Umngot River Meghalaya
संदर्भ:
मेघालय की उमंगोट नदी (Umngot River) जो अपनी क्रिस्टल-साफ तथा ‘फ्लोटिंग बोट’ के दृश्य के लिए प्रसिद्ध थी, इस वर्ष अक्टूबर-नवंबर में इसका पानी अचानक घोलदार व भूरे रंग का हो गया है, जिससे न केवल पर्यटक निराश हैं बल्कि स्थानीय आजीविका को भी खतरा नजर आ रहा है।
उम्न्गोट नदी (Umngot River / Dawki River)
- उम्न्गोट नदी भारत के मेघालय राज्य में स्थित एक अत्यंत प्रसिद्ध और मनमोहक नदी है, जिसे उसकी अद्भुत पारदर्शिता और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है।
- यह नदी पश्चिम जयंतिया हिल्स (West Jaintia Hills) ज़िले के डॉकी (Dawki) नामक छोटे से कस्बे से होकर बहती है।
- डॉकी भारत-बांग्लादेश सीमा पर स्थित है और इस नदी का एक भाग सीमा रेखा का भी निर्माण करता है।
विशेषताएं:
- इस नदी की कुल लंबाई लगभग 82 किलोमीटर (51 मील) है।
- यह नदी उत्तर में मेघालय के हरे-भरे पर्वतीय इलाकों से निकलती है और दक्षिण की ओर बहते हुए गोयाइन नदी (Goyain River) में जाकर मिलती है, जो आगे चलकर बांग्लादेश में प्रवेश करती है।
- 1932 में निर्मित डॉकी ब्रिज (Dawki Suspension Bridge) इस नदी पर बना एक ऐतिहासिक पुल है, जो आज भी स्थानीय परिवहन और पर्यटन का प्रमुख केंद्र है।
- उम्न्गोट नदी को अक्सर भारत की सबसे स्वच्छ नदी कहा जाता है। इसका पानी इतना पारदर्शी होता है कि नावें इसमें ऐसे प्रतीत होती हैं जैसे वे हवा में तैर रही हों।
- इस नदी का जल इतना साफ है क्योंकि यह क्षेत्र घने वनों, सीमित शहरीकरण और न्यूनतम औद्योगिक गतिविधियों से घिरा हुआ है।
- नदी के किनारों पर बसे श्नोंगपडेंग (Shnongpdeng) और डॉकी गाँवों के लोगों की आजीविका मुख्यतः नाव संचालन, होमस्टे पर्यटन और मत्स्य पालन पर निर्भर करती है।
प्रमुख चिंताएं:
- नेशनल हाईवेज एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHIDCL) द्वारा चल रहे सड़क चौड़ीकरण और पुल निर्माण कार्यों से भारी मात्रा में मिट्टी व पत्थर का मलबा सीधे नदी में बहाया जा रहा है।
- मेघालय राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MSPCB) ने जांच में पाया कि मलबा नियंत्रण के उचित उपाय नहीं किए गए। इसी कारण 7 नवंबर 2025 को NHIDCL पर ₹15 लाख का जुर्माना लगाया गया।
- नदी के गंदे होने से बोटिंग, फिशिंग और स्थानीय उद्योग पर सीधा असर पड़ा है। यहां पर्यटक अब पहले की तरह नहीं आ रहे, जिससे उनकी दैनिक आय घट गई है।
- नदी में गाद और मलबे की अधिकता से ऑक्सीजन स्तर घट रहा है, जिससे मछलियों और अन्य जलीय जीवों की प्रजातियाँ प्रभावित हो रही हैं।

