हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) ने लगातार सातवीं बार रेपो रेट (Repo Rate) में कोई बदलाव नहीं किया। रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर ही बरकरार रखा गया है।
RBI की 6 सदस्यों वाली मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी ने 5-1 के बहुमत के साथ रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर बरकरार रखने का फैसला किया है। आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी ने अपने रुख में भी कोई बदलाव नहीं किया है। यह अर्थशास्त्रियों के अनुमानों के मुताबिक है, जिन्होंने नए वित्त वर्ष की पहली MPC बैठक में दरों में किसी तरह के बदलाव की उम्मीद नहीं जताई थी।
फरवरी 2023 में आखिरी बार बदलाव हुआ था
केंद्रीय बैंक ने आखिरी बार फरवरी 2023 में रेपो दर को बढ़ाकर 6.5% कर दिया था। तब से RBI ने रेपो रेट को इसी पर बरकरार रखा है। हालांकि पिछले एक साल में RBI का रुख आक्रामक बना हुआ है और उसने खुदरा मंहगाई दर को इसके 4% के मीडियम लक्ष्य तक नीचे लाने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है। सरकार की ओर से RBI को महंगाई दर को 2 से 6 फीसदी के बीच रखने का लक्ष्य मिला है।
रेपो रेट क्या होती हैं?
रेपो दर वह ब्याज दर है जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकालिक ऋण प्रदान करता है। यह दर आमतौर पर 14 दिनों के लिए होती है। रेपो दर RBI के मौद्रिक नीति का एक महत्वपूर्ण साधन है, जिसके माध्यम से वह अर्थव्यवस्था में मुद्रा आपूर्ति और ब्याज दरों को नियंत्रित करता है।
वर्तमान में (5 अप्रैल 2024) रेपो रेट 6.50% हैं।
रेपो दर के प्रभाव:
- महंगाई: रेपो दर में वृद्धि से बैंकों के लिए RBI से पैसा उधार लेना महंगा हो जाता है, जिससे बैंकों द्वारा आम जनता को दिए जाने वाले ऋणों की ब्याज दरें भी बढ़ जाती हैं। इससे लोगों के पास खर्च करने के लिए कम पैसा होता है, जिससे अर्थव्यवस्था में महंगाई कम होती है।
- आर्थिक विकास: रेपो दर में कमी से बैंकों के लिए RBI से पैसा उधार लेना सस्ता हो जाता है, जिससे बैंकों द्वारा आम जनता को दिए जाने वाले ऋणों की ब्याज दरें भी कम हो जाती हैं। इससे लोगों के पास खर्च करने के लिए अधिक पैसा होता है, जिससे अर्थव्यवस्था में विकास को बढ़ावा मिलता है।
रिवर्स रेपो रेट क्या होती हैं?
रिवर्स रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) बैंकों से सरकारी प्रतिभूतियों के पुनर्खरीद समझौते (रेपो) के तहत धन उधार लेता है। यह दर रेपो दर के विपरीत है, जिस पर आरबीआई बैंकों को उधार देता है।
- वर्तमान में (5 अप्रैल 2024) रिवर्स रेपो रेट 3.35% हैं।
रिवर्स रेपो रेट के कार्य:
- बैंकों में अतिरिक्त तरलता को नियंत्रित करना
- मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना
- बैंकों को सुरक्षित निवेश विकल्प प्रदान करना
रिवर्स रेपो रेट के प्रभाव:
- जब रिवर्स रेपो दर बढ़ती है, तो बैंकों के लिए आरबीआई में धन जमा करना अधिक आकर्षक हो जाता है। इससे बैंकिंग प्रणाली में तरलता कम हो जाती है और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
- जब रिवर्स रेपो दर घटती है, तो बैंकों के लिए आरबीआई में धन जमा करना कम आकर्षक हो जाता है। इससे बैंकिंग प्रणाली में तरलता बढ़ जाती है और अर्थव्यवस्था को गति देने में मदद मिलती है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) भारत का केंद्रीय बैंक है। यह 1 अप्रैल 1935 को स्थापित किया गया था। आरबीआई का मुख्यालय मुंबई में है और इसके 29 क्षेत्रीय कार्यालय पूरे भारत में हैं। आरबीआई के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
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