Why Africa wants to ditch popular world map
संदर्भ:
अफ्रीकी संघ (African Union) ने “Correct The Map” अभियान का समर्थन किया, जिसमें 16वीं शताब्दी के Mercator प्रोजेक्शन को छोड़कर Equal Earth जैसे अधिक सटीक मानचित्र अपनाने की मांग की गई है।
मर्केटर के नक्शे से अफ्रीका की दिक्कतें
- झूठा आकार दिखाना: मर्केटर प्रोजेक्शन (Gerardus Mercator, 1569) में ध्रुवों के नज़दीकी क्षेत्रबेहद बड़ेऔर भूमध्यरेखा वाले क्षेत्र बहुत छोटे दिखाई देते हैं।
- उदाहरण: रूसनक्शे में अफ्रीका से बड़ा लगता है, जबकि हकीकत में अफ्रीका लगभग दोगुना बड़ा है।
- रूस – 709 करोड़ वर्ग किमी
- अफ्रीका – 037 करोड़ वर्ग किमी
- ग्रीनलैंडनक्शे में अफ्रीका जितना बड़ा दिखता है, जबकि वास्तव में अफ्रीका उससे 14 गुना बड़ा है।
- उदाहरण: रूसनक्शे में अफ्रीका से बड़ा लगता है, जबकि हकीकत में अफ्रीका लगभग दोगुना बड़ा है।
- साम्राज्यवादी मानसिकता का असर
- पश्चिमी देशों (यूरोप, उत्तरी अमेरिका) को नक्शे मेंअसली आकार से बड़ा और अफ्रीका व लैटिन अमेरिका को छोटा दिखाया गया।
- इसका असर यह हुआ कि अफ्रीका महाद्वीप को दुनिया में “कमज़ोर और महत्वहीन” बताने वाली धारणाएं मजबूत हुईं।
- यही कारण है कि कई विशेषज्ञ इस नक्शे को“पक्षपाती और साम्राज्यवादी विचारों का प्रतीक” मानते हैं।
कौन–सा मैप अपनाने की मांग हो रही है?
- अफ्रीका नो फ़िल्टर और स्पीक अप अफ्रीका जैसे संगठन“Correct The Map” अभियान चला रहे हैं।
- इनकी मांग है कि अंतरराष्ट्रीय संगठन और सरकारेंEqual Earth Projection (2018) को अपनाएं।
- Equal Earth Projection की विशेषताएं:
- देशों और महाद्वीपों केवास्तविक आकार को सही अनुपात में दर्शाता है।
- अफ्रीका जैसे क्षेत्रों को नक्शे में उनकीवास्तविक विशालता के साथ दिखाता है।
- मर्केटर की तुलना में कहीं अधिकसटीक और न्यायपूर्ण है।