Pro-growth Signal):
- नीति यह दर्शाती है कि वैश्विक अस्थिरता के बावजूद भारत मेंविकासोन्मुख वातावरण है।
- मुद्रास्फीति 4% के लक्ष्य से नीचे रहने की उम्मीद के कारणआर्थिक परिदृश्य मजबूत दिख रहा है।
- मजबूत विकास की संभावनाएँ (Stronger Growth Prospects):
- GDP विकास दर अनुमान 8% तक बढ़ाकर RBI नेघरेलू मांग में सुधार पर भरोसा जताया है।
- कम मुद्रास्फीति सेउपभोक्ता खर्च बढ़ने और क्रय शक्ति मजबूत होने की उम्मीद है।
- नीति की पूर्वानुमेयता: Neutral स्टांस रखने सेव्यापार और निवेशकों को स्पष्टता मिली है, जिससे दीर्घकालीन निवेश योजनाएँ बनाना आसान हुआ।
टैरिफ और निर्यात जोखिम (Tariff Risks):
- निर्यात-आधारित क्षेत्रआपूर्ति श्रृंखलाओं में अस्थिरता और लागत वृद्धि के कारण दबाव में रह सकते हैं।
- यह H2 FY26 में विकास गति को प्रभावित कर सकता है।
रेपो रेट क्या है?
- रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) वाणिज्यिक बैंकों को धन उधार देता है।
- बैंकों को इसके बदले में सरकारी प्रतिभूतियाँ जमा करनी होती हैं और तय मूल्य पर उन्हें पुनः खरीदने का वचन देना होता है।
मुख्य प्रभाव (Key Impacts):
- मुद्रास्फीति नियंत्रण (Inflation Control):
- रेपो रेट बढ़ाने सेउधार महंगा हो जाता है, जिससे मुद्रा आपूर्ति कम होती है और कीमतों की बढ़त नियंत्रित होती है।
- रेपो रेट घटाने सेउधार सस्ता हो जाता है, जिससे खर्च और निवेश बढ़ता है और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है।
- उधार लागत (Borrowing Costs):
- रेपो रेट बदलने सेबैंकों द्वारा ग्राहकों को दिए जाने वाले ऋणों की ब्याज दरें प्रभावित होती हैं, जैसे होम लोन, पर्सनल लोन, कार लोन।
- उच्च रेपो रेट → EMI बढ़ती है; कम रेपो रेट → EMI घटती है।
- तरलता प्रबंधन (Liquidity Management):
- RBI बैंकिंग सिस्टम मेंपैसे के प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए रेपो रेट का उपयोग करता है।
- इसे बढ़ाकर उधार महंगा किया जाता है या घटाकर सस्ता किया जाता है।