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“इम्प्लॉसिबिलिटी ऑफ रेडिकल लाइफ एक्सटेंशन इन ह्यूमंस इन द ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी” शीर्षक वाले एक नए अध्ययन ने यह स्पष्ट किया है कि चिकित्सा और तकनीकी प्रगति के बावजूद जीवन प्रत्याशा में वृद्धि की गति धीमी हो रही है।
अध्ययन का विवरण:
इस अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने वर्ष 1990 से 2019 के बीच जन्म के समय जीवन प्रत्याशा के आंकड़ों का विश्लेषण किया। इस विश्लेषण में ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, दक्षिण कोरिया, स्पेन, स्वीडन और स्विट्ज़रलैंड जैसे देशों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जहाँ जीवन प्रत्याशा सबसे अधिक है।
प्रमुख निष्कर्ष:
- जीवन प्रत्याशा में वृद्धि: अध्ययन से पता चला है कि इन उच्च जीवन प्रत्याशा वाले देशों में जीवन प्रत्याशा में केवल 6.5 वर्ष की वृद्धि हुई है, जो पिछले तीन दशकों में अपेक्षाकृत कम है।
- बीमारियों का प्रभाव: कैंसर और हृदयाघात जैसी गंभीर बीमारियों के उपचार में सुधार करने के बजाय, शोधकर्ताओं का मानना है कि ऐसी नई दवाओं की आवश्यकता है जो उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करने में मदद कर सकें।
- लड़कियों और लड़कों की संभावनाएँ: वर्तमान अनुमानों के अनुसार, इन क्षेत्रों में लड़कियों के लिए 100 वर्ष की आयु तक पहुँचने की संभावना 5.3% है, जबकि लड़कों के लिए यह केवल 1.8% है।
- अंगों में कमज़ोरी: भले ही सामान्य बीमारियों का उन्मूलन कर दिया जाए, उम्र बढ़ने के कारण अंगों की कमजोरी जीवन प्रत्याशा की वृद्धि को सीमित कर देती है।
दवाओं का परीक्षण:
जीवन प्रत्याशा में वृद्धि के लिए कई दवाओं का परीक्षण किया जा रहा है, जिनमें मेटफॉर्मिन भी शामिल है। यह एक कम लागत वाली मधुमेह की दवा है, जो नर बंदरों में उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करने में प्रभावी साबित हुई है।
निष्कर्ष:
यह अध्ययन यह संकेत करता है कि हालांकि चिकित्सा विज्ञान में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है, फिर भी जीवन प्रत्याशा में वृद्धि की दर अपेक्षित स्तर पर नहीं बढ़ रही है। नए उपचारों और दवाओं के विकास की आवश्यकता है, जो उम्र बढ़ने की प्रक्रियाओं को प्रभावी ढंग से संबोधित कर सकें, ताकि हम जीवन प्रत्याशा को और बढ़ा सकें।
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