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प्रतिभूति लेनदेन कर (Securities Transaction Tax) | Apni Pathshala

Securities Transaction Tax

Securities Transaction Tax

संदर्भ:

भारत की सुप्रीम कोर्ट ने Securities Transaction Tax (STT) की संवैधानिक वैधता पर एक याचिका की जांच करने का फैसला किया है। STT एक प्रत्यक्ष कर है, जो सूचीबद्ध स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से होने वाले सिक्योरिटी लेनदेन पर लगाया जाता है और इसे Finance Act, 2004 के तहत लागू किया गया है।

Securities Transaction Tax (STT) के बारे में:

पृष्ठभूमि:

  • वित्त अधिनियम 2004 ने Securities Transaction Tax (STT) पेश किया, ताकि वित्तीय बाजार में होने वाले लेन-देन से कर संग्रहण सरल और प्रभावी हो सके।
  • इसका उद्देश्य था कि लोग स्टॉक्स की बिक्री से होने वाले लाभ (Capital Gains) को छिपाकर कर चोरी न कर सकें।

STT क्या है?

  • STT एक प्रत्यक्ष कर है, जो भारत में मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध हर खरीद और बिक्री लेन-देन पर लगाया जाता है।
  • यह लेन-देन मूल्य के ऊपर अतिरिक्त राशि के रूप में लगाया जाता है, जिससे ट्रांज़ैक्शन का कुल मूल्य बढ़ता है।

नियमन:

  • STT, Securities Transaction Tax Act (STT Act) द्वारा नियंत्रित है।
  • STT Act में उन लेन-देन की स्पष्ट सूची है, जिन पर STT लगाया जा सकता है।

STT दर:

  • सरकार द्वारा तय की जाती है और आवश्यकतानुसार संशोधित की जा सकती है।

कर योग्य प्रतिभूतियाँ (Taxable Securities):

  1. शेयर, स्क्रिप, स्टॉक्स, बॉन्ड और डिबेंचर्स
  2. डेरिवेटिव्स (Futures और Options)
  3. म्यूचुअल फंड और अन्य सामूहिक निवेश योजनाओं की यूनिट्स
  4. सरकारी प्रतिभूतियाँ (Equity Nature वाली)
  5. Equity-oriented म्यूचुअल फंड यूनिट्स
  6. प्रतिभूतियों में अधिकार या हित
  7. Securitised Debt Instruments

संवैधानिक चुनौती के आधार :

मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन:

  • STT को अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 19(1)(g) (व्यवसाय करने की स्वतंत्रता) के साथ-साथ अनुच्छेद 21 में निहित आजीविका के अधिकार का उल्लंघन माना गया है।

व्यवसाय पर कर (Tax on the Act of Profession):

  • याचिका में बताया गया कि STT भारत में एकमात्र ऐसा कर है जो सिर्फ व्यवसाय करने के लिए लगाया जाता है, चाहे लाभ हो या हानि।
  • इसे दंडात्मक और रोकने वाला कर बताया गया है, जो वैध बाजार भागीदारी को हतोत्साहित करता है।

दोहरी कराधान की चिंता :

  • STT के कारण दोहरी कराधान होती है, क्योंकि व्यापारी पहले से ही Capital Gains Tax का भुगतान कर चुके होते हैं।
  • STT का अतिरिक्त लगना संवैधानिक रूप से अनुचित बताया गया है।

रिफंड तंत्र का अभाव (Lack of Refund Mechanism):

  • TDS की तरह, वार्षिक आयकर में समायोजित या रिफंड किया जा सकता है, STT किसी स्थिति में रिफंड या समायोजन योग्य नहीं है, भले ही व्यापारी घाटे में हो।
  • इस असमानता के कारण इसे मनमाना और अन्यायपूर्ण माना गया है।

STT Collection में जबरदस्त बढ़ोतरी:

सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (STT) की संग्रह राशि में 75% से अधिक की बढ़ोतरी देखी गई है।

  • 2025 (12 जनवरी तक): ₹44,538 करोड़
  • 2024 (समान अवधि): ₹25,415 करोड़

यह बढ़ोतरी बाजार गतिविधियों में वृद्धि और वित्तीय लेन-देन के विस्तार को दर्शाती है।

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