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बांग्लादेश में राजनीतिक संकट, विस्तार

चर्चा में क्यों ?

बांग्लादेश में पिछले महीने से जारी जोरदार विरोध-प्रदर्शन और हिंसा ( protests and violence) के बाद, अंततः शेख हसीना (Sheikh Hasina) को प्रधानमंत्री पद (Prime Minister) से इस्तीफा देना पड़ा। स्थिति इतनी खराब हो गई कि उन्हें देश छोड़ना पड़ा और आम जनता ने उनके सरकारी आवास (official residence) पर पहुचकर तोड़-फोड़ की और सरकार के खिलाफ अपना विरोध जताया ।

भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने लोकसभा में कहा- बांग्लादेश में 5 अगस्त को हालात खराब हो गए। प्रदर्शन हिंसक हो गए। प्रदर्शनकारी सत्ता में बैठे नेताओं की प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाने लगे। सिक्योरिटी ऑफिशियल्स के बातचीत के बाद शेख हसीना भारत आ गईं।” आगे वो यह से लंदन में शरण मांगी है ।

बांग्लादेश में तीनों सेनाओं के चीफ से बैठक के बाद राष्ट्रपति ने संसद भंग की।

मुख्य बिन्दु :

  • राष्ट्रपति ने जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री और विपक्षी नेता खालिदा जिया को रिहा करने का आदेश दिया है। उन्हें 2018 में भ्रष्टाचार से जुड़े एक मामले में 17 साल की सजा सुनाई गई थी।
  • प्रदर्शनकारियों ने सोमवार को प्रधानमंत्री आवास में घुसपैठ की, जहां तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाएं हुईं।
  • राजधानी ढाका में सोमवार को 4 लाख लोग सड़कों पर उतर आए, और विभिन्न स्थानों पर तोड़फोड़ की।
  • पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़पों में सोमवार को 6 लोग मारे गए। प्रदर्शनकारियों ने दो हाईवे पर कब्जा कर लिया। अब तक 300 लोगों की जान जा चुकी है, जिनमें ज्यादातर छात्र हैं।
  • भारत में बीएसएफ ने पश्चिम बंगाल, मेघालय, त्रिपुरा, असम और मिजोरम से लगी भारत-बांग्लादेश सीमा पर सुरक्षा कड़ी कर दी है।
  • बांग्लादेश की सेना ने देश की प्रमुख पार्टियों के नेताओं के साथ बैठक की। इसमें 18 सदस्यीय अंतरिम सरकार के गठन का प्रस्ताव रखा गया।
  • भारत ने बांग्लादेश जाने वाली सभी ट्रेनें रद्द कर दी हैं। एयर इंडिया और इंडिगो ने ढाका जाने वाली नियमित उड़ानों को रद्द कर दिया है।
  • विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार शाम प्रधानमंत्री मोदी को हालात की जानकारी दी। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी विदेश मंत्री से मुलाकात की।

बांग्लादेश में विरोध की वजह

  • प्रदर्शन की शुरुआत (Start of protests): पिछले महीने छात्रों के एक गुट ने 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले सैनिकों के परिवारों को सरकारी नौकरियों में दिए जा रहे 30% आरक्षण (reservation) को खत्म करने की मांग उठाई।
  • सुप्रीम कोर्ट का आदेश (Supreme Court order): हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जिसने आदेश दिया कि पूर्व सैनिकों के परिवारों का आरक्षण घटाकर 5% किया जाए और 93% नौकरियां मेरिट के आधार पर दी जाएं। 2% कोटा जातीय अल्पसंख्यकों (minorities), ट्रांसजेंडर (transgenders) और विकलांग लोगों (disabled people) के लिए रखा जाए।
  • सरकार की प्रतिक्रिया (Government response): शेख हसीना की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्वीकार कर लिया।
  • प्रदर्शनकारियों की मांग (Demand of protesters): प्रदर्शनकारी इस बात पर अड़े रहे कि देश भर में हुई हिंसा (violence) के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया जाए। उनका आरोप था कि सरकार ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बल प्रयोग किया, जिससे हिंसा भड़की।
  • शेख हसीना का रूख (Sheikh Hasina’s stance): प्रदर्शनकारी (protesters) लगातार शेख हसीना के इस्तीफे की मांग करते रहे, लेकिन शेख हसीना ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया। उन्होंने प्रदर्शनकारियों को आतंकवादी कहा और उनके खिलाफ सख्त रुख अपनाया।

शेख़ हसीना का देश छोड़ने के पीछे के अन्य कुछ कारण (Some other reasons behind Sheikh Hasina leaving the country):

  • शांतिपूर्ण छात्र प्रदर्शन का राष्ट्रव्यापी आंदोलन में बदलना (Peaceful student protest turning into a nationwide movement) – स्वतंत्रता सेनानियों के लिए 30% आरक्षण (reservation) के खिलाफ शांतिपूर्ण छात्र विरोध सरकार की कड़ी कार्रवाई के कारण एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन (nationwide movement) में बदल गया।
  • आर्थिक विकास की धीमी गति (Slow economic growth) – शेख़ हसीना के शासन के तहत बांग्लादेश ने तेजी से आर्थिक प्रगति की। देश की प्रति व्यक्ति आय एक दशक में तीन गुना बढ़ गई, और विश्व बैंक का अनुमान है कि पिछले 20 वर्षों में 25 मिलियन से अधिक लोग गरीबी से बाहर आए। हालांकि, 2020 में महामारी और बाद में धीमी वैश्विक अर्थव्यवस्था ने कपड़ा उद्योग (textile industry)को बुरी तरह प्रभावित किया, जिससे बेरोज़गारी (unemployment), महंगाई (inflation) और बांग्लादेशी जनता की नाराजगी (resentment) बढ़ गई।
  • लोकतांत्रिक मूल्यों का कमजोर होना (Weakening of democratic values) – 2014, 2018 और 2024 के संसदीय चुनाव विवादास्पद (controversial) और गैर-भागीदार थे, क्योंकि इनमें कम मतदान, हिंसा (violence) और विपक्षी दलों (opposition parties) द्वारा बहिष्कार शामिल था।
  • सख्त शक्ति पर निर्भरता (Reliance on hard power) –शेख़ हसीना की सरकार ने नियंत्रण बनाए रखने के लिए सख्त शक्ति का अधिक उपयोग किया। इससे डर और दमन का माहौल (fear and repression) बना। उदाहरण के लिए, 2018 का डिजिटल सुरक्षा कानून सरकार और सत्ताधारी पार्टी के कार्यकर्ताओं के लिए आलोचकों को चुप कराने और ऑनलाइन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने का एक प्रभावी उपकरण बन गया।
  • आर्थिक असमानता का बढ़ना (Widening economic inequality) – बैंकों में धोखाधड़ी (frauds) और बढ़ती सूची के साथ, साथ ही भ्रष्टाचार ने सार्वजनिक असंतोष को बढ़ावा दिया, भले ही आर्थिक प्रगति जारी रही। उदाहरण के लिए, CLC पावर, वेस्टर्न मरीन शिपयार्ड, और रेमेक्स फुटवियर जैसे कंपनियों ने लोन डिफॉल्टर्स की सूची में शीर्ष स्थान पर रखा, जिनके खराब कर्ज 965 करोड़ से 1,649 करोड़ बांग्लादेशी टाका तक थे।

2024 के चुनाव मे विपक्ष के द्वारा चुनाव का बहिष्कार (Opposition boycott of 2024 elections):

  • चुनाव परिणाम (Election Results): जनवरी 2024 में हुए लोकसभा चुनावों में अवामी लीग (Awami League) और उसके सहयोगी दलों को 225 सीटों पर जीत मिली, जिसमें से अकेले अवामी लीग ने 222 सीटों पर कब्जा जमाया।
  • विपक्ष का बहिष्कार (Opposition boycott): मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने चुनाव का बहिष्कार कर दिया था।
  • बहिष्कार का कारण (Reason for boycott): बीएनपी के चुनाव बहिष्कार का मुख्य कारण था कि प्रधानमंत्री शेख हसीना ने चुनाव कराने के लिए कार्यवाहक सरकार को अधिकार हस्तांतरित करने से इनकार कर दिया।
  • शेख हसीना का कार्यकाल (Sheikh Hasina’s tenure): यह पांचवा मौका था जब शेख हसीना ने बांग्लादेश के प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली।
  • चुनाव की वैधता पर सवाल (Questions on the legitimacy of the election): विपक्षी दलों और कई अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों ने चुनाव की वैधता पर सवाल उठाए, इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए हानिकारक बताया।
  • सरकार की स्थिरता (Government stability): इतनी बड़ी जीत के बावजूद, अवामी लीग को देश में बढ़ती असंतोष और विरोध प्रदर्शनों का सामना करना पड़ा, खासकर छात्रों और युवाओं के बीच।
  • अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया (International reaction): कई देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने बांग्लादेश की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की स्थिति पर चिंता व्यक्त की और चुनाव प्रक्रिया की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर सवाल उठाए।

बांग्लादेश की राजनीति में सेना का दखल (Military intervention in Bangladesh politics)

  • शेख हसीना का देश छोड़ना (Sheikh Hasina leaves the country): शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद, आर्मी प्रमुख जनरल (Army Chief General) वेकर-उज़-ज़मां (Wakar-uz-Zaman) ने मीडिया को बताया कि सेना देश के अंदर अंतरिम (interim government) सरकार बनाएगी।
  • सेना का पूर्व दखल (Military intervention in the past): बांग्लादेश की राजनीति में पहले भी सैन्य तानाशाहों का दखल रहा है। 1975 से 1991 तक सेना का शासन रहा था।
  • 1975 की तख्ता पलट (1975 coup): 1975 में सेना ने तख्ता पलट किया और शेख मुजीबुर रहमान (Sheikh Mujibur Rahman) और उनके परिवार के अधिकतर सदस्यों की हत्या कर दी। इस भयावह घटना में शेख हसीना (Sheikh Hasina) और उनकी छोटी बहन ही बच पाई थीं, क्योंकि वह बांग्लादेश से बाहर थीं।
  • शेख हसीना की वापसी (Return of Sheikh Hasina): 1981 में शेख हसीना बांग्लादेश (Bangladesh) लौटीं और अपने पिता द्वारा बनाई गई पार्टी अवामी लीग (Awami League) की नेता बनीं।
  • सेना की भूमिका (Role of the army): जनरल वेकर-उज़-ज़मां ने कहा कि सेना देश में स्थिरता बनाए रखने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को सुनिश्चित करने के लिए अंतरिम सरकार बनाएगी।
  • अंतरिम सरकार का उद्देश्य (Purpose of the interim government): अंतरिम सरकार का उद्देश्य नए और निष्पक्ष चुनाव कराना और देश में कानून-व्यवस्था बनाए रखना है।
  • अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया (International reaction): अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने सेना के हस्तक्षेप पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं दीं। कुछ ने इसे आवश्यक कदम माना, जबकि अन्य ने इसे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के लिए खतरा बताया।
  • भविष्य की चुनौतियाँ (Future challenges): बांग्लादेश की सेना को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि उनका हस्तक्षेप लोकतांत्रिक मूल्यों और नागरिक अधिकारों के प्रति सम्मान बनाए रखते हुए, एक स्थिर और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया को बढ़ावा दे।

बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के पक्ष में अमेरिका (America in favor of interim government in Bangladesh):

  • अमेरिका की प्रतिक्रिया (America’s response): अमेरिका ने बांग्लादेश में उत्पन्न राजनीतिक संकट (political crisis) पर पहली बार प्रतिक्रिया दी है। ढाका ट्रिब्यून (Dhaka Tribune) के मुताबिक, अमेरिका ने अंतरिम सरकार बनाने के निर्णय का स्वागत किया है।
  • कानूनों के अनुसार बदलाव (Changes according to laws): अमेरिका ने कहा कि बांग्लादेश में कोई भी बदलाव वहां के कानूनों के मुताबिक ही होने चाहिए।
  • अमेरिकी समर्थन (American support): अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर (Matthew Miller) ने कहा कि अमेरिका बांग्लादेश के लोगों के साथ खड़ा है।
  • हिंसा से बचने की अपील (Appeal to avoid violence): मैथ्यू मिलर (Matthew Miller) ने सभी पक्षों से हिंसा से बचने की अपील की है ताकि देश में शांति और स्थिरता बनी रहे।
  • अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण (International view): अमेरिका के इस समर्थन से अंतरराष्ट्रीय समुदाय (international community) में यह संदेश गया है कि वे बांग्लादेश की स्थिरता और लोकतांत्रिक प्रक्रिया (stability and democratic process) को बनाए रखने के पक्ष में हैं।
  • लोकतंत्र और मानवाधिकार (Democracy and Human Rights): अमेरिका ने यह भी स्पष्ट किया कि वे बांग्लादेश में लोकतंत्र और मानवाधिकारों की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध हैं और इस दिशा में सकारात्मक कदमों का समर्थन करेंगे।

बांग्लादेश के राजनीतिक संकट का भारत पर असर (Impact of Bangladesh’s political crisis on India):

  • व्यापारिक संबंधों पर असर (Impact on trade relations): बांग्लादेश और भारत के बीच बड़े पैमाने पर लेनदेन (large scale transaction) होता है। पड़ोसी देश में चल रहे राजनीतिक संकट के कारण भारत के कारोबार पर भी असर हो सकता है।
  • आयातित वस्त्रों पर प्रभाव (Impact on imported textiles): भारत में बांग्लादेश से कई चीजों का आयात होता है, जिनमें कपड़े (clothes), जूट (jute), जूट के सामान (jute goods), कृषि उत्पाद (agricultural products), चमड़े के सामान ( leather goods), प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ और फल-सब्जियां शामिल (processed food items and fruits and vegetables) हैं।
  • कपड़ा और परिधान की मांग (Demand for textiles and apparel): केवल भारत में ही नहीं बल्कि बांग्लादेश से कई देशों में कपड़ा और परिधान की मांग की जाती है। अच्छी गुणवत्ता और प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण के कारण बांग्लादेश से बुना हुआ कपड़ा और तैयार वस्त्र भारत में बड़े स्तर पर आयात किए जाते हैं।
  • कपड़ा बाजार पर प्रभाव (Impact on textile market): पड़ोसी देश में राजनीतिक संकट के कारण भारत का कपड़ा बाजार बड़े स्तर पर प्रभावित हो सकता है।
  • व्यापारिक अनुबंधों में अस्थिरता (Instability in trade contracts): राजनीतिक संकट के कारण बांग्लादेश में उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान आ सकता है, जिससे भारतीय कंपनियों के व्यापारिक अनुबंधों में अस्थिरता आ सकती है।
  • प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भरता (Dependence on natural resources): बांग्लादेश से आयातित जूट और कृषि उत्पादों पर निर्भरता के कारण भारत में इन वस्तुओं की कमी हो सकती है, जिससे घरेलू बाजार में कीमतों में वृद्धि हो सकती है।
  • दीर्घकालिक प्रभाव (Long-term impact): यदि बांग्लादेश में राजनीतिक संकट लंबा खिंचता है, तो इसका दीर्घकालिक प्रभाव भारतीय व्यवसायों और उपभोक्ताओं पर पड़ सकता है, जिससे दोनों देशों के आर्थिक संबंधों पर भी असर पड़ेगा।

भारत- बांग्लादेश, आयात और निर्यात (India-Bangladesh, Import and Export)

  • भारत से निर्यात (Exports from India): पिछले वित्त वर्ष में भारत से बांग्लादेश को 10.63 बिलियन डॉलर ($63 billion) का निर्यात किया गया।
  • भारत में आयात (Imports to India): बांग्लादेश से भारत का आयात 1.86 बिलियन डॉलर ($86 billion) रहा।

शेख हसीना के शासनकाल में भारत-बांग्लादेश संबंधों की प्रगति (Progress of India-Bangladesh relations during Sheikh Hasina’s reign):

शेख हसीना के शासनकाल में नई दिल्ली और ढाका के बीच संबंध मजबूत हुए। उनके 15 साल के शासन के दौरान भारत-बांग्लादेश संबंध गहरे रहे है ।

  • मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreement): शेख हसीना के शासनकाल के दौरान भारत और बांग्लादेश ने एक मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के लिए बातचीत शुरू की, जो दोनों देशों के लिए फायदेमंद होगा। एफटीए से भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापारित वस्तुओं पर कस्टम शुल्क कम या समाप्त हो जाएगा और व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए मानदंडों में ढील दी जाएगी।
  • भारत विरोधी आतंकवादी समूहों का उन्मूलन (Eradication of anti-India terrorist groups): 2001-06 के दौरान बीएनपी-जमात शासन में बांग्लादेश में सुरक्षित ठिकानों से संचालित होने वाले भारत विरोधी आतंकवादी समूहों और उनके समर्थक जमात-ए-इस्लामी (Jamaat-e-Islami) बांग्लादेश को शेख हसीना के सत्ता में लौटने के बाद समाप्त कर दिया गया।
  • द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि (Growth in bilateral trade): शेख हसीना के शासनकाल में भारत-बांग्लादेश द्विपक्षीय व्यापार संबंध गहरे हो गए। वित्त वर्ष 2023-24 में भारत-बांग्लादेश द्विपक्षीय व्यापार 13 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जिसमें बांग्लादेश भारतीय उपमहाद्वीप में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया। भारत ने 2011 से दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र (SAFTA) के तहत सभी टैरिफ लाइनों पर बांग्लादेश को शुल्क-मुक्त कोटा पहुंच प्रदान किया, तंबाकू और शराब को छोड़कर।
  • भूमि सीमा समझौता (Land Boundary Agreement (2015): भारत और बांग्लादेश ने विवादित द्वीपों का आदान-प्रदान किया और निवासियों को अपने देश का चयन करने की अनुमति दी। इससे भारत और बांग्लादेश के बीच लंबे समय से चल रहे विवाद का समाधान हुआ।
  • बढ़ी हुई कनेक्टिविटी परियोजनाएँ (Enhanced connectivity projects): शेख हसीना के शासनकाल में भारत और बांग्लादेश ने कई बुनियादी ढांचा और कनेक्टिविटी परियोजनाएँ विकसित कीं। कुछ प्रमुख परियोजनाएँ हैं:
  • नवंबर 2023 में अखौरा-अगरतला क्रॉस-बॉर्डर रेल लिंक (Akhaura-Agartala cross-border rail link) और खुलना-मोंगला पोर्ट रेल लाइन (Khulna-Mongla Port rail line)का उद्घाटन।
  • भारत के मुख्य भूमि और पूर्वोत्तर के बीच कार्गो की आवाजाही को आसान बनाने के लिए चटगाँव और मोंगला बंदरगाहों (Chittagong and Mongla ports) के उपयोग के लिए समझौता।
  • 2016 से बांग्लादेश को सड़क, रेल, शिपिंग और बंदरगाह बुनियादी ढांचे के विकास के लिए भारत द्वारा 8 बिलियन डॉलर की तीन ऋण रेखाओं का विस्तार।
  • ऊर्जा सहयोग (Energy Cooperation): शेख हसीना के शासनकाल में भारत और बांग्लादेश के बीच ऊर्जा सहयोग गहरा हुआ। बांग्लादेश भारत से लगभग 2,000 मेगावाट बिजली का आयात करता है। भारत-बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन (The India-Bangladesh Friendship Pipeline), जो पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी और बांग्लादेश के परबतीपुर को जोड़ती है, बांग्लादेश को एक मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष (MMTPA) हाई-स्पीड डीजल का परिवहन करेगी।
  • पर्यटन क्षेत्र (Tourism Sector): भारत में आने वाले पर्यटकों में बड़ी संख्या बांग्लादेशियों की होती है। 2017 में, बांग्लादेश से आने वाले पर्यटकों की संख्या पश्चिमी यूरोप से आने वाले सभी पर्यटकों से अधिक थी।
  • सांस्कृतिक आदान-प्रदान (Cultural Exchange): शेख हसीना के शासनकाल में भारत और बांग्लादेश के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान के कार्यक्रम भी बढ़े। संगीत, नृत्य, और साहित्यिक कार्यक्रमों के माध्यम से दोनों देशों के लोग एक-दूसरे की संस्कृति को और बेहतर तरीके से समझ सके।

भारत के लिए बांग्लादेश का महत्व (Importance of Bangladesh for India):

  • भौगोलिक रणनीति (Geopolitical): बांग्लादेश भारत के पूर्वी पड़ोसी के रूप में महत्वपूर्ण भौगोलिक रणनीतिक महत्व रखता है। बांग्लादेश भारत को बंगाल की खाड़ी (Bay of Bengal) तक पहुंच प्रदान करता है और दक्षिण पूर्व एशिया के साथ व्यापार और कनेक्टिविटी (trade and connectivity) के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग है।
  • आतंकवाद निरोध और सीमा सुरक्षा मे सहयोग (Cooperation in counterterrorism and border security): एक स्थिर और मित्रवत बांग्लादेश भारत की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। आतंकवाद निरोध और सीमा सुरक्षा जैसे मुद्दों पर भौगोलिक राजनीतिक सहयोग दक्षिण एशियाई क्षेत्र (South Asian region) में शांति बनाए रखने के लिए आवश्यक है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए भारत की बोली में बांग्लादेश का समर्थन महत्वपूर्ण है।
  • आर्थिक (Economic): बांग्लादेश भारत के निर्यात और द्विपक्षीय व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्था है। भारत-बांग्लादेश आर्थिक संबंधों का गहरा होना भारत के नए विदेशी व्यापार नीति के तहत 5 ट्रिलियन डॉलर ($5 trillion economy) की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है।
  • सांस्कृतिक और सभ्यतागत (Cultural and Civilisational): बांग्लादेश में बड़ी संख्या में हिंदू बंगाली (Hindu Bengali) जनसंख्या है और इसमें भारत से संबंधित कई धार्मिक-सांस्कृतिक स्थल हैं जैसे रानीर बंगला मंदिर, भोज विहार।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग (International cooperation): भारत और बांग्लादेश के बीच सक्रिय सहयोग क्षेत्रीय मंचों जैसे BIMSTEC (Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation), SAARC (South Asian Association for Regional Cooperation) और UNFCCC के COPs की सफलता के लिए महत्वपूर्ण है।
  • जल संसाधन प्रबंधन (Water resource management): गंगा, ब्रह्मपुत्र और मेघना जैसी नदियाँ भारत और बांग्लादेश के बीच बहती हैं, इसलिए जल संसाधन प्रबंधन और नदी जल बंटवारे पर सहयोग दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण है।
  • प्रवास और श्रमिक (Migration and labour): बांग्लादेश से भारत में प्रवास और श्रमिकों का प्रवाह होता है, जो दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं और समाजों पर प्रभाव डालता है। इन मुद्दों पर बेहतर सहयोग और नीति-निर्धारण आवश्यक है।

भारत-बांग्लादेश संबंधों में अन्य चुनौतियाँ (Other Challenges in India-Bangladesh Relations):

  • रोहिंग्या निर्वासन (Rohingya Deportation): रोहिंग्या शरणार्थियों को म्यांमार वापस भेजने के मामले में भारत और बांग्लादेश के परस्पर हितैषी रहे हैं। भारत पहले अपने क्षेत्र से निर्वासन को प्राथमिकता देना चाहता है और बाद में बांग्लादेश से म्यांमार निर्वासन (deportation) की सुविधा प्रदान करना चाहता है।
  • सीमा पार आतंकवाद और घुसपैठ (Cross-border terrorism and infiltration): बांग्लादेश सीमा के माध्यम से सीमा पार आतंकवाद और घुसपैठ ने भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए अतिरिक्त खतरे पैदा कर दिए हैं। सीमा जिलों में सशस्त्र डकैती (Armed robbery), नकली मुद्रा स्थानांतरण (counterfeit currency transfer), मवेशी तस्करी और वेश्यावृत्ति (cattle smuggling and prostitution) ने भी भारत में आंतरिक सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा दिया है।
  • मादक पदार्थों की तस्करी (Drug Trafficking): 2007 की अंतर्राष्ट्रीय मादक नियंत्रण बोर्ड (INCB) की रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश से होकर भारत में मादक पदार्थों की तस्करी (drug trafficking), दक्षिण एशिया से यूरोप तक हेरोइन की तस्करी का मुख्य मार्ग बना हुआ है।
  • बांग्लादेश में बढ़ता चीनी प्रभाव (Growing Chinese influence in Bangladesh): बांग्लादेश बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) में एक सक्रिय भागीदार है। चीन ने बांग्लादेशी बुनियादी ढांचे में काफी निवेश किया है, जिसमें 12 राजमार्ग, 21 पुल और 27 बिजली और ऊर्जा परियोजनाएँ शामिल हैं। बांग्लादेश में चीन की बढ़ती भागीदारी भारत की क्षेत्रीय स्थिति को कमजोर कर सकती है और इसके रणनीतिक लक्ष्यों में बाधा डाल सकती है।
  • सीमा पार दोनों तरफ अल्पसंख्यकों पर हमले (Attacks on minorities on both sides of the border): बांग्लादेश में बंगला-भाषी हिंदुओं पर जातीय हमले और भारत में बांग्लादेशियों पर हमले ने भारत-बांग्लादेश के P2P (people to people)) और सांस्कृतिक संबंधों में तनाव पैदा किया है।
  • व्यापारिक संतुलन (Trade balance): भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापारिक असंतुलन भी एक चुनौती है। भारत का बांग्लादेश को निर्यात ज्यादा है, जबकि आयात कम है, जिससे बांग्लादेश में असंतोष हो सकता है।

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