Winter Session 2025
संदर्भ:
भारत की संसद का शीतकालीन सत्र 2025 आज 1 दिसंबर 2025 से शुरू हो चुका है जो 19 दिसंबर 2025 तक चलेगा। कुल 19 दिनों में 15 कार्य-दिवसों वाले इस सत्र में कई प्रमुख विधेयकों, वित्तीय अनुमोदनों और राष्ट्रीय सुरक्षा, शासन तथा आर्थिक मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी।
शीतकालीन सत्र 2025 की रूपरेखा:
शीतकालीन सत्र का आयोजन संसद भवन, नई दिल्ली में किया जा रहा है, जहां परंपरा के अनुसार वर्ष के अंतिम महीनों में शासन-संबंधी कार्यों की समीक्षा तथा अगले वर्ष के लिए विधायी दिशा तय की जाती है। इस बार सत्र में बैठकों की संख्या सामान्य (20) से कम रखी गई है, परंतु विधायी भार अधिक है। संसद सचिवालय ने सरकार द्वारा प्रस्तुत प्रमुख विधेयकों और वित्तीय मामलों को विधायी कैलेंडर में प्राथमिकता दी है।
सत्र में सरकार का विधायी एजेंडा:
सरकार शीतकालीन सत्र 2025 में कई रणनीतिक, आर्थिक, तकनीकी और नियामक क्षेत्रों से जुड़े विधेयक प्रस्तुत करने वाली है।
- सरकार द्वारा Atomic Energy Bill, 2025 पेश किया जाना प्रस्तावित है, जो देश के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में पहली बार निजी क्षेत्र की सीमित भागीदारी का मार्ग प्रशस्त करेगा, जिसका उद्देश्य ऊर्जा सुरक्षा, प्रौद्योगिकी उन्नयन और निवेश आकर्षित करना है।
- Higher Education Commission of India Bill, 2025 उच्च शिक्षा के नियामक ढांचे में ऐतिहासिक सुधार लाने का प्रयास है, जिसमें मौजूदा UGC और अन्य निकायों को समाप्त कर एकल व्यापक नियामक संस्था स्थापित करने की योजना है।
- Insurance Laws (Amendment) Bill, 2025 बीमा क्षेत्र में FDI सीमा को 100% करने का प्रस्ताव लाया जाना है, जिसका लक्ष्य पूंजीगत निवेश, प्रतिस्पर्धा और उपभोक्ता सेवाओं में सुधार है।
- इसके अलावा Central Excise (Amendment) Bill और Health Security and National Security Cess Bill, 2025 भी लाया जाएगा।
इसी के साथ विपक्ष इस सत्र में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) से जुड़े मतदाता सूची अनियमितताओं और निर्वाचन प्रणाली की पारदर्शिता पर विस्तृत चर्चा की मांग कर रहा है। इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी लाल किले के निकट हुए विस्फोट की घटना, दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण, बढ़ती महँगाई, बेरोज़गारी, और राज्यों के लंबित वित्तीय बकाया जैसे मुद्दे भी विपक्षी रणनीति में प्रमुख हैं।
शीतकालीन सत्र क्या है?
शीतकालीन सत्र भारतीय संसद के तीन प्रमुख सत्रों (बजट सत्र, मानसून सत्र, और शीतकालीन सत्र) में से एक है। यह सामान्यतः हर वर्ष नवंबर–दिसंबर के बीच आयोजित किया जाता है। इसका उद्देश्य वर्ष के अंतिम चरण में लंबित विधायी कार्यों को पूरा करना, आवश्यक संशोधन अधिनियमों को पारित करना और विभिन्न राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करना होता है।
- समयावधि: शीतकालीन सत्र आमतौर पर 18–20 दिनों तक चलता है जिसमें लगभग 12–15 बैठकें होती हैं। इसे अपेक्षाकृत छोटा सत्र माना जाता है क्योंकि इसका फोकस विशेष रूप से उन विधेयकों पर होता है, जिन्हें उसी वर्ष के भीतर पारित करना आवश्यक माना गया हो।
- संवैधानिक आधार: शीतकालीन सत्र का संवैधानिक आधार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 85(1) में निहित है, जिसमें कहा गया है कि संसद के दो सत्रों के बीच छह महीने से अधिक का अंतराल नहीं होना चाहिए। इसी प्रावधान के तहत संसद का सत्र बुलाने का अधिकार राष्ट्रपति को है, और यह सुनिश्चित करने के लिए कि सत्र समय-समय पर होते रहें, सरकार शीतकालीन सत्र आयोजित करती है।
शीतकालीन सत्र में होने वाले प्रमुख कार्य:
- महत्वपूर्ण विधेयकों का परिचय और पारित करना: इसमें वार्षिक नीति–आधारित, क्षेत्रीय सुधार और आर्थिक विनियमन से जुड़े विधेयक शामिल होते हैं। अक्सर सरकार वर्ष समाप्त होने से पहले अपने महत्वपूर्ण कानून पारित कराने का प्रयास करती है।
- वित्तीय कार्य: पूरक अनुदान की माँग (Supplementary Demands for Grants) पेश की जाती है और उन पर चर्चा एवं मतदान होता है। इससे सरकार को चालू वित्त वर्ष के लिए अतिरिक्त धन की स्वीकृति मिलती है।
- राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा: इस सत्र में अक्सर देश की वर्तमान स्थिति—जैसे आर्थिक रुझान, सुरक्षा घटनाएँ, पर्यावरणीय चिंताएँ और विदेश नीति—पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
- शून्यकाल व प्रश्नकाल: सांसद सरकार से विभिन्न मुद्दों पर प्रत्यक्ष जवाब मांगते हैं, जिससे कार्यपालिका की जवाबदेही बढ़ती है।

