SAF
संदर्भ:
नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने अंतर्राष्ट्रीय नागर विमानन संगठन (ICAO) के सहयोग से और यूरोपीय संघ के समर्थन के साथ आधिकारिक रूप से भारत के लिए सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (SAF) व्यवहार्यता अध्ययन जारी किया है। यह अध्ययन भारत के विमानन क्षेत्र में हरित विमानन को बढ़ावा देने, कार्बन उत्सर्जन कम करने और एक सतत भविष्य सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (SAF):
- परिभाषा:
- SAF एक वैकल्पिक ईंधन है, जो गैर–पेट्रोलियम स्रोतों से बनाया जाता है।
- यह हवाई परिवहन (Air Transportation) से होने वाले उत्सर्जन को कम करता है।
- SAF को 10% से 50% तक पारंपरिक जेट ईंधन के साथ मिलाया जा सकता है, यह फीडस्टॉक और उत्पादन प्रक्रिया पर निर्भर करता है।
- SAF की आवश्यकता (Need for SAF)
- वैश्विक स्तर पर, एविएशन 2% कुल CO2 उत्सर्जनऔर सभी परिवहन CO2 उत्सर्जन का 12% जिम्मेदार है।
- ICAO काCORSIA (Carbon Offsetting and Reduction Scheme for International Aviation) योजना 2035 तक नेट CO2 उत्सर्जन को 2020 स्तर पर सीमित करती है।
- अंतरराष्ट्रीय विमानन उद्योग का लक्ष्य2050 तक नेट–जीरो कार्बन प्राप्त करना है।
- SAF सबसे प्रभावी और तुरंत लागू की जाने वाली विकल्पहै इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए।
- SAF के लाभ:
- इंजन और इंफ्रास्ट्रक्चर संगतता: SAF को पारंपरिकJet A फ्यूल के साथ मिलाकर मौजूदा विमान और इंफ्रास्ट्रक्चर में इस्तेमाल किया जा सकता है।
- कम उत्सर्जन: 100% SAF पारंपरिक जेट ईंधन की तुलना मेंग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को 94% तक कम कर सकता है, फीडस्टॉक और तकनीक पर निर्भर।
- अधिक लचीलापन: SAF पारंपरिक जेट ईंधन काप्रतिस्थापन है।