Sir M. Visvesvaraya
संदर्भ:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मंत्रियों ने 15 सितंबर 2025 को इंजीनियर्स डे पर सर एम. विश्वेश्वरैया को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर नेताओं ने नवाचार, राष्ट्र निर्माण और विकसित भारत के विज़न में इंजीनियरों की अहम भूमिका को रेखांकित किया।
सर एम. विश्वेश्वरैया के बारे में
- जन्म: 15 सितम्बर 1861, मड्डेनहल्ली गाँव, कर्नाटक
- पेशे से: महान सिविल इंजीनियर, राजनेता और विद्वान
- पुरस्कार:
- भारत रत्न (1955) – भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान
- नाइट कमांडर ऑफ़ द ब्रिटिश इंडियन एम्पायर (KCIE), 1915 में किंग जॉर्ज पंचम द्वारा प्रदान किया गया
प्रमुख योगदान
- कृष्णराज सागर (KRS) बाँध: एशिया के सबसे बड़े जलाशयों में से एक के निर्माण में अहम भूमिका निभाई, जिससे मैसूर के मंड्या जिले की कृषि में क्रांतिकारी सुधार हुआ।
- बाढ़ नियंत्रण प्रणाली: 1908 की मूसी नदी की विनाशकारी बाढ़ के बाद हैदराबाद के लिए बाढ़ सुरक्षा प्रणाली तैयार की।
- सार्वजनिक कार्य: विशाखापट्टनम बंदरगाह को समुद्री कटाव से बचाने का नवीन तरीका विकसित किया। 1912 से 1918 तक मैसूर के दीवान (प्रधानमंत्री) रहे और शिक्षा, उद्योग तथा सार्वजनिक कल्याण में कई सुधार किए।
महत्व और उत्सव: भारत में 15 सितम्बर को इंजीनियर्स डे उनके जन्मदिन पर मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य है:
- योगदान का सम्मान: इंजीनियरों की कड़ी मेहनत और उपलब्धियों को पहचानना।
- युवाओं को प्रेरित करना: आने वाली पीढ़ियों को इंजीनियरिंग क्षेत्र में योगदान देने के लिए उत्साहित करना।
- प्रगति पर विचार: यह समझना कि इंजीनियरिंग जीवन की गुणवत्ता सुधारने और आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने में कितनी महत्वपूर्ण है।
निष्कर्ष:
सर एम. विश्वेश्वरैया केवल एक महान इंजीनियर ही नहीं, बल्कि दूरदर्शी नेता भी थे, जिनके विचार आज भी प्रेरणा देते हैं। राष्ट्र निर्माण के प्रति उनका समर्पण, तकनीक और नवाचार की शक्ति को उजागर करता है। इंजीनियर्स डे उनके सम्मान में मनाना हमें याद दिलाता है कि इंजीनियरिंग एक मजबूत और प्रगतिशील भारत की नींव है।