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जीएलपी-1 के उपयोग पर डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देश (WHO guidelines on the use of GLP-1) | Apni Pathshala

WHO guidelines on the use of GLP-1

WHO guidelines on the use of GLP-1

संदर्भ:

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मोटापा को एक दीर्घकालिक, पुनरावृत्त रोग मानते हुए पहली बार GLP-1 आधारित औषधियों के उपयोग पर वैश्विक दिशानिर्देश जारी किए हैं। यह दिशानिर्देश मोटापे के दीर्घकालिक प्रबंधन के लिए एक व्यापक, व्यक्ति-केंद्रित मॉडल को बढ़ावा देता है।

वैश्विक मोटापा संकट:

  • WHO के अनुसार मोटापा एक जटिल पुरानी बीमारी है जो विश्वभर में नॉन-कम्युनिकेबल बीमारियों का प्रमुख चालक है। यह हृदय रोग, टाइप-2 मधुमेह, कुछ प्रकार के कैंसर और संक्रामक रोगों के खराब परिणामों से सीधे जुड़ा है। 
  • WHO ने स्पष्ट किया है कि मोटापा केवल व्यक्तिगत जीवनशैली का मुद्दा नहीं है, बल्कि बहु-क्षेत्रीय हस्तक्षेप वाली सामाजिक चुनौती है, जिसमें पर्यावरण, सार्वजनिक नीति, स्वास्थ्य प्रणाली और व्यक्तिगत देखभाल सभी शामिल हैं।
  • मोटापा से 2024 में 3.7 मिलियन वैश्विक मृत्यु हुई है तथा दुनिया में 1 अरब से अधिक लोग इस समस्या से प्रभावित हैं। WHO के अनुसार यदि ठोस कदम न उठाए गए तो 2030 तक यह संख्या दोगुनी हो सकती है।

GLP-1 औषधियाँ क्या है?

WHO के अनुसार GLP-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट ऐसी औषधियाँ हैं जो रक्त शर्करा को नियंत्रित करती हैं, वजन कम करने में सहायता करती हैं, हृदय तथा गुर्दे की जटिलताओं को कम करती हैं और टाइप-2 मधुमेह रोगियों में समयपूर्व मृत्यु के खतरे को घटाती हैं। दिशानिर्देश में जिन दवाओं को शामिल किया गया है, वे हैं: लिराग्लूटाइड, सेमाग्लूटाइड, टिरज़ेपाटाइड।

WHO दिशानिर्देशों के मुख्य प्रावधान:

  • दीर्घकालिक उपचार: WHO ने वयस्कों (गर्भवती महिलाओं को छोड़कर) में मोटापे के दीर्घकालिक उपचार हेतु GLP-1 दवाओं का सशर्त उपयोग सुझाया है। यह सिफारिश इसलिए सशर्त है क्योंकि इनके दीर्घकालिक प्रभाव और सुरक्षा के साक्ष्य सीमित हैं।
  • व्यवहार आधारित हस्तक्षेप: WHO ने कहा है कि GLP-1 दवाओं के साथ संरचित आहार-आधारित और शारीरिक गतिविधि आधारित कार्यक्रम जोड़ने से उपचार के परिणाम बेहतर हो सकते हैं।
  • स्वस्थ वातावरण का निर्माण: WHO ने नीति स्तर पर ऐसे जनसंख्या-व्यापी हस्तक्षेप सुझाए हैं जो अस्वास्थ्यकर खाद्य उपलब्धता, निष्क्रिय जीवनशैली और सामाजिक-आर्थिक जोखिमों को कम करें। 
  • उच्च जोखिम वाले समूहों की सुरक्षा: संरचित स्क्रीनिंग और प्रारंभिक हस्तक्षेप उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण हैं जिनमें मोटापा और उससे जुड़ी बीमारियों का जोखिम अधिक है। इससे जटिलताओं को शुरुआती चरण में नियंत्रित किया जा सकता है।
  • व्यक्ति-केंद्रित देखभाल: WHO ने बताया कि मोटापा का उपचार आजीवन प्रबंधन की मांग करता है। इसमें मानसिक स्वास्थ्य, परामर्श, पोषण, शारीरिक गतिविधि और औषधीय उपचार का समेकित मॉडल शामिल है।
  • उपलब्धता: GLP-1 दवाओं की भारी मांग ने नकली और निम्न-स्तरीय उत्पादों के प्रसार को बढ़ाया है। WHO ने कड़े विनियमन, योग्य चिकित्सक द्वारा पर्चे, उपभोक्ता जागरूकता और वैश्विक सहयोग की आवश्यकता बताई है।
  • उत्पादन और पहुँच की सीमाएँ: 2026 तक उत्पादन बढ़ने के बावजूद अनुमान है कि 2030 तक भी केवल 10% पात्र आबादी तक ही ये दवाएँ पहुँच सकेंगी। WHO ने सुझाव दिया है कि देश टियर प्राइसिंग, पूल्ड प्रोक्योरमेंट और वॉलंटरी लाइसेंसिंग जैसे मॉडल अपनाएँ।

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