Apni Pathshala

अंतरिक्ष प्रयोगशाला (Space laboratory) | UPSC Preparation

Space laboratory

Space laboratory

संदर्भ:

हाल ही में भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) ने भारत के शैक्षणिक संस्थानों में अंतरिक्ष प्रयोगशालाएं (Space Labs) स्थापित करने के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किए हैं। यह कदम अगली पीढ़ी के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को प्रशिक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

अंतरिक्ष प्रयोगशाला पहल क्या हैं?

‘अंतरिक्ष प्रयोगशाला’ (Antariksh Prayogshala/Space Labs) भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में ‘अकादमिक-उद्योग’ (Academia-Industry) के बीच के अंतर को पाटने की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल है। इस पहल के तहत, भारत के विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में चरणबद्ध तरीके से शैक्षणिक संस्थानों का चयन अंतरिक्ष प्रयोगशाला विकसित करने में किया जाएगा।

  • नेतृत्व: पहल का नेतृत्व भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) कर रहा है, जिसका उद्देश्य देश के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों के भीतर अत्याधुनिक अंतरिक्ष प्रयोगशालाएं स्थापित करना है। 
  • उद्देश्य: छात्रों को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में केवल सैद्धांतिक ज्ञान ही नहीं, बल्कि व्यावहारिक अनुभव (Hands-on training) प्रदान करना।
  • संस्थानों की संख्या: चरणबद्ध तरीके से देश भर में कुल सात (7) संस्थानों का चयन किया जाएगा।
  • क्षेत्रीय संतुलन: संतुलित विकास सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक भौगोलिक क्षेत्र (Zone) से एक संस्थान चुना जाएगा।
  • पात्रता: वे संस्थान जो कम से कम 5 साल पुराने हैं, जिनकी NIRF रैंकिंग 200 के भीतर है और जो अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी से संबंधित कोर्स संचालित कर रहे हैं, आवेदन के पात्र हैं।
  • चयन प्रक्रिया: यह दो चरणों में होगी: प्रारंभिक पात्रता स्क्रीनिंग। इसके बाद एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति (Empowered Committee) द्वारा प्रस्तावों का मूल्यांकन और रैंकिंग।
  • वित्तीय सहायता: IN-SPACe कुल परियोजना लागत का 75% तक (अधिकतम 5 करोड़ रुपये प्रति संस्थान) फंड प्रदान करेगा।
  • निधि वितरण: यह वित्तीय सहायता एक साथ न देकर ‘मील के पत्थर’ (Milestone-linked) के आधार पर किश्तों में दी जाएगी। 
  • स्वतंत्र उपयोग: ये प्रयोगशालाएं न केवल उस संस्थान के छात्रों के लिए, बल्कि क्षेत्र की अन्य गैर-सरकारी संस्थाओं (NGEs) और शोधकर्ताओं के लिए भी उपलब्ध होंगी। 

वैज्ञानिक और आर्थिक महत्व:

  • अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था (Space Economy): भारत का लक्ष्य वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाना है। ये प्रयोगशालाएं ‘उद्योग-तैयार’ (Industry-ready) प्रतिभा पूल तैयार करेंगी, जो निजी अंतरिक्ष स्टार्टअप्स के लिए आवश्यक है।
  • नवाचार और कौशल विकास: प्रयोगशालाएं व्यावहारिक अनुसंधान, शुरुआती चरण के नवाचार और कौशल विकास को सक्षम बनाएंगी, जो ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विजन के अनुरूप है।
  • शैक्षणिक-उद्योग सहयोग: यह पहल अनुसंधान को प्रयोगशालाओं से निकालकर वास्तविक अनुप्रयोगों (Deployable capability) तक ले जाने का काम करेगी। 
  • स्पेस इकोनॉमी: भारत का लक्ष्य अपनी अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को 2033 तक 44 अरब डॉलर तक ले जाना है। यह पहल उस लक्ष्य के लिए आवश्यक कुशल कार्यबल तैयार करेगी।
  • आत्मनिर्भर भारत: यह पहल स्वदेशी उपग्रह डिजाइन, पेलोड विकास और अंतरिक्ष डेटा विश्लेषण में अनुसंधान को बढ़ावा देगी।
  • विशेष: अंतरिक्ष प्रयोगशालाओं के साथ-साथ, ISRO का ‘युवा विज्ञानी कार्यक्रम’ (YUVIKA) स्कूली स्तर पर जागरूकता फैलाने का कार्य कर रहा है। जिसका लक्ष्य ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों के कक्षा 9 के छात्रों में अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति रुचि जगाना है।

Share Now ➤

क्या आपको Apni Pathshala के Courses, RNA PDF, Current Affairs, Test Series और Books से सम्बंधित कोई जानकारी चाहिए? तो हमारी विशेषज्ञ काउंसलर टीम आपकी सिर्फ समस्याओं के समाधान में ही मदद नहीं करेगीं, बल्कि आपको व्यक्तिगत अध्ययन योजना बनाने, समय का प्रबंधन करने और परीक्षा के तनाव को कम करने में भी मार्गदर्शन देगी।

Apni Pathshala के साथ अपनी तैयारी को मजबूत बनाएं और अपने सपनों को साकार करें। आज ही हमारी विशेषज्ञ टीम से संपर्क करें और अपनी सफलता की यात्रा शुरू करें

📞 +91 7878158882

Related Posts

Scroll to Top