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वैज्ञानिकों ने फेरोमोन की खोज की जो टिड्डियों के झुंड का कारण बनता है (Scientists Find Pheromone that Causes Locusts to Swarm) | UPSC

Scientists Find Pheromone that Causes Locusts to Swarm

Scientists Find Pheromone that Causes Locusts to Swarm

Scientists Find Pheromone that Causes Locusts to Swarm – 

संदर्भ:

चीन के वैज्ञानिकों ने टिड्डियों के झुंड बनने की प्रक्रिया को नियंत्रित करने का एक नया तरीका खोजा है, जिसमें उनकी फेरोमोन प्रणाली (गंध संकेतों) में बदलाव करके उनके समूह व्यवहार को रोका जा सकता है। यह खोज पर्यावरण के अनुकूल टिड्डी नियंत्रण की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति मानी जा रही है, जिससे कीटनाशकों पर निर्भरता घटेगी और फसल सुरक्षा के लिए स्थायी समाधान मिल सकेगा।

टिड्डियों (Locusts) के प्रकोप: मुख्य तथ्य

  • टिड्डियों के झुंड (locust swarms) ऐतिहासिक रूप से कृषि को भारी नुकसान पहुंचाते रहे हैं।
  • ये कीट सामूहिक रूप से हजारों हेक्टेयर फसलों को कुछ ही दिनों में चट कर जाते हैं।

महत्वपूर्ण घटनाक्रम:

  • 2019–2020 में पूर्वी अफ्रीका, पाकिस्तान और भारत में टिड्डियों का हमला 25 वर्षों में सबसे भयावह था।
  • इसने फसलों की भारी बर्बादी की और किसानों की आजीविका पर संकट खड़ा कर दिया।

परंपरागत नियंत्रण विधियां:

  • आमतौर पर सिंथेटिक कीटनाशकों (pesticides) का उपयोग किया जाता है।
  • ये रसायन न केवल टिड्डियों को मारते हैं, बल्कि मिट्टी की उर्वरता, पर्यावरण और खाद्य सुरक्षा को भी नुकसान पहुंचाते हैं।

वर्तमान चुनौतियाँ और शोध दिशा:

  • पर्यावरणअनुकूल (eco-friendly) विकल्पों की तलाश जारी है।
  • जैविक कीटनाशकों, फसल विविधता, और प्राकृतिक शत्रुओं के उपयोग जैसे उपायों पर शोध हो रहा है।

ग्रेगेरियसनेस बिहेवियर: टिड्डियों में सामाजिक झुकाव

परिभाषा: ग्रेगेरियसनेस एक सामाजिक व्यवहार है, जिसमें कई जानवर, पक्षी और कीट (जैसे टिड्डी) बड़ी संख्या में संगठित होकर सहयोग करते हैं और प्रतिस्पर्धा के बजाय मिलकर जीवित रहने की रणनीति अपनाते हैं।

टिड्डियों में व्यवहार: टिड्डियाँ जब एक साथ झुंड में चलती हैं, तो वे खेतों को नष्ट करने की भयावह क्षमता रखती हैं। यह व्यवहार उनके बीच एक रासायनिक संचार (chemical signaling) के कारण होता है।

4-विनायलऐनिसोल (4VA):

  • यह एक फेरोमोन है — यानी ऐसा रसायन जिसे टिड्डियाँ बाहर निकालती हैं और जो उनकी ही प्रजाति के अन्य सदस्यों में सामाजिक प्रतिक्रिया पैदा करता है।
  • 2020 में वैज्ञानिकों ने पाया कि जब टिड्डी भोजन करती है, तो वह अपने पिछले पैरों से बड़ी मात्रा में 4VA छोड़ती है।
  • यह हवा में फैलकर अन्य टिड्डियों को आकर्षित करता है।

झुंड बनाने की प्रक्रिया:

  1. 4VA फैलते ही आस-पास की टिड्डियाँ एकत्र होने लगती हैं।
  2. वे आपस में पैर रगड़ती हैं (hind leg rubbing)।
  3. इससे उनके शरीर में सेरोटोनिन नामक न्यूरोट्रांसमीटर रिलीज़ होता है, जो झुंड बनने (swarming) की प्रक्रिया को ट्रिगर करता है।

टिड्डी नियंत्रण के लिए प्रस्तावित पाँचचरणीय रणनीति

वैज्ञानिकों ने 4-vinylanisole (4VA) फेरोमोन के उपयोग को आधार बनाकर एक प्रभावशाली और पर्यावरण-अनुकूल रणनीति प्रस्तावित की है।

  1. फेरोमोन ट्रैपिंग: 4VA या उसके कृत्रिम विकल्पों का उपयोग कर टिड्डियों को एक निर्दिष्ट क्षेत्र (trapping area) में आकर्षित किया जाएगा।
  • वहां फंगल रोगाणु (fungal pathogens) या सीमित मात्रा में कीटनाशक का प्रयोग करके उन्हें खत्म किया जाएगा।
  1. झुंड बनने से रोकना (Anti-Aggregation): 4VA को रणनीतिक रूप से फैलाकर टिड्डियों को आपस में एकत्रित होने से रोका जाएगा।
  • यह ग्रेगेरियसनेस बिहेवियर को बाधित करेगा, जिससे टिड्डी झुंड नहीं बना पाएंगे।
  1. निगरानी और चेतावनी (Monitoring): 4VA की उपस्थिति को ट्रैक करके टिड्डियों की आबादी की गतिशीलता (population dynamics) पर नजर रखी जा सकेगी।
  • इससे संभावित हमलों की पूर्व चेतावनी मिल सकेगी।
  1. जीनसंशोधित टिड्डियों का प्रयोग: Genetically Modified (GM) टिड्डियों को खेतों में छोड़कर ऐसी आबादी तैयार की जाएगी जो गैरझुंड प्रवृत्ति (non-gregarious) वाली हो।
  • इससे भविष्य में झुंड बनने की प्रवृत्ति को कमजोर किया जा सकेगा।
  1. संयुक्त रणनीति: छोटे अणु नियामकों (small-molecule regulators) और जैविक कीटनाशकों (biopesticides) का संयुक्त रूप से उपयोग किया जाएगा।
  • यह रासायनिक व जैविक नियंत्रण का संतुलित तरीका होगा, जिससे प्रभावी लेकिन पर्यावरणसम्मत नियंत्रण सुनिश्चित होगा।

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