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संदर्भ:

भारत में न्यायिक आदेशों का वास्तविक धरातल पर प्रभावी क्रियान्वयन कई बार संभव नहीं हो पाता, जिसका मुख्य कारण कार्यान्वयन तंत्र की दुर्बलता है। हालिया उदाहरण जयपुर का है, जहाँ राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) द्वारा एयर हॉर्न के उपयोग को सीमित करने संबंधी आदेश अब तक प्रभावी रूप से लागू नहीं किया गया है। यह स्थिति व्यापक प्रणालीगत चुनौतियों को उजागर करती है, जो न्यायालयों के निर्देशों को नीतिगत कार्रवाई में रूपांतरित करने में बाधा उत्पन्न करती हैं।

कानूनी प्रावधान और क्रियान्वयन की कमियाँ:

  1. सिविल प्रक्रिया संहिता (CPC) की धारा 38 और आदेश 21 के तहत, न्यायालयों को अपने निर्णयों (decrees) को लागू करने या उन्हें किसी अन्य न्यायालय को सौंपने का अधिकार होता है।
  2. फिर भी, कई न्यायिक आदेश ऐसे हैं जो लागू नहीं हो पाते, जिसका कारण निर्णय की वैधता पर प्रश्न, अनुपालन की कमी, या न्यायिक कदाचार की आशंका होती है।
  3. यह स्थिति संस्थागत क्रियान्वयन क्षमता (institutional enforcement capacity) की कमजोरी को दर्शाती है।

प्रवर्तन की चुनौतियाँ और न्यायिक दूरदृष्टि की आवश्यकता:

  1. भले ही राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने स्पष्ट निर्देश दिए हों, लेकिन ट्रैफिक पुलिस, परिवहन विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जैसी प्रवर्तन एजेंसियाँ अपेक्षित कार्रवाई करने में विफल रही हैं।
  2. NGT ने यह भी नहीं आंका कि उसका आदेश व्यावहारिक रूप से लागू करने योग्य है या नहीं, और न ही उसने अधिक प्रभावशाली विकल्पों (जैसे एयर हॉर्न पर पूर्ण प्रतिबंध) की संभावना पर विचार किया।
  3. कई बार एजेंसियाँ उल्लंघनों को “छोटा” मानकर नजरअंदाज कर देती हैं, जिससे न्यायिक उद्देश्य और वास्तविक क्रियान्वयन के बीच अंतर पैदा हो जाता है।
  4. यह दर्शाता है कि न्यायालयों को आदेश पारित करते समय ज़मीनी हकीकतों और क्रियान्वयन से जुड़ी चुनौतियों को ध्यान में रखना चाहिए।

भारत में न्यायिक आदेशों का सफल क्रियान्वयन प्रमुख उदाहरण:

  1. कॉमन कॉज़ बनाम भारत संघ (2018):
    • यह ऐतिहासिक मामलानिष्क्रिय इच्छामृत्यु (Passive Euthanasia) को वैध घोषित करता है।
    • इस आदेश की सफलता का मुख्य कारण था:
      • स्पष्ट और विस्तृत दिशानिर्देश,
      • संस्थागत जिम्मेदारियाँ तय करना,
      • निगरानी की उचित व्यवस्था।

 

  1. ताज ट्रेपेज़ियम ज़ोन (TTZ) मामला:
    • यह मामलावर्धराजन समिति की सिफारिशों के बाद मथुरा रिफाइनरी के चारों ओर हरित क्षेत्र (Green Belt) के निर्माण से संबंधित था।
    • इस मामले की सफलता के कारण:
      • कई एजेंसियों के बीच समन्वय
      • निरंतर वायु गुणवत्ता की निगरानी
    • यह दर्शाता है किसंयुक्त संस्थागत प्रयास जटिल न्यायिक आदेशों को भी प्रभावी ढंग से लागू कर सकता है।

सुझाव

  1. नामित अधिकारी की नियुक्ति: हर विभाग में एक विशेष अधिकारी नियुक्त हो जो न्यायिक आदेशों की अनुपालना सुनिश्चित करे और नियमित रिपोर्ट प्रस्तुत करे।
  2. प्रौद्योगिकी का उपयोग:डिजिटल डैशबोर्ड व निगरानी तंत्र के माध्यम से आदेशों की स्थिति की निगरानी हो एवं समयबद्ध अपडेट दिए जाएँ।
  3. जन भागीदारी और पारदर्शिता:
    आदेशों की अनुपालना की जानकारी सार्वजनिक करने से निगरानी में वृद्धि होगी और नागरिक सहभागिता से जवाबदेही सुनिश्चित होगी।
  4. सकारात्मक प्रोत्साहन:जिन विभागों ने समय पर आदेशों का पालन किया, उन्हें सम्मान या पुरस्कार देकर उत्तरदायित्व की संस्कृति को बढ़ावा दिया जा सकता है।

न्यायिक आदेशों के अपेक्षित परिणाम तभी मिल सकते हैं जब प्रवर्तन को गंभीरता से लिया जाए। प्रवर्तन को न्यायिक प्रक्रिया का एक अनिवार्य हिस्सा माना जाना चाहिए, न कि केवल औपचारिकता।

 

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