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ग्रीन पटाखों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला (Supreme Court Ruling on Green Cracker) | Ankit Avasthi Sir

Supreme Court Ruling on Green Cracker

Supreme Court Ruling on Green Cracker

संदर्भ:

सुप्रीम कोर्ट ने यह स्वीकार किया है कि पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने से अवैध बाजार पर माफिया का कब्ज़ा हो सकता है, जैसा कि पहले बिहार के खनन उद्योग में देखा गया था। हाल ही में अदालत ने दिल्ली में ग्रीन पटाखों के उत्पादन की अनुमति दी है, लेकिन दिल्ली-एनसीआर में उनकी बिक्री पर रोक बरकरार रखी है।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुख्य बिंदु

  1. निर्णय का तर्क (Rationale of Decision):
  • NEERI (National Environmental Engineering Research Institute) और PESO (Petroleum and Explosives Safety Organisation) द्वारा अनुमोदित निर्माताओं को ग्रीन क्रैकर्स बनाने की अनुमति।
  • शर्त: यह अनुमति कड़ी परिस्थितियों के तहत दी गई है ताकि रोजगार और आजीविका सुरक्षित रहे।
  1. प्रतिबंध: निर्माता यह सुनिश्चित करेंगे कि क्रैकर्स प्रतिबंधित क्षेत्रों में न बेचे जाएं, ताकि दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण न बढ़े।
  2. ग्रीन क्रैकर्स के प्रभाव:
  • पारंपरिक क्रैकर्स की तुलना में प्रदूषण कम करते हैं,
  • लेकिन फिर भी दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण स्तर बढ़ा सकते हैं, इसलिए सावधानी आवश्यक।

ग्रीन क्रैकर्स के बारे में:

  1. परिभाषा और विकास:
  • ग्रीन क्रैकर्स इको-फ्रेंडली (पर्यावरण के अनुकूल) फायरक्रैकर्स हैं।
  • विकसित किए गए: 2018 में NEERI (National Environmental Engineering Research Institute) द्वारा, CSIR के तहत।
  1. प्रदूषण पर प्रभाव:
  • पारंपरिक क्रैकर्स की तुलना में वायु और ध्वनि प्रदूषण 30–40% कम करते हैं।
  • सुरक्षित विकल्प का उपयोग: पोटैशियम नाइट्रेट और एल्युमिनियम, टॉक्सिक बैरियम नाइट्रेट की जगह।
  1. ध्वनि स्तर (Noise Levels)
  • ग्रीन क्रैकर्स: 100–130 dB
  • पारंपरिक क्रैकर्स: 160–200 dB

ग्रीन क्रैकर्स के प्रकार:

  1. SWAS (Safe Water Releaser)
  • विशेषता: पानी की भाप छोड़ता है।
  • प्रदूषण पर प्रभाव: SO₂ और पार्टिकुलेट मैटर में लगभग 30% कमी।
  1. SAFAL (Safe Minimal Aluminium)
  • विशेषता: फ्लैश पाउडर में कम एल्युमिनियम।
  • प्रदूषण पर प्रभाव: पार्टिकुलेट मैटर में 35–40% कमी।
  1. STAR (Safe Thermite Cracker)
  • विशेषता: KNO₃ और सल्फर का कम उपयोग।
  • प्रदूषण पर प्रभाव: SO₂ और NOx उत्सर्जन में कमी।

ग्रीन क्रैकर्स से जुड़े चुनौतीपूर्ण पहलू:

  1. आंशिक प्रदूषण कम होना:
  • PM2.5, PM10, सल्फर और नाइट्रोजन ऑक्साइड्स 30–40% तक कम होते हैं।
  • लेकिन UFP (Ultrafine Particles) उत्सर्जन काफी बढ़ जाता है, जो अधिक खतरनाक है।
  1. अल्ट्राफाइन कण (UFP – PM1)
  • ग्रीन क्रैकर्स उच्च मात्रा में UFP छोड़ते हैं।
  • आकार: 1 माइक्रोन = 1000 नैनोमीटर
  • स्वास्थ्य पर प्रभाव: फेफड़ों, ऊतकों और रक्तप्रवाह तक पहुंचकर गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं।
  1. ध्वनि नियंत्रण की सीमाएं:
  • ध्वनि उत्सर्जन 120 डेसिबल के नीचे रखा गया है।
  • लेकिन UFP के कारण पर्यावरण सुरक्षा पूरी नहीं होती।
  1. आर्थिक और परिचालन चुनौतियां:
  • ग्रीन क्रैकर्स अधिक महंगे हैं।
  • उत्पादन में अधिक समय लगता है और सुखाने में लंबा समय।
  • पर्यावरण के अनुकूल बदलाव के लिए सीमित वित्तीय समर्थन

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