S-400 Missile System
संदर्भ:
पाकिस्तान ने भारत के उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्रों में स्थित 15 सैन्य ठिकानों को लक्षित करते हुए ड्रोन और मिसाइल हमले भारतीय वायु सेना ने रूसी निर्मित S-400 ‘सुदर्शन चक्र‘ वायु रक्षा प्रणाली का उपयोग करके इन सभी हवाई खतरों को सफलतापूर्वक निष्क्रिय कर दिया।
S-400 मिसाइल सिस्टम: एक व्यापक अवलोकन:
- परिचय:
- S-400 ट्रायम्फ एक सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली (SAM) है।
- इसे रूस द्वारा विकसित किया गया है और इसे दुनिया के सबसे उन्नत वायु रक्षा प्रणालियों में से एक माना जाता है।
- इसका उद्देश्य विभिन्न वायु खतरों जैसे- विमान, बैलिस्टिक मिसाइल, क्रूज मिसाइल और मानव रहित हवाई वाहन (UAV) से रक्षा करना है।
- सिस्टम में शामिल:
- मल्टी–फंक्शनल रडार
- स्वचालित कमांड सेंटर
- चार प्रकार की मिसाइलें
- मोबाइल लॉन्चर
- क्षमता:
- अधिकतम रेंज: 400-600 किमी तक
- लक्ष्य की ऊँचाई: 10 मीटर से 30 किमी तक
- एक साथ ट्रैकिंग: 80 लक्ष्य
- एक साथ लक्ष्य भेदन: 36 लक्ष्य
- तेजी: 4.8 किमी/सेकंड (पैट्रियट सिस्टम से तेज)
- तैनाती का समय: 5 मिनट (पैट्रियट के 25 मिनट की तुलना में)
- रडार प्रणाली:
- 91N6E बिग बर्ड: लंबी दूरी के लक्ष्य का पता लगाने के लिए तीन-आयामी चरणबद्ध एरे रडार।
- 92N6E ग्रेव स्टोन: मध्यम और छोटी दूरी के लक्ष्यों को सटीकता से पहचानने और मिसाइल मार्गदर्शन के लिए।
- कमांड कंट्रोल:
- 55K6E मॉड्यूल का उपयोग, जो लॉन्चर और रडार के बीच क्रियाओं का समन्वय करता है।
- खतरा पहचानने पर त्वरित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करता है।
- गतिशीलता और तैनाती:
- मोबाइल सिस्टम:
- ट्रकों पर माउंट किया जा सकता है।
- आसान पुनर्स्थापन और तैनाती के लिए उपयुक्त।
- उपयोगिता:
- भारत में इस प्रणाली का उपयोग वायु रक्षा रणनीति के तहत चीन और पाकिस्तान से वायु और मिसाइल खतरों से निपटने के लिए किया जाएगा।
- पूर्वोत्तर सीमा पर रणनीतिक रूप से तैनात किया जाएगा।
- दुश्मन के लक्ष्यों की प्रारंभिक चेतावनी और सटीक लक्ष्य भेदन की सुविधा।
सामरिक महत्व:
- S-400 की तेज गति और बहु-स्तरीय रक्षात्मक क्षमता इसे भारत के लिए रणनीतिक गेमचेंजर बनाती है।
- यह प्रणाली जल्दी प्रतिक्रिया देने में सक्षम है, जो सीमावर्ती क्षेत्रों में वायु रक्षा को मजबूत बनाती है।
- भारत के हवाई क्षेत्र की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, विशेष रूप से चीन और पाकिस्तान से बढ़ते खतरों के परिप्रेक्ष्य में।