Supreme Court directive on conservation of Great Indian Bustard

संदर्भ:
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने ‘ग्रेट इंडियन बस्टर्ड’ (GIB) के संरक्षण के लिए एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति ए.एस. चंदुलकर की पीठ ने “प्रजाति के सर्वोत्तम हित” (Species best interest) मानक को सर्वोपरि रखते हुए कड़े निर्देश जारी किए हैं।
सुप्रीम कोर्ट का मुख्य फैसला:
कोर्ट ने एक विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए पर्यावरण संरक्षण और नवीकरणीय ऊर्जा के बीच संतुलन बनाने के लिए निम्नलिखित निर्देश दिए हैं:
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- संशोधित प्राथमिकता क्षेत्र (Revised Priority Areas): कोर्ट ने राजस्थान में 14,013 वर्ग किमी और गुजरात में 740 वर्ग किमी को ‘संशोधित प्राथमिकता क्षेत्र’ घोषित किया है। इन क्षेत्रों में संरक्षण उपाय अनिवार्य रूप से लागू होंगे।
- पावर लाइनों का भूमिगत होना (Undergrounding): राजस्थान में लगभग 80 किमी और गुजरात में 79 किमी की 33 kV पावर लाइनों को भूमिगत करने का आदेश दिया गया है। इसके अतिरिक्त, भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) द्वारा पहचाने गए 250 किमी उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में भी पावर लाइनों को भूमिगत या डायवर्ट किया जाएगा।
- नवीकरणीय ऊर्जा पर प्रतिबंध: प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में 2 MW से अधिक क्षमता वाले नए पवन (Wind) या सौर (Solar) पार्कों की स्थापना पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है।
- कॉर्पोरेट उत्तरदायित्व (CSR): कोर्ट ने “प्रदूषक भुगतान करता है” (Polluter Pays) सिद्धांत को लागू करते हुए कहा कि बिजली कंपनियों को संरक्षण के लिए अपने CSR फंड का उपयोग करना चाहिए।
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GIB) के बारे में:
- ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GIB), जिसे ‘गोडावण’ भी कहते हैं, राजस्थान का राजकीय पक्षी और भारत का एक गंभीर रूप से लुप्तप्राय पक्षी है।
- यह दुनिया के सबसे भारी उड़ने वाले पक्षियों में से एक है। इसका वैज्ञानिक नाम Ardeotis nigriceps है।
- यह मुख्य रूप से राजस्थान के थार रेगिस्तान में पाया जाता है, लेकिन गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक में भी इसकी छोटी आबादी है।
- राजस्थान के जैसलमेर जिले में स्थित डेजर्ट नेशनल पार्क (DNP) GIB के लिए एक महत्वपूर्ण निवास स्थान है।
- इनका आकार 4 फीट तक लंबा और 14-15 किलोग्राम तक भारी हो सकता है। जो शुष्क घास के मैदान और झाड़ीदार भूमि, में निवास करते हैं।
- इसे IUCN रेड लिस्ट में गंभीर रूप से संकटग्रस्त (Critically Endangered) सूची में शामिल किया गया है। CITES: परिशिष्ट I (Appendix I) और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: अनुसूची I (Schedule I) के अंतर्गत इसे संरक्षण प्राप्त है।
- यह घास के मैदानों के स्वास्थ्य का एक संकेतक (Indicator Species) है; इसकी संख्या में कमी स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र के खराब होने का संकेत देती है।
- ये अपनी खराब ‘फ्रंटल विजन’ के कारण हाई-वोल्टेज तारों से टकरा जाते हैं, जिससे इनकी संख्या लगातार कम हो रही है। साथ ही घास के मैदानों का कृषि भूमि में परिवर्तन और पाकिस्तान के सीमावर्ती इलाकों में अवैध शिकार भी कमी का मुख्य कारण है।
मुख्य संरक्षण प्रयास:
- प्रोजेक्ट ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (Project Great Indian Bustard): इसकी शुरुआत राजस्थान सरकार द्वारा 2013 में शुरू किया गया। इसका उद्देश्य गंभीर रूप से लुप्तप्राय GIB को बचाना और उसकी आबादी बढ़ाना, जिसमें आवास सुधार, प्रजनन कार्यक्रम और सामुदायिक भागीदारी शामिल है।
- बस्टर्ड रिकवरी प्रोग्राम (Bustard Recovery Program): यह केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय (MoEF&CC) और वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (WII) के सहयोग से शुरू किया गया है। इसमें जैसलमेर में एक ‘संरक्षण प्रजनन केंद्र’ (Conservation Breeding Center) स्थापित किया गया है, जहाँ कृत्रिम गर्भाधान जैसी तकनीकें अपनाई जा रही हैं।
- ओरण (Orans) का संरक्षण: राजस्थान सरकार ने इन स्थानीय पवित्र उपवनों (Grasslands) को ‘डीम्ड फॉरेस्ट’ (Deemed Forest) घोषित किया है। यह कदम ओरण में अवैध गतिविधियों को रोकने और उनके प्राकृतिक घास के मैदानों को बचाने के लिए उठाया गया है, जो GIB के आवास के लिए महत्वपूर्ण हैं।
