Virtual Digital Assets
संदर्भ:
भारत ने लगातार दूसरे वर्ष ग्रासरूट स्तर पर क्रिप्टो अपनाने में वैश्विक नेतृत्व कायम रखा है। खुदरा निवेशकों द्वारा अब तक $6.6 अरब (लगभग ₹55,000 करोड़) का निवेश किया गया है और 2030 तक 8 लाख नौकरियों के सृजन की संभावना जताई जा रही है।
क्या हैं वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (Virtual Digital Assets)?
- इलेक्ट्रॉनिक रूप से संग्रहित, स्थानांतरित या व्यापार योग्य डिजिटल मूल्य के प्रतिनिधित्व।
- डिजिटल रूप से मौजूद होते हैं और अक्सर ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित होते हैं।
VDAs के प्रमुख प्रकार:
- क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrencies):
- क्रिप्टोग्राफी से सुरक्षित डिजिटल मुद्रा।
- उदाहरण: Bitcoin, Ethereum, Solana
- नकली बनाने की संभावना बेहद कम।
- एनएफटी (Non-Fungible Tokens):
- विशिष्ट (Unique) डिजिटल संपत्ति जो ब्लॉकचेन पर दर्ज होती है।
- आमतौर पर कला, म्यूजिक, गेम आइटम या डिजिटल प्रमाणपत्र के रूप में।
- एक NFT दूसरे से विनिमेय नहीं होता।
VDAs का उपयोग
- भुगतान माध्यम के रूप में
- निवेश के साधन के रूप में
- वास्तविक संपत्तियों के डिजिटल प्रतिनिधित्व के रूप में — जैसे:
- कलाकृति
- अचल संपत्ति (Real Estate)
- पहचान प्रमाण (Personal IDs)
- संपत्ति अधिकार (Property Rights)
वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDAs) के लिए भारत का कानूनी ढांचा:
2025 का इनकम टैक्स बिल: प्रमुख प्रावधान:
- भारत के Income Tax Bill, 2025 ने पहली बार क्रिप्टोकरेंसी और NFTs को संपत्ति और पूंजीगत संपत्ति (Capital Assets) के रूप में कानूनी मान्यता दी है।
- यह ढांचा अब U.K., U.S., और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों की कर व्यवस्था के अनुरूप है।
कराधान व्यवस्था (Taxation Structure):
- VDAs की बिक्री/हस्तांतरण से प्राप्त लाभ अब Capital Gains की श्रेणी में आएंगे।
- जैसे रियल एस्टेट या शेयरों की बिक्री से कर लगता है, वैसे ही अब VDAs पर भी लागू होगा।
- इससे VDA लेन-देन को पारदर्शी कराधान के दायरे में लाया गया है।
मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम के तहत निगरानी:
- मार्च 2023 से, सरकार ने Prevention of Money Laundering Act, 2002 (PMLA) के अंतर्गत भी VDAs को शामिल कर लिया।
- इसका उद्देश्य VDAs को अविनियमित वित्तीय साधन के रूप में उपयोग किए जाने से रोकना है।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य अवलोकन:
- भारत में क्रिप्टोकरेंसी के लिए व्यापक विनियमन की कमी को सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से रेखांकित किया।
- अदालत ने कहा कि क्रिप्टो पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना वास्तविकता से मुंह मोड़ने जैसा है।
- यह स्पष्ट किया गया कि नीतियों और ज़मीनी बाजार की गतिशीलता के बीच गहरा disconnect है।
भारत में क्रिप्टो से जुड़े प्रमुख चुनौतियाँ
- पूंजी नियंत्रण बनाम विकेंद्रीकृत ढांचा: भारत कीकठोर पूंजी नियंत्रण प्रणाली और कड़ाई से विनियमित भुगतान व्यवस्था वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDAs) की विकेंद्रीकृत प्रकृति से मेल नहीं खाती।
- RBI की आरंभिक आपत्तियाँ: रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने 2018 मेंवित्तीय संस्थानों को क्रिप्टो लेन–देन से प्रतिबंधित किया था, जिसे 2020 में अदालत ने निरस्त कर दिया।
- कर व्यवस्था की जटिलता: 2022 में सरकार ने क्रिप्टो पर कर लगाने की शुरुआत की, जिसमें
- ₹10,000 से अधिक के VDA लेन-देन पर1% TDS,
- और30% पूंजीगत लाभ कर शामिल है, जिसमें हानियों की भरपाई की अनुमति नहीं है।
- ऑफशोर ट्रेडिंग में वृद्धि: इन नीतियों के चलते अधिकांश ट्रेडिंगविदेशी प्लेटफॉर्म्स पर स्थानांतरित हो गई, जिससे भारत को ₹2,488 करोड़ से अधिक का कर नुकसान हुआ।
अवैध प्लेटफॉर्म्स की चुनौती:
गैर-अनुपालक प्लेटफॉर्म्स पर लेन-देन तेज़ी से बढ़े हैं। सरकार द्वारा इन प्लेटफॉर्म्स को ब्लॉक करने के प्रयास अप्रभावी साबित हुए हैं क्योंकि उपयोगकर्ता VPN और वैकल्पिक माध्यमों से प्रतिबंधों को दरकिनार कर लेते हैं।