Report on Electric Vehicles in India
Report on Electric Vehicles in India –
संदर्भ:
नीति आयोग ने ‘Unlocking a $200 Billion Opportunity: Electric Vehicles in India’ नामक रिपोर्ट जारी की है, जो भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्र में वर्तमान चुनौतियों का समग्र और समयोचित मूल्यांकन प्रस्तुत करती है। यह रिपोर्ट भारत की इलेक्ट्रिक मोबिलिटी संक्रमण को तेज करने के लिए आवश्यक प्रमुख उपायों को भी उजागर करती है।
रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु–
मुख्य उद्देश्य:
- आयातित ईंधनपर निर्भरता कम करना।
- EV बैटरियों कीस्टोरेज क्षमता का उपयोग कर नवीकरणीय ऊर्जा का हिस्सा बढ़ाना।
- ग्रीनहाउस गैस (GHG)उत्सर्जन में कमी।
- वायु गुणवत्तामें सुधार।
- बिजली उत्पादन संयंत्रों केप्लांट लोड फैक्टर (PLF) में सुधार।
- तेजी से बढ़तेवैश्विक EV बाज़ार में नेतृत्व हासिल करना।
लक्ष्य (Goal): 2030 तक कुल वाहन बिक्री में 30% हिस्सेदारी इलेक्ट्रिक वाहनों की।
EV अपनाने की स्थिति:
- 2016 – भारत में EV बिक्री: 50,000
- 2024 – भारत में EV बिक्री: 2.08 मिलियन
- वैश्विक बिक्री – 2016: 9.18 लाख → 2024: 1.878 करोड़
- भारत की प्रगति (2024) – EV बिक्री का हिस्सा केवल 7.6%।
चुनौती:
- लक्ष्य: 2030 तक 30%।
- अब अगले 5 वर्षों में 22% से अधिक वृद्धि करनी होगी।
- अपनाने की रफ्तार अमेरिका, यूरोपीय संघ और चीन जैसे अग्रणी देशों से धीमी।
भारत में ईवी (EV) अपनाने की चुनौतियां व रणनीति:
चुनौतियां:
- वित्तीय कठिनाई– इलेक्ट्रिक बसों और ट्रकों की फाइनेंसिंग में दिक्कत।
- चार्जिंग सुविधा की कमी– एक ओर पर्याप्त चार्जिंग स्टेशनों की कमी, दूसरी ओर मौजूद पब्लिक चार्जिंग स्टेशनों का कम उपयोग।
- जागरूकता की कमी– ईवी के प्रदर्शन को लेकर सार्वजनिक और निजी हितधारकों में पर्याप्त जानकारी का अभाव।
- डेटा व नियामकीय खामियां– अधूरे डेटा और नियमों की कमी से तथ्य-आधारित नीतियां बनाने में बाधा।
भारत में ईवी अपनाने की रणनीति:
- प्रोत्साहन से अनिवार्यता की ओर बढ़ना
- जीरो एमिशन व्हीकल (ZEV) अपनाने के लिए स्पष्ट नीति और लक्ष्य समय-सीमा घोषित करना।
- ईवी के उत्पादन व खरीद को अनिवार्य करने और ICE (Internal Combustion Engine) वाहनों के उपयोग/उत्पादन को हतोत्साहित करने की योजना लागू करना।
- संतृप्ति आधारित विस्तार (Saturation Approach)
- 5 शहरों में 5 साल के भीतर ईवी इन्फ्रास्ट्रक्चर का संतृप्त विकास।
- राज्यों में विशेष इकाइयों द्वारा कार्यक्रम का संचालन।
- बाद में 20 शहरों और फिर 100 शहरों तक विस्तार।
- ई–बस और ई–ट्रक के लिए फाइनेंसिंग
- सार्वजनिक बजट और बहुपक्षीय संस्थानों के योगदान से एक संयुक्त कोष (Pooled Fund) बनाना।
- फंड के वितरण के लिए उपयुक्त योजना लागू करना।
- नई बैटरी तकनीक पर अनुसंधान
- शैक्षणिक संस्थान, उद्योग और सरकार के बीच साझेदारी बनाकर नई बैटरी केमिस्ट्री पर शोध तेज करना।
- चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर का रणनीतिक विस्तार
- ई-बस और ई-ट्रक संचालन के लिए 20 हाई-डेंसिटी कॉरिडोर की पहचान।
- इन कॉरिडोर पर वोल्टेज पैटर्न के आधार पर चार्जिंग हब के स्थान तय करने के लिए अध्ययन करना।
- प्रत्येक राज्य में चार्जिंग स्टेशन स्थापना को बढ़ावा देने के लिए नोडल एजेंसियां बनाना।