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राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में रस्टिक बंटिंग (Rustic Bunting in the National Capital Region) | Ankit Avasthi Sir

Rustic Bunting in the National Capital Region

Rustic Bunting in the National Capital Region

संदर्भ:

हाल ही में दिल्ली–गुरुग्राम सीमा पर स्थित नजफगढ़ झील में रस्टिक बंटिंग (Emberiza rustica) नामक दुर्लभ प्रवासी पासरीन पक्षी का पहली बार रिकॉर्ड दर्ज किया गया। यह एक दुर्लभ घटना है जो पक्षी-विज्ञान के क्षेत्र, प्रवासी पक्षियों के बदलते मार्गों तथा जलवायु-परिवर्तन के प्रभावों को समझने के लिए भी महत्वपूर्ण है।

रस्टिक बंटिंग का परिचय:

रस्टिक बंटिंग एक छोटा प्रवासी पासरीन पक्षी है, जिसका आकार गौरैया से थोड़ा बड़ा होता है। इस पक्षी को उसके विशिष्ट रंग-रूप के कारण पहचानना जाता है। 

    • विशेषता: इस प्रजाति के नरों में काला सिर और लालिमा लिए वक्षबंध होता है। मादाओं में लालिमा लिए पार्श्वीय धारियां पाई जाती हैं। यह पक्षी गीले शंकुधारी वनों में घोंसले बनाते है। ये अपनी विशिष्ट ध्वनियों के लिए जानी जाती है।
    • भोजन: ये मुख्य रूप से बीजों, छोटे कीटों और झाड़ीदार क्षेत्रों में उपलब्ध पोषक तत्वों पर निर्भर करते है।
  • भौगोलिक वितरण: रस्टिक बंटिंग का प्राकृतिक प्रजनन क्षेत्र उत्तरी पेलियार्कट क्षेत्र है, जिसमें साइबेरिया, सुदूर उत्तर-पूर्वी रूस और गीले शंकुधारी वनों वाले उच्च-अक्षांशीय क्षेत्र शामिल हैं।
    • प्रव्रजन पैटर्न: यह सर्दियों में दक्षिण-पूर्व एशिया (जापान, कोरिया, पूर्वी चीन) की ओर प्रव्रजित होता है। भारत में इसकी उपस्थिति अत्यंत दुर्लभ है और केवल पूर्वोत्तर भारत तथा हिमालयी पट्टी—लद्दाख (2023, 2024), अरुणाचल (2025), कश्मीर (2022)—तक सीमित रही है।
  • संरक्षण स्थिति: IUCN ने 2025 की रेड लिस्ट में रस्टिक बंटिंग को ‘Near Threatened’ वर्ग में रखा है। हाल के वर्षों में गिरावट की गति कुछ धीमी हुई है, जिससे इसका संरक्षण जोखिम थोड़ा कम माना गया है।
  • संकट: पिछले दशक में आवास विनाश, वनों की कटाई, जलवायु परिवर्तन और शिकारी गतिविधियों के कारण इनकी वैश्विक आबादी में तेज गिरावट आई थी।

नजफगढ़ झील: 

नजफगढ़ झील दिल्ली–गुरुग्राम सीमा पर स्थित एक महत्त्वपूर्ण अर्ध-आर्द्रभूमि (semi-wetland ecosystem) है, जिसे NCR का सबसे बड़ा प्राकृतिक पक्षी-आवास माना जाता है। यह यमुना नदी की प्राचीन सहायक नजफगढ़ नाले से जुड़ी हुई है और वर्षा जल तथा आसपास के कैचमेंट क्षेत्र से पोषित होती है।

यह झील 300 से अधिक पक्षी प्रजातियों, जिनमें अनेक प्रवासी और दुर्लभ प्रजातियाँ शामिल हैं, का आश्रय स्थल है। शहरीकरण और भूमि-परिवर्तन के दबावों के कारण यह झील लगातार पारिस्थितिक तनाव में रही है, लेकिन पर्यावरणविद इसे NCR की महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक आर्द्रभूमि के रूप में संरक्षित करने की आवश्यकता पर जोर देते हैं।

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