Submarines
संदर्भ:
भारत सरकार ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, ‘प्रोजेक्ट 75 इंडिया’ के अंतर्गत छह उन्नत पनडुब्बियों के अधिग्रहण हेतु जर्मनी से तकनीकी सहयोग प्राप्त करने के लिए औपचारिक वार्ता आरंभ करने की अनुमति प्रदान की है।
- इस परियोजना के अंतर्गत रक्षा मंत्रालय तथा सार्वजनिक क्षेत्र की प्रतिष्ठित शिपबिल्डिंग कंपनी मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) को जर्मन कंपनी थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स के साथ बातचीत शुरू करने की स्वीकृति दी गई है।
- इस पनडुब्बी की मुख्य विशेषताएँ है एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (Air Independent Propulsion – AIP) है। एक ऐसी तकनीक है, जो पारंपरिक डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों की क्षमता को कई गुना बढ़ा देती है।
पनडुब्बियाँ (Submarines) क्या हैं?
पनडुब्बियाँ विशेष प्रकार की जलयान होती हैं, जो पानी के भीतर लंबे समय तक स्वतंत्र रूप से संचालित हो सकती हैं। इनमें अपना ऑनबोर्ड पावर और सिस्टम होता है, जिसके कारण ये लंबे समय तक पानी के नीचे रह सकती हैं। नौसैनिक युद्ध में इनकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है क्योंकि ये गुप्त (stealthy) और तेज़ होती हैं।
मुख्य कार्य (Main Functions):
- खुफिया जानकारी जुटाना (Intelligence Gathering) – दुश्मन की गतिविधियों और स्थिति की निगरानी करना।
- पनडुब्बी रोधी अभियान (Anti-Submarine Operations) – दुश्मन की पनडुब्बियों का पता लगाना और उन्हें निष्क्रिय करना।
- एंटी-शिप ऑपरेशन्स – दुश्मन के जहाज़ों पर हमला करना।
- स्ट्रैटेजिक डिटरेंस (Strategic Deterrence) – परमाणु हथियारों से लैस पनडुब्बियाँ दुश्मन को रोकने का साधन बनती हैं।
आधुनिक पनडुब्बियों की विशेषताएँ:
- उन्नत नेविगेशन और संचार प्रणाली
- गाइडेड टॉरपीडो और मिसाइल सिस्टम
- सोनाार और सेंसर सूट (Sonars & Sensors)
- बेहतर गोपनीयता (stealth) तकनीक
- लंबे समय तक पानी के नीचे रहने की क्षमता
- एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (Air Independent Propulsion – AIP)
AIP तकनीक (Air Independent Propulsion) क्या है?
एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) एक उन्नत तकनीक है, जो पारंपरिक डीजल–इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों को लंबे समय तक सतह पर आए बिना पानी के भीतर संचालित होने की क्षमता देती है। इसकी मदद से पनडुब्बियाँ 2–3 हफ्तों तक लगातार पानी के नीचे रह सकती हैं, जिससे उनकी गुप्तता (stealth) और रणनीतिक शक्ति कई गुना बढ़ जाती है।
AIP तकनीक की मुख्य विशेषताएँ:
- लंबा अंडरवॉटर संचालन: सतह पर आए बिना हफ्तों तक पानी के भीतर रह सकती है।
- बाहरी ऑक्सीजन की आवश्यकता नहीं: विशेष प्रणालियों से ऑक्सीजन की जरूरत कम हो जाती है।
- कम ध्वनि उत्पादन: बेहद शांत तरीके से चलती है, जिससे दुश्मन के लिए इसका पता लगाना कठिन हो जाता है।
- रणनीतिक लाभ: युद्ध के दौरान पनडुब्बी लंबे समय तक छिपकर निगरानी और हमला कर सकती है।
AIP तकनीक कैसे काम करती है?
- बिजली उत्पादन (Electricity Generation)– AIP सिस्टम बिजली पैदा करता है, जिससे पनडुब्बी का इलेक्ट्रिक मोटर चलता है या बैटरियाँ चार्ज होती हैं।
- सहायक ऊर्जा स्रोत (Auxiliary Power Source)– डीजल इंजन को सपोर्ट करता है, जो केवल सतह पर चलते हैं।
- रीट्रोफिटिंग (Retrofitting)– मौजूदा पनडुब्बियों में AIP मॉड्यूल लगाने के लिए इनके ढांचे में एक अतिरिक्त सेक्शन जोड़ा जा सकता है।
भारत में स्थिति: DRDO ने भी स्वदेशी AIP प्रणाली विकसित की है, जिसे प्रोजेक्ट 75 की स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बियों में लगाने की योजना है।