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भारत ने अक्षय ऊर्जा क्षमता में 200 गीगावाट का आंकड़ा पार किया

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भारत ने अपनी अक्षय ऊर्जा (Renewable Energy) यात्रा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है, जिसमें 10 अक्टूबर, 2024 तक देश की कुल अक्षय ऊर्जा क्षमता 201.45 गीगावाट तक पहुंच गई है। यह भारत के स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन और हरित भविष्य की ओर बढ़ते कदम का प्रतीक है। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के अनुसार, यह उपलब्धि देश के प्राकृतिक संसाधनों के व्यापक उपयोग और स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में किए जा रहे वर्षों के समर्पित प्रयासों का परिणाम है।

अक्षय ऊर्जा (Renewable Energy) के बारे में:

अक्षय ऊर्जा (Renewable Energy) वह ऊर्जा है जो प्राकृतिक संसाधनों से प्राप्त होती है और जो बार-बार पुनः उत्पन्न की जा सकती है। यह ऊर्जा स्रोत पर्यावरण के लिए अनुकूल होते हैं और परंपरागत जीवाश्म ईंधनों जैसे कोयला, तेल और गैस की तुलना में कम प्रदूषण फैलाते हैं। अक्षय ऊर्जा के स्रोत प्राकृतिक प्रक्रियाओं से जुड़े होते हैं, जिनमें सूर्य, हवा, जल और जैविक पदार्थ शामिल हैं।

प्रमुख अक्षय ऊर्जा स्रोत:

  1. सौर ऊर्जा (Solar Energy):
    • सूर्य से प्राप्त ऊर्जा को सौर पैनलों के माध्यम से बिजली में बदला जाता है।
    • इसका उपयोग घरों, उद्योगों और अन्य क्षेत्रों में बिजली उत्पादन के लिए होता है।
    • भारत में सौर ऊर्जा की क्षमता तेजी से बढ़ रही है, जो देश की अक्षय ऊर्जा क्षमता का एक बड़ा हिस्सा है।
  2. पवन ऊर्जा (Wind Energy):
    • पवन चक्कियों के माध्यम से हवा की गतिज ऊर्जा को बिजली में बदला जाता है।
    • भारत में तटीय क्षेत्रों और कुछ अन्य हिस्सों में पवन ऊर्जा का काफी योगदान है।
  3. जलविद्युत ऊर्जा (Hydropower):
    • जल की धारा या गिरते हुए पानी की ऊर्जा से बिजली उत्पन्न की जाती है।
    • यह स्थायी और भरोसेमंद ऊर्जा स्रोत है, जो बड़े और छोटे जलाशयों के माध्यम से संचालित होता है।
  4. बायोमास ऊर्जा (Biomass Energy):
    • जैविक कचरे जैसे कृषि अपशिष्ट, लकड़ी, और फसल अवशेषों से प्राप्त ऊर्जा।
    • इसका उपयोग बिजली उत्पादन और ईंधन के रूप में किया जाता है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में।
  5. भूतापीय ऊर्जा (Geothermal Energy):
    • पृथ्वी की आंतरिक गर्मी से उत्पन्न ऊर्जा।
    • इसका उपयोग बिजली उत्पादन और गर्मी प्रदान करने के लिए होता है, हालांकि भारत में इसका उपयोग सीमित है।
  6. समुद्री ऊर्जा (Ocean Energy):
    • समुद्री लहरों, ज्वार और समुद्री धाराओं से उत्पन्न ऊर्जा।
    • इस क्षेत्र में अनुसंधान और विकास जारी है और यह भविष्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

अक्षय ऊर्जा के लाभ:

  • पर्यावरण संरक्षण: यह ऊर्जा स्रोत ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करते हैं, जिससे जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
  • अक्षयता: यह स्रोत कभी समाप्त नहीं होते, जबकि जीवाश्म ईंधन सीमित मात्रा में होते हैं।
  • स्थानीय अर्थव्यवस्था: अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं से रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होते हैं, खासकर ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में।
  • ऊर्जा सुरक्षा: यह ऊर्जा स्रोत किसी भी देश को अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए आत्मनिर्भर बनाने में मदद कर सकते हैं।

भारत की अक्षय ऊर्जा क्षमता: मुख्य स्रोत

  • सौर ऊर्जा: 90.76 गीगावाट (भारत की सबसे बड़ी अक्षय ऊर्जा स्रोत)
  • पवन ऊर्जा: 47.36 गीगावाट
  • बड़ी पनबिजली: 46.92 गीगावाट
  • छोटी पनबिजली: 5.07 गीगावाट
  • बायोमास और बायोपावर: 11.32 गीगावाट

कुल बिजली उत्पादन और अक्षय ऊर्जा का योगदान:

भारत की कुल बिजली उत्पादन क्षमता 452.69 गीगावाट है, जिसमें से 46.3% अक्षय ऊर्जा आधारित है। यह संकेत देता है कि भारत की ऊर्जा संरचना अब अधिक स्वच्छ और नवीकरणीय स्रोतों पर निर्भर हो रही है। साथ ही, 8,180 मेगावाट की परमाणु ऊर्जा क्षमता जोड़ने के बाद, भारत की कुल गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित क्षमता देश की स्थापित क्षमता का लगभग आधा हिस्सा बनाती है, जिससे भारत वैश्विक मंच पर स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में नेतृत्व की भूमिका निभाने के लिए तैयार है।

भारत की स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में प्रगति:

  • भारत ने जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता कम करने में उल्लेखनीय प्रगति की है।
  • अक्षय ऊर्जा के विविध स्रोतों के माध्यम से देश की ऊर्जा सुरक्षा मजबूत हुई है।
  • बड़े पैमाने पर सौर पार्कों, पवन ऊर्जा परियोजनाओं और जलविद्युत परियोजनाओं ने भारत के ऊर्जा उत्पादन में स्थिरता और लचीलापन सुनिश्चित किया है।

भारत के अक्षय ऊर्जा क्षमता में अग्रणी राज्य देश की नवीकरणीय ऊर्जा यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इनमें से कुछ प्रमुख राज्य हैं:

  1. राजस्थान
  • अक्षय ऊर्जा क्षमता: 29.98 गीगावाट
  • विशेषता: राजस्थान अपनी विशाल भूमि और प्रचुर मात्रा में सूर्य के प्रकाश का उपयोग करके अक्षय ऊर्जा में शीर्ष स्थान पर है। सौर ऊर्जा परियोजनाओं में इसका महत्वपूर्ण योगदान है।
  1. गुजरात
  • अक्षय ऊर्जा क्षमता: 29.52 गीगावाट
  • विशेषता: गुजरात ने सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं को व्यापक रूप से अपनाया है, जो इसे देश के दूसरे स्थान पर रखता है।
  1. तमिलनाडु
  • अक्षय ऊर्जा क्षमता: 23.70 गीगावाट
  • विशेषता: तमिलनाडु अपने अनुकूल पवन पैटर्न का लाभ उठाते हुए पवन ऊर्जा उत्पादन में अग्रणी राज्य है।
  1. कर्नाटक
  • अक्षय ऊर्जा क्षमता: 22.37 गीगावाट
  • विशेषता: कर्नाटक सौर और पवन ऊर्जा दोनों में मजबूत प्रदर्शन कर रहा है, जिससे वह शीर्ष चार राज्यों में शामिल है।

मुख्य योजनाएं और कार्यक्रम: भारत सरकार अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रमुख योजनाओं और कार्यक्रमों को लागू कर रही है, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

  1. राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन: इसका उद्देश्य स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों का विकास करना और हाइड्रोजन उत्पादन में भारत को आत्मनिर्भर बनाना है।
  2. पीएम-कुसुम योजना: यह योजना किसानों को सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने और अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
  3. पीएलआई (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव) योजनाएं: यह योजना सौर पीवी मॉड्यूल के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन प्रदान करती है।
  4. नवीकरणीय ऊर्जा बोलियां: वित्तीय वर्ष 2023-24 से 2027-28 तक अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए प्रति वर्ष 50 गीगावाट की बोलियों की योजना बनाई गई है।
  5. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI): अक्षय ऊर्जा में निवेश बढ़ाने के लिए स्वचालित रूट के तहत 100 प्रतिशत तक FDI की अनुमति दी गई है।
  6. अल्ट्रा मेगा नवीकरणीय ऊर्जा पार्क: बड़े पैमाने पर नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए भूमि और पारेषण उपलब्ध कराने के लिए इन पार्कों की स्थापना की जा रही है।
  7. अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाएं: गुजरात और तमिलनाडु के तटों पर 1 गीगावाट की अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाओं को बढ़ावा देने की योजना है।
  8. समान नवीकरणीय ऊर्जा टैरिफ (URET): नवीकरणीय ऊर्जा के लिए एक समान टैरिफ व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए प्रक्रिया स्थापित की गई है।
  9. ग्रीन टर्म अहेड मार्केट (GTAM): यह एक्सचेंजों के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा बिजली की बिक्री की सुविधा प्रदान करता है, जिससे अक्षय ऊर्जा उत्पादकों को अधिक बाजार पहुंच मिलती है।

निष्कर्ष:

भारत की अक्षय ऊर्जा यात्रा ने 200 गीगावाट से अधिक की स्थापित क्षमता के साथ एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। यह उपलब्धि न केवल ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि का प्रतीक है, बल्कि सौर, पवन, जलविद्युत, और जैव ऊर्जा जैसे विविध अक्षय स्रोतों के माध्यम से एक स्थायी भविष्य की दिशा में देश की मजबूत प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है।

सरकार की सक्रिय पहल, जैसे राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन, पीएम-कुसुम योजना, पीएम सूर्य घर और सौर पीवी मॉड्यूल के लिए पीएलआई योजनाएं, देश को जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने और ऊर्जा उत्पादन क्षमता बढ़ाने में मदद कर रही हैं।

2030 तक गैर-जीवाश्म स्रोतों से 500 गीगावाट स्थापित क्षमता के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के साथ, भारत न केवल अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने की दिशा में अग्रसर है, बल्कि पर्यावरणीय स्थिरता और ऊर्जा सुरक्षा को भी प्राथमिकता दे रहा है। यह समग्र दृष्टिकोण देश को अक्षय ऊर्जा में वैश्विक नेतृत्व की स्थिति में लाने और जलवायु परिवर्तन और संसाधन संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों का समाधान करने में सहायक होगा।

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