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भूकंपीय जोखिम सूक्ष्मक्षेत्रीयकरण (SHM) | Ankit Avasthi Sir

SHM

संदर्भ:

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) ने नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी (NCS) के माध्यम से देश के प्रमुख शहरों और क्षेत्रों का भूकंपीय सूक्ष्म क्षेत्रीकरण (Seismic Microzonation) शुरू किया है। इस पहल का उद्देश्य है भूकंप जोखिम का वैज्ञानिक आकलन कर urban planning, निर्माण मानकों और आपदा प्रबंधन को अधिक प्रभावी बनाना। यह भारत को भूकंपीय खतरों से बेहतर ढंग से निपटने में मदद करेगा।

भूकंपीय जोखिम सूक्ष्मक्षेत्रीयकरण (Seismic Hazard Microzonation – SHM) – संक्षिप्त बिंदु
  • परिभाषा: किसी क्षेत्र को भूगर्भीय, भूकंपीय और भू-तकनीकी आधार पर छोटे-छोटे जोनों में बाँटना ताकि हर क्षेत्र का भूकंप जोखिम स्तर जाना जा सके।
  • उद्देश्य:
    • भूकंप के खतरों का सही मूल्यांकन करना
    • आपदा पूर्व और आपदा के बाद की योजना को मजबूत बनाना
    • GIS आधारित सटीक जानकारी उपलब्ध कराना
  • जिम्मेदार एजेंसी:
    • National Centre for Seismology (NCS)का Seismic Hazard and Risk Assessment (SHRA) यूनिट इस कार्य के लिए उत्तरदायी है।
  • डेटा साझा करना:
    • यह डेटाराज्य और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) को उपलब्ध कराया जाता है।
  • निर्माण मानदंड:
    • NDMA, BIS द्वारा अनुमोदितभूकंप रोधी भवन निर्माण दिशानिर्देशों को बढ़ावा देता है।

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