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सहयोग पोर्टल (Sahyog Portal) | UPSC Preparation

Sahyog Portal

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संदर्भ:

एक्स (X) के ग्लोबल गवर्नमेंट अफेयर्स हैंडल ने पोस्ट किया है कि वह कर्नाटक हाईकोर्ट के उस आदेश के विरुद्ध अपील करेगा, जिसमें केंद्र सरकार के विवादास्पद ‘सहयोग’ पोर्टल संबंधी आदेशों को बरकरार रखा गया है. एक्स ने सहयोग’ पोर्टल को ‘गुप्त ऑनलाइन पोर्टल’ बताया है।

X ने कंटेंट हटाने के अधिकार पर विरोध जताया:

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X ने कहा है कि सहयोग पोर्टल के माध्यम से बिना किसी न्यायिक समीक्षा के कंटेंट हटाने का आदेश देने का प्रावधान लोकतांत्रिक मूल्यों और यूजर्स के अधिकारों के लिए खतरा है।

  • कंपनी के अनुसार, यह नई व्यवस्था कानून का समर्थन नहीं करती, आईटी अधिनियम की धारा 69ए को दरकिनार करती है, सुप्रीम कोर्ट के फैसलों की अनदेखी करती है और भारतीय नागरिकों के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (फ्रीडम ऑफ स्पीच) के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करती है।

सहयोग पोर्टल क्या है?

भारत सरकार द्वारा विकसित एक केंद्रीकृत डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म है, जिसे मुख्य रूप से गृह मंत्रालय के तहत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) द्वारा प्रबंधित किया जाता है। इसका उद्देश्य भारत में साइबर अपराधों को रोकना, उनका पता लगाना, जाँच करना और मुकदमा चलाना है। 

सहयोग पोर्टल के प्रमुख कार्य इस प्रकार हैं:

  • अवैध सामग्री हटाना: यह सरकार की अधिकृत एजेंसियों को इंटरनेट मध्यस्थों (जैसे दूरसंचार ऑपरेटरों, इंटरनेट सेवा प्रदाताओं, सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म, आदि) को नोटिस जारी करने में मदद करता है ताकि वे गैरकानूनी सामग्री, डेटा या संचार लिंक को हटा सकें या उस तक पहुँच को अक्षम कर सकें।
  • ऑनलाइन अपराधों पर त्वरित कार्रवाई: यह साइबर-सक्षम गैरकानूनी गतिविधियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई की सुविधा प्रदान करता है।
  • समन्वय: यह सभी अधिकृत एजेंसियों और मध्यस्थों को एक ही डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर लाता है, जिससे ऑनलाइन अवैध जानकारी पर तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित होती है।
  • प्रक्रिया को स्वचालित करना: यह सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के तहत मध्यस्थों को सामग्री-अवरोधक नोटिस भेजने की प्रक्रिया को स्वचालित करता है।

IT अधिनियम की धाराएँ:

  • धारा 69A: यह केंद्र को राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभुता और सार्वजनिक व्यवस्था की रक्षा के लिये विशिष्ट परिस्थितियों में ऑनलाइन कंटेंट तक सार्वजनिक पहुँच को अवरुद्ध करने का अधिकार देती है।
  • धारा 79: यह ऑनलाइन मध्यस्थों को “सेफ हार्बर” संरक्षण प्रदान करती है, तथा यदि वे तटस्थता से कार्य करते हैं तो उन्हें तीसरे पक्ष की विषय-वस्तु के लिये उत्तरदायित्व से संरक्षण प्रदान करती है।
  • धारा 79(3)(b) के तहत, यदि मध्यस्थ अनुचित कंटेंट से संबंधित नोटिस पर शीघ्र कार्यवाही करने में विफल रहते हैं तो वे इस प्रतिरक्षा को खो देते हैं।

सहयोग पोर्टल कैसे काम करता है?

  1. नोटिस जारी करना– अधिकृत एजेंसी के नोडल अधिकारी पोर्टल के माध्यम से प्लेटफॉर्म को अवैध सामग्री हटाने का नोटिस भेजते हैं।
  2. प्लेटफॉर्म का जवाब– नोटिस मिलने पर प्लेटफॉर्म एजेंसी को बताता है कि उसने क्या कार्रवाई की है।
  3. सामग्री हटाना या जानकारी माँगना– प्लेटफॉर्म नोटिस के आधार पर सामग्री हटा सकता है या अतिरिक्त जानकारी माँग सकता है।
  4. अनुपालन करने का अनुरोध– यदि प्लेटफॉर्म सामग्री हटाना उचित न समझे तो कारण बताकर पालन से मना कर सकता है।
  5. एजेंसी की समीक्षा– एजेंसी कारणों को देखकर सहमत हो तो मामला बंद, असहमत हो तो पुनः अनुपालन का अनुरोध करती है।
  6. अंतिम प्रतिक्रिया– प्लेटफॉर्म मान ले तो मामला समाप्त, वरना एजेंसी शो-कॉज़ नोटिस जारी करती है।
  7. अंतिम कार्रवाई– शो-कॉज़ नोटिस के उत्तर पर एजेंसी निर्णय लेती है। अस्वीकार होने पर आईटी नियम, 2021 के नियम 7 के तहत कार्रवाई की जाती है और प्लेटफॉर्म की सेफ हार्बर सुरक्षा (Section 79) समाप्त हो सकती है।

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