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Electric Vehicle खरीदने वालों को सब्सिडी देगी UP सरकार

Mains

●   GS II- विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां

●   GS III- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पर्यावरण प्रदूषण

चर्चा में क्यों?

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) को बढ़ावा देने के लिए नई स्कीम की शुरुआत की गई है, जिसके तहत ईवी खरीदने वालों को लाखों रुपये तक की सब्सिडी दी जाएगी। यह स्कीम इस समय चर्चा में है क्योंकि सरकार पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण के प्रयासों को प्रोत्साहित कर रही है। उत्तर प्रदेश सरकार की यह पहल पर्यावरण के साथ साथ आम नागरिकों के लिए भी आर्थिक रूप से लाभकारी साबित होगी।

UP की EV सब्सिडी योजना के मुख्य बिंदु

  • उत्तर प्रदेश सरकार ने अक्टूबर 2023 से ईवी खरीदने वालों के लिए एक नई सब्सिडी योजना शुरू की है।
  • सब्सिडी प्राप्त करने के लिए, वाहन स्वामियों को उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रिक वाहन क्रय सब्सिडी पोर्टल पर आवेदन करना होगा।
  • इसमें दोपहिया वाहनों पर 5,000 रुपये तक की सब्सिडी मिलेगी। चार पहिया वाहनों पर 1 लाख रुपये तक की सब्सिडी का प्रावधान है।
  • ई-बस और ई-गुड्स कैरियर पर भी सब्सिडी दी जाएगी, जिसमें पांच तक की खरीद पर लाभ उठाया जा सकता है।
  • इस योजना के तहत 50,000 से अधिक वाहन स्वामियों को सब्सिडी का लाभ मिलेगा।

EV पर सब्सिडी देने का मुख्य उद्देश्य

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक वाहन (EV) खरीदने वालों को सब्सिडी देने का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण कम करना है। इस योजना का लक्ष्य लोगों को पारंपरिक पेट्रोल-डीजल वाहनों की जगह इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर प्रेरित करना है, जिससे वायु प्रदूषण में कमी लाई जा सके। साथ ही, यह योजना नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने और भविष्य में हरित परिवहन को सुलभ बनाने के लिए बनाई गई है। सब्सिडी के माध्यम से इलेक्ट्रिक वाहनों को आर्थिक रूप से किफायती बनाकर अधिक लोगों को इनके उपयोग के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

इलेक्ट्रिक वाहन (EV) क्या हैं?

इलेक्ट्रिक वाहन (EV) वे वाहन होते हैं जो पारंपरिक ईंधन जैसे पेट्रोल या डीजल की बजाय बिजली से संचालित होते हैं। इनमें एक इलेक्ट्रिक मोटर होती है, जिसे बैटरी के माध्यम से ऊर्जा प्राप्त होती है। यह बैटरी रिचार्जेबल होती है, जिसे चार्जिंग स्टेशनों या घरेलू पावर सॉकेट्स से चार्ज किया जा सकता है।

इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रकार

  • कार (Electric Cars): ये चार पहियों वाले वाहन होते हैं जो बैटरी से चलते हैं। जैसे टेस्ला की इलेक्ट्रिक कारें, टाटा की Nexon EV, और महिंद्रा की e-Verito।
  • बस (Electric Buses): बड़े पैमाने पर यात्री परिवहन के लिए इस्तेमाल की जाने वाली इलेक्ट्रिक बसें होती हैं। जैसे Tata Starbus EV 4, Olectra K9।
  • ट्रक (Electric Trucks): माल और भारी वस्तुओं की ढुलाई के लिए इलेक्ट्रिक ट्रक एक नई दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। जैसे Tata Ultra T.7 Electric, Ashok Leyland Boss 1219 EV।
  • दोपहिया वाहन (Electric Two-Wheelers): इलेक्ट्रिक स्कूटर और मोटरसाइकिलें, जिन्हें आमतौर पर कम दूरी के लिए उपयोग किया जाता है। जैसे Ola Electric S1 X, TVS iQube।

इलेक्ट्रिक वाहनों का विकास

इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) का विकास 19वीं शताब्दी से शुरू होता है। 1830 के दशक में पहली इलेक्ट्रिक गाड़ी का आविष्कार हुआ। 1900 के शुरुआती वर्षों में इलेक्ट्रिक कारें काफी लोकप्रिय थीं, लेकिन पेट्रोल इंजन की तकनीक विकसित होने और पेट्रोलियम की आसान उपलब्धता के कारण इनकी लोकप्रियता घट गई। लेकिन वर्तमान में 21वीं शताब्दी में, पर्यावरणीय चिंताओं के कारण इलेक्ट्रिक वाहनों की लोकप्रियता फिर से बढ़ी। टेक्नोलॉजी में सुधार और सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी और प्रोत्साहन ने इलेक्ट्रिक वाहनों को एक स्थायी और किफायती विकल्प बना दिया है। आज इलेक्ट्रिक वाहन प्रदूषण को कम करने और ईंधन की निर्भरता घटाने का मुख्य साधन बन रहे हैं।

इलेक्ट्रिक वाहनों के फायदे(लाभ)

  • पर्यावरणीय लाभ:
  • शून्य उत्सर्जन: इलेक्ट्रिक वाहन वायु में किसी भी प्रकार के हानिकारक गैसों का उत्सर्जन नहीं करते, जिससे वायु प्रदूषण में उल्लेखनीय कमी आती है।
  • ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी: ईवी का उपयोग ग्रीनहाउस गैसों, जैसे कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन, के उत्सर्जन को कम करता है, जो ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन का प्रमुख कारण है।
  • जलवायु परिवर्तन से लड़ने में मदद: इलेक्ट्रिक वाहनों के व्यापक उपयोग से जलवायु परिवर्तन की गति को धीमा किया जा सकता है, क्योंकि ये वाहनों के पारंपरिक ईंधन से होने वाले प्रदूषण को रोकने में सक्षम हैं।
  • आर्थिक लाभ:
  • कम परिचालन लागत: बिजली की कीमत पेट्रोल और डीजल की तुलना में काफी कम होती है, जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों का संचालन बहुत किफायती होता है।
  • कम रखरखाव लागत: इलेक्ट्रिक वाहनों में पारंपरिक वाहनों की तुलना में कम चलती हुई पार्ट्स होते हैं, जिससे इनके रखरखाव पर खर्च कम आता है।
  • सामाजिक लाभ:
  • शोर प्रदूषण में कमी: इलेक्ट्रिक वाहनों का इंजन पारंपरिक वाहनों की तुलना में काफी कम आवाज करता है, जिससे शहरी इलाकों में शोर प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
  • स्वास्थ्य लाभ: ईवी से वायु प्रदूषण घटने के कारण लोगों में सांस संबंधी बीमारियों की समस्या कम होती है, जैसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और फेफड़ों की अन्य बीमारियां।
  • ऊर्जा सुरक्षा:
  • इलेक्ट्रिक वाहनों के बढ़ते उपयोग से देश की विदेशी ईंधन जैसे पेट्रोल और डीजल पर निर्भरता कम होती है। इससे आयातित ईंधन की लागत कम होती है और देश की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
  • इलेक्ट्रिक वाहन बिजली से चलते हैं, जिसे नवीकरणीय स्रोतों जैसे सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, और जल विद्युत से उत्पादित किया जा सकता है। इससे ऊर्जा के स्वदेशी स्रोतों को बढ़ावा मिलता है।

भारत में इलेक्ट्रिक वाहन: सरकारी नीतियाँ और पहल

भारत सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) को बढ़ावा देने के लिए कई प्रमुख योजनाएँ और नीतियाँ लेकर आई है। इसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण को सुरक्षित बनाना, वायु प्रदूषण कम करना और जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता घटाना है। यहाँ कुछ प्रमुख सरकारी पहलों और योजनाओं का विवरण दिया जा रहा है:

  • भारत में ईवी नीति का इतिहास:

    • 2010 में भारत सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण और बिक्री को प्रोत्साहित करने के लिए योजना की घोषणा की थी, लेकिन यह योजना 2012 में वापस ले ली गई।
    • इसके बाद 2013 में ‘नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान (NEMMP) 2020’ लॉन्च किया गया।
    • 2015 में ‘फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (FAME)’ योजना को लागू किया गया, जिसका उद्देश्य 2020 तक 7 मिलियन वाहनों की बिक्री को बढ़ावा देना था।
    • 2017 में भारत सरकार ने 2030 तक 30% इलेक्ट्रिक वाहनों के अंगीकरण का लक्ष्य रखा है।
  • नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान (NEMMP 2020):

    • 2013 में लॉन्च की गई यह योजना इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों की बिक्री को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बनाई गई थी।
    • इसका लक्ष्य 2020 तक हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों की 6-7 मिलियन बिक्री को प्राप्त करना था।
    • योजना के तहत वित्तीय प्रोत्साहन और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास प्रमुख उद्देश्य थे।
  • उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना:

    • यह योजना इलेक्ट्रिक वाहनों और उनके घटकों के विनिर्माण के लिए प्रोत्साहन प्रदान करती है।
    • इसके माध्यम से भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे घरेलू उत्पादन और रोजगार के अवसरों में वृद्धि हो सके।
  • वाहन स्क्रैपिंग नीति:

    • पुरानी और प्रदूषणकारी वाहनों की स्क्रैपिंग को बढ़ावा देने के लिए यह नीति लागू की गई है।
    • यह नीति नए इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद के लिए प्रोत्साहन देती है, जिससे वाहन स्वामी पुराने वाहनों को हटाकर नए, पर्यावरण के अनुकूल EVs खरीद सकें।
  • गो इलेक्ट्रिक अभियान (Go Electric Campaign):

    • इस अभियान का उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों और चार्जिंग अवसंरचना के लाभों के बारे में जागरूकता फैलाना है।
    • यह अभियान पर्यावरण को सुरक्षित बनाने और प्रदूषण रहित परिवहन को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया है।
  • मॉडल भवन उपनियम, 2016 (Model Building Bye-laws):

    • आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने आवासीय और वाणिज्यिक भवनों में EVs चार्जिंग सुविधाओं के लिए पार्किंग स्पेस का 20% अलग रखने का निर्देश दिया है।
  • चार्जिंग अवसंरचना:

    • विद्युत मंत्रालय ने चार्जिंग अवसंरचना पर संशोधित दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिसमें कहा गया है कि प्रत्येक 3 किमी के ग्रिड में एक चार्जिंग स्टेशन और राजमार्गों के दोनों किनारों पर प्रत्येक 25 किमी पर कम से कम एक चार्जिंग स्टेशन होना चाहिए।
  • नेशनल मिशन ऑन ट्रांसफॉर्मेटिव मोबिलिटी एंड बैटरी स्टोरेज:

    • इस मिशन का उद्देश्य EVs के अंगीकरण के लिए व्यापक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है।
    • इसके तहत भारत में गिगा-स्केल बैटरी निर्माण संयंत्रों की स्थापना को समर्थन दिया जाता है।
  • EV30@30 अभियान:

    • भारत EV30@30 अभियान का हिस्सा है, जिसका लक्ष्य है कि 2030 तक नए वाहनों की बिक्री में कम से कम 30% इलेक्ट्रिक वाहन हों।
  • FAME-II योजना (Faster Adoption and Manufacturing of Electric Vehicles II):

    • फरवरी 2019 में भारत सरकार ने FAME-II योजना को मंजूरी दी, जिसका बजट 10,000 करोड़ रुपये है।
    • इसका उद्देश्य इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों की खरीद पर अग्रिम प्रोत्साहन प्रदान करना है।
    • योजना के तहत चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास भी शामिल है ताकि इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाया जा सके।
    • यह योजना 1 अप्रैल, 2019 से लागू की गई थी, और इसका लाभ इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं और खरीदारों को समान रूप से मिल रहा है।
  • हाल ही में भारत सरकार ने वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) निर्माताओं को भारत में निवेश करने और देश को एक प्रमुख ईवी विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण योजना ‘ई-वाहन नीति’ को भी मंजूरी दी है।

उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण एवं गतिशीलता नीति-2022

●    यह नीति 13 अक्टूबर, 2022 को सरकार द्वारा लागू की गई थी।

●   यह नीति अगले 5 वर्षों तक प्रभावी रहेगी।

●   हर ज़िले में कम-से-कम 20 चार्जिंग स्टेशन और 5 बैट्री स्वैपिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए निवेशकों को प्रोत्साहित किया जाएगा।

●   चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के लिए ‘इन्वेस्ट यूपी’ को नोडल एजेंसी बनाया गया।

●   500 करोड़ रुपये के बजट की व्यवस्था, 50 हज़ार करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित करने और 1 लाख लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य रखा गया है।

●   अगले 5 वर्षों तक रोड टैक्स और पंजीकरण शुल्क में छूट। राज्य में खरीदे गए ईवी पर 3 वर्षों तक 100% रोड टैक्स और पंजीकरण शुल्क माफ होगा।

●   यूपी में खरीदे गए ईवी पर फैक्ट्री मूल्य पर 15% सब्सिडी दी जाएगी।

●   1 गीगावाट की बैट्री निर्माण परियोजनाओं के लिए 1000 करोड़ रुपये तक की पूंजीगत सब्सिडी का प्रावधान।

●    3000 करोड़ रुपये या उससे अधिक का निवेश करने वाली परियोजनाओं को 30% की पूंजीगत सब्सिडी प्रदान की जाएगी।

इलेक्ट्रिक वाहनों की चुनौतियाँ:

  • इलेक्ट्रिक वाहनों की शुरुआत में खरीदने की लागत पारंपरिक वाहनों की तुलना में अधिक होती है। इसका प्रमुख कारण बैटरी की उच्च कीमत है, जो वाहन की कुल लागत को बढ़ाती है।
  • इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने के लिए पर्याप्त चार्जिंग स्टेशनों की कमी है। यह समस्या विशेष रूप से ग्रामीण और दूर-दराज़ के इलाकों में अधिक है, जिससे लंबी यात्राओं में परेशानी होती है।
  • चार्जिंग में लगने वाला समय भी पारंपरिक ईंधन भरने की तुलना में अधिक होता है, जिससे लोगों को असुविधा होती है।
  • वर्तमान में उपयोग की जाने वाली बैटरियों की जीवन और क्षमता सीमित होती है। बैटरी की कार्यक्षमता और टिकाऊपन में सुधार की आवश्यकता है, ताकि वाहन की रेंज और प्रदर्शन बेहतर हो सके।
  • ऑटोमोबाइल उद्योग में इलेक्ट्रिक वाहनों की वृद्धि से पारंपरिक वाहन निर्माण उद्योग में नौकरियों पर असर पड़ सकता है, क्योंकि इलेक्ट्रिक वाहनों की तकनीक पारंपरिक वाहनों से अलग होती है, और कम घटकों के कारण कम श्रमिकों की आवश्यकता होती है।

भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का भविष्य:

  • भारत सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं लागू की जा रही हैं। ये नीतियाँ आने वाले समय में इलेक्ट्रिक वाहनों की वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।
  • अधिक से अधिक सार्वजनिक और निजी चार्जिंग स्टेशनों का विकास किया जाना चाहिए, जिससे लंबी यात्राओं में आसानी हो और चार्जिंग की समस्या कम हो।
  • इलेक्ट्रिक वाहनों की प्रारंभिक लागत को कम करने के लिए सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी और कर छूट को और अधिक प्रभावी बनाया जाना चाहिए, ताकि अधिक लोग इन्हें अपना सकें।
  • भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों और बैटरी के स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने से रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे और भारत को वैश्विक ईवी हब बनाने में मदद मिलेगी।

UPSC, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)

प्रश्न. वर्ष 2015 में पेरिस में UNFCCC की बैठक में हुए समझौते के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2016)

  1. समझौते पर संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों ने हस्ताक्षर किये थे और यह 2017 में प्रभावी होगा।
  2. समझौते का उद्देश्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को सीमित करना है ताकि इस सदी के अंत तक औसत वैश्विक तापमान में वृद्धि पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 2 डिग्री सेल्सियस या 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक न हो।
  3. विकसित देशों ने ग्लोबल वार्मिंग में अपनी ऐतिहासिक ज़िम्मेदारी को स्वीकार किया और विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करने के लिये वर्ष 2020 से प्रतिवर्ष $1000 बिलियन दान करने के लिये प्रतिबद्ध हैं।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 3

(b) केवल 2

(c) केवल 2 और 3

(d) 1, 2 और 3

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