World famous Dhanu Jatra of Odisha
संदर्भ:
ओडिशा के बरगढ़ (Bargarh) में विश्व प्रसिद्ध 78वें धनु जात्रा (Dhanu Jatra) महोत्सव का भव्य आयोजन 24 दिसंबर 2025 से 3 जनवरी 2026 तक किया जाएगा। 11 दिनों तक चलने वाले इस सांस्कृतिक उत्सव का उल्लेख गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में मिलता है।
धनु जात्रा क्या है?
- धनु जात्रा (Dhanu Jatra) ओडिशा के बरगढ़ में मनाया जाने वाला दुनिया का सबसे बड़ा ओपन-एयर थिएटर (खुला रंगमंच) है, जो भगवान कृष्ण और कंस की कहानी पर आधारित 11-दिवसीय नाटकीय उत्सव है।
- यह एक वार्षिक एवं नाटक-आधारित प्रदर्शन है। जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
- धनु जात्रा की शुरुआत 1947-48 में भारत की स्वतंत्रता के उपलक्ष्य में की गई थी।
- 2014 में भारत सरकार के संस्कृति विभाग ने इसे ‘राष्ट्रीय महोत्सव’ (National Festival) का दर्जा दिया था।
- यह महोत्सव ‘कृष्ण लीला’ और ‘मथुरा विजय’ पर आधारित है। इसमें देवकी-वासुदेव के विवाह और राजा उग्रसेन को कंस द्वारा गद्दी से हटाना और कंस का वध शामिल है।
- इस दौरान बरगढ़ को कंस की राजधानी ‘मथुरा’ और अंबापाली, जो नदी के दूसरी ओर स्थित है को ‘गोपपुर’ (वृंदावन) का रूप दिया जाता है।
- जीरा नदी, जो बरगढ़ और अंबापाली के बीच बहती है उसे ‘यमुना’ माना जाता है।
- जात्रा के 11 दिनों के दौरान, राजा कंस बरगढ़ के प्रतीकात्मक शासक बन जाते हैं। वे हाथी पर सवार होकर नगर भ्रमण करते है।
- इसमें ‘संसार’ (Sanchaar) जैसे लुप्तप्राय लोक नृत्य रूपों का प्रदर्शन भी किया जाता है।
- यह थिएटर लगभग 8 किमी के दायरे में फैला होता है। इसमें कोई निश्चित मंच या पर्दा नहीं होता।
- इस महानाटक की कोई लिखित स्क्रिप्ट नहीं होती; पात्र पौराणिक कथाओं के आधार पर संवादों का आदान-प्रदान करते हैं।
इसका महत्व:
- आर्थिक एवं पर्यटन: यह उत्सव ओडिशा के हस्तशिल्प और लोक कलाओं (जैसे संबलपुरी नृत्य) को बढ़ावा देता है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था और पर्यटन को भारी समर्थन मिलता है।
- सामाजिक समावेशिता: यह जाति, धर्म और सामाजिक स्तर की बाधाओं को तोड़ता है। उत्सव में समाज के सभी वर्गों के लोग (श्रमिक वर्ग से लेकर अधिकारियों तक) समान रूप से भाग लेते हैं।
- लोक कला: यह पारंपरिक लोक कला रूपों जैसे संबलपुरी नृत्य, कीर्तन और ‘धप’ के संरक्षण का एक जीवंत माध्यम है। 2025 के संस्करण में इसे तकनीक (डिजिटल क्विज़ और लाइव स्ट्रीमिंग) से जोड़ा गया है।
- लोकतांत्रिक चेतना: उत्सव के दौरान राजा कंस का ‘नगर भ्रमण’ और अधिकारियों को उनके कार्यों के लिए ‘दंडित’ करना प्रतीकात्मक रूप से शासकों की जवाबदेही और जनता की समस्याओं को सुनने के लोकतांत्रिक मूल्य को प्रदर्शित करता है।

