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सामाजिक न्याय की स्थिति रिपोर्ट 2025 (The State of Social Justice report 2025) | UPSC

The State of Social Justice report 2025

The State of Social Justice report 2025

संदर्भ:

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने अपनी महत्वपूर्ण रिपोर्ट The State of Social Justice: A Work in Progress (2025) जारी की, जो 1995 के कोपेनहेगन सम्मेलन की 30वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित द्वितीय विश्व समाज विकास शिखर सम्मेलन से पहले प्रकाशित हुई है।

वैश्विक असमानता रिपोर्ट 2025 – मुख्य निष्कर्ष:

1995 से प्रगति:

  • वैश्विक स्तर पर चरम गरीबी 39% से घटकर 10% हो गई है।
  • कामकाजी गरीबी दर 28% से घटकर 7% हो गई है।
  • 5–14 वर्ष के बच्चों में बाल श्रम 250 मिलियन से घटकर 106 मिलियन हो गया।
  • 2023 से, विश्व की आधी से अधिक आबादी किसी न किसी प्रकार की सामाजिक सुरक्षा कवरेज में है।

असमानताएं अभी भी बरकरार:

  • आय और संपत्ति में असमानता अधिक है; धनवान वर्ग का हिस्सा बहुत बड़ा है
  • व्यक्ति के जन्म की परिस्थितियां उसके जीवन भर की आय को प्रभावित करती हैं।
  • लिंग वेतन अंतर को कम करने में प्रगति धीमी है।
  • संस्थाओं में विश्वास कम हुआ है, अक्सर इनाम प्रणाली में perceived अनुचितता के कारण।

भविष्य के जोखिम: पर्यावरणीय, डिजिटल और जनसंख्या परिवर्तन बिना लक्षित नीतियों के असमानता बढ़ा सकते हैं

सिफारिशें और वैश्विक पहल

  • सामाजिक न्याय को नीतियों में शामिल करना: ILO का सुझाव है कि सभी नीति क्षेत्रों में सामाजिक न्याय को मुख्यधारा में लाया जाए।
  • हितधारकों के बीच सहयोग बढ़ाना: सरकारें, समाज, और निजी क्षेत्र मिलकर असमानता कम करने की रणनीतियों को लागू करें।

वैश्विक कार्यक्रम: यह रिपोर्ट दोहा में आयोजित दूसरी विश्व सामाजिक विकास शिखर बैठक के लिए जारी की गई, जो पहली शिखर बैठक के 30 साल पूरे होने का अवसर है।

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) – परिचय और कार्य:

  • ILO, 1919 में स्थापित, संयुक्त राष्ट्र की एकमात्र त्रिपक्षीय एजेंसी है।
  • इसका उद्देश्य श्रम मानकों का निर्धारण, नीतियों का विकास और सभ्य कार्य को बढ़ावा देकर सामाजिक न्याय सुनिश्चित करना है।
  • यह सरकारों, नियोक्ताओं और श्रमिकों के प्रतिनिधियों को एक साथ लाता है।
  • मुख्यालय: जिनेवा, स्विट्जरलैंड।
  • 1969 में, ILO को नोबेल शांति पुरस्कार मिला।

मुख्य कार्य:

  1. श्रम मानक: अंतर्राष्ट्रीय श्रम मानकों को अपनाना और लागू करना।
  2. नीति विकास: सामाजिक और श्रम मुद्दों के लिए नीतियां और कार्यक्रम तैयार करना।
  3. सदस्य देशों को सहायता: सामाजिक और श्रम समस्याओं का समाधान।
  4. मानवाधिकार संरक्षण: श्रमिकों और मानवाधिकारों की सुरक्षा।
  5. अनुसंधान और प्रकाशन: श्रम और सामाजिक मुद्दों पर शोध करना और रिपोर्ट प्रकाशित करना।

स्थापना और इतिहास:

  • स्थापना: 1919 में वर्साय की संधि के तहत।
  • संयुक्त राष्ट्र से जुड़ाव: 1946 में संयुक्त राष्ट्र की पहली संबद्ध विशेष एजेंसी।

संरचना:

  1. अंतर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन: वार्षिक बैठक, जिसमें श्रमिक, नियोक्ता और सरकार के प्रतिनिधि शामिल होते हैं; अंतर्राष्ट्रीय श्रम मानक और नीतियां तय होती हैं।
  2. शासी निकाय: ILO की कार्यकारी परिषद, जो नीति और बजट तय करती है।
  3. अंतर्राष्ट्रीय श्रम कार्यालय: स्थायी सचिवालय, जो संगठन के प्रशासन और गतिविधियों को संचालित करता है।

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