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स्‍पेस जोन इंडिया ने भारत के पहले रियूजेबल हाइब्रिड रॉकेट रूमी-1 का चेन्‍नई से प्रक्षेपण किया

स्पेस जोन इंडिया ने मार्टिन समूह के सहयोग से भारत का पहला रियूजेबल हाइब्रिड रॉकेट, रूमी-1 (Rumi-1), चेन्नई से प्रक्षेपित किया। इस रॉकेट ने 50 पिको उपग्रहों और तीन क्यूब उपग्रहों को अपने साथ ले जाया और मोबाइल ट्रेजेक्ट्री तकनीक का उपयोग करके प्रक्षिप्त किया गया। रॉकेट ने लगभग 35 किलोमीटर की ऊचाई तक उड़ान भरी और कई प्रयोग करने के बाद कुछ ही क्षणों में पृथ्वी पर वापस आ गया।

रूमी-1 (Rumi-1) के बारे में:

  • रॉकेट जलवायु परिवर्तन के लिए डेटा जुटाएगा –
  • यह रॉकेट जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग पर अनुसंधान के लिए डेटा एकत्र करेगा।
  • RHUMI-1 रॉकेट में एक हाइब्रिड मोटर का उपयोग किया गया है, जो कॉमन फ्यूल बेस्ड है।
  • यह पूरी तरह से पायरोटेक्निक-फ्री है और इसमें 0% TNT है। इस मिशन का नेतृत्व Space Zone के संस्थापक आनंद मेगालिंगम ने किया है।
  • रॉकेट के घटक समुद्र में सुरक्षित लैंड करने में सक्षम
  • हाइब्रिड रॉकेट RHUMI 1 में एक इको-फ्रेंडली और कॉस्ट-इफेक्टिव मैकेनिज़म शामिल है।
  • इसमें CO2 ट्रिगर पैराशूट सिस्टम लगा हुआ है, जो रॉकेट के घटकों को सुरक्षित रूप से समुद्र में उतारने में मदद करता है।
  • इस प्रणाली के जरिए अंतरिक्ष लॉन्च की लागत कम हो सकती है क्योंकि रॉकेट के घटकों को आसानी से रिकवर किया जा सकता है।
  • रॉकेट का एयर फ्रेम कार्बन फाइबर और ग्लास फाइबर से बना है।
  • चेन्नई की एयरो-टेक्नोलॉजी कंपनी द्वारा डेवलप-
  • Space Zone India, एक चेन्नई स्थित एयरो-टेक्नोलॉजी कंपनी है।
  • कंपनी का उद्देश्य अंतरिक्ष उद्योग में कम लागत और लंबे समय के समाधान तैयार करना है।
  • RHUMI-1 रॉकेट में लिक्विड और सॉलिड फ्यूल प्रणालियों का उपयोग किया गया है, जिससे इसकी कार्यक्षमता बढ़ती है और ऑपरेटिंग लागत घटती है।
  • इस मिशन में पूर्व ISRO सैटेलाइट सेंटर के निदेशक डॉ. माइलस्वामी अन्नादुरई का मार्गदर्शन भी प्राप्त हुआ है।
  • अंतरिक्ष उद्योग में नई क्रांति की उम्मीद –
  • इस मिशन से भारत के अंतरिक्ष उद्योग में एक नई क्रांति आने की आशा है, जिससे न केवल अनुसंधान बल्कि वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए भी नए अवसर खुलेंगे। RHUMI-1 के प्र
  • क्षेपण से सैटेलाइट लॉन्चिंग की प्रक्रिया में एक नई दिशा मिल सकती है।
  • यह रॉकेट न केवल पुन: उपयोग योग्य है बल्कि इसकी लागत भी अन्य रॉकेटों की तुलना में कम है।
  • इससे भारत के अंतरिक्ष उद्योग को अधिक प्रतिस्पर्धी बनने में मदद मिलेगी।
  • इसके अलावा, इस तकनीक का उपयोग भविष्य में अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए भी किया जा सकता है।
  • अंतरिक्ष में खोज करने में मदद –
  • RHUMI-1 का सफल प्रक्षेपण भारत के अंतरिक्ष उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हो सकता है।
  • ISRO और अन्य भारतीय संस्थानों के साथ मिलकर, Space Zone India ने साबित कर दिया है कि भारत भी अंतरिक्ष अन्वेषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

भारत अब बड़े पैमाने पर छोटे सैटेलाइट्स को कम लागत पर अंतरिक्ष में भेजने में सक्षम हो सकता है।

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