Starlink
संदर्भ:
नई दिल्ली में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में स्टारलिंक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। इस दौरान कंपनी की भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में हाई-स्पीड इंटरनेट उपलब्ध कराने की महत्वाकांक्षी योजना पर चर्चा हुई।
- हालांकि यह पहल डिजिटल खाई को पाटने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन इसे कानूनी, नियामकीय और सुरक्षा संबंधी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
भारत में स्टारलिंक पर लागू नियामकीय ढांचे:
- भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885:
- स्टारलिंक को VSAT (Very Small Aperture Terminal) लाइसेंस प्राप्त करना आवश्यक है।
- यह धारा 4 के अंतर्गत आता है, जो संचार सेवाओं पर सरकार को विशेष नियंत्रण प्रदान करता है।
- दूरसंचार नियामक प्राधिकरण अधिनियम, 1997 (TRAI अधिनियम):
- TRAI धारा 11 के तहत लाइसेंसिंग और स्पेक्ट्रम मूल्य निर्धारण पर परामर्श देता है।
- इससे यह तय होता है कि स्टारलिंक भारत में सेवाएं कैसे दे सकता है।
- दूरसंचार अधिनियम, 2023:
- यह अधिनियम स्पेक्ट्रम आवंटन को नियंत्रित करता है, जिसमें स्टारलिंक द्वारा प्रयुक्त Ku और Ka बैंड शामिल हैं।
- स्टारलिंक को मूल्य निर्धारण, सुरक्षा और हस्तक्षेप मानकों का पालन करना अनिवार्य है।
- उपग्रह संचार नीति, 2000 एवं IN-SPACe:
- स्टारलिंक को IN-SPACe (Indian National Space Promotion and Authorisation Centre) के साथ समन्वय करना होगा।
- इसका उद्देश्य है कि स्टारलिंक के उपग्रह भारतीय अंतरिक्ष परिसंपत्तियों में हस्तक्षेप न करें और राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्राथमिकताओं का पालन करें।
- आईटी अधिनियम, 2000 एवं डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023:
- इन कानूनों के तहत स्टारलिंक को साइबर सुरक्षा, वैध डेटा एक्सेस और यूज़र गोपनीयता सुनिश्चित करनी होगी।
- सरकार द्वारा निगरानी और अनुपालन अनिवार्य है।
भारत में स्टारलिंक की एंट्री से जुड़ी चुनौतियाँ:
- VSAT लाइसेंस प्राप्त करने की जटिलता:
- यह प्रक्रिया कठिन और समय लेने वाली है।
- इसमें तकनीकी मूल्यांकन और वित्तीय जांच शामिल होती है, जिसे दूरसंचार विभाग (DoT) करता है।
- स्पेक्ट्रम आवंटन को लेकर विवाद:
- दूरसंचार अधिनियम, 2023 प्रशासनिक रूप से सैटेलाइट स्पेक्ट्रम आवंटन की अनुमति देता है।
- लेकिन TRAI और DoT के बीच मूल्य निर्धारण और उपयोग शर्तों को लेकर असहमति बनी हुई है।
- सुरक्षा मंजूरी लंबित: अब तक गृह मंत्रालय और खुफिया एजेंसियों ने स्टारलिंक को सुरक्षा मंजूरी (security clearance) नहीं दी है।
स्टारलिंक के संभावित लाभ:
- ग्रामीण कनेक्टिविटी:
- स्टारलिंक भारत के 5 लाख गाँवों को इंटरनेट से जोड़ने की क्षमता रखता है।
- इससे दूरदराज के क्षेत्रों में डिजिटल सेवाओं की पहुंच में उल्लेखनीय सुधार हो सकता है।
- आर्थिक विकास:
- इंटरनेट एक्सेस का विस्तार भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को गति देगा।
- इससे नए व्यापारिक अवसर पैदा होंगे और वंचित क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
- प्रौद्योगिकीय प्रगति:
- सैटेलाइट इंटरनेट सेवाओं की शुरुआत अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में नवाचार को प्रेरित करेगी।
- इससे अनुसंधान, विकास और कौशल निर्माण को बढ़ावा मिलेगा।