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भारत-रूस व्यापार: यूरोपीय संघ की प्रतिक्रिया

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भारत-रूस व्यापार: यूरोपीय संघ ने भारतीय सरकार के साथ सबूत साझा किए हैं, जिनमें भारतीय संस्थाओं द्वारा रूस पर लगाए गए G7 और यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों के उल्लंघन की बात कही गई है।

  1. यूरोपीय संघ द्वारा लगाए गए आरोप:
    • प्रतिबंधों का उल्लंघन: रूस पर G7 और यूरोपीय संघ द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों का उद्देश्य उसकी सैन्य और औद्योगिक क्षमता को कमजोर करना है। हालांकि, रूस ने प्रतिबंधित सामान प्राप्त करने के लिए वैकल्पिक नेटवर्क बना लिए हैं।
    • गैरकानूनी व्यापार और शैडो फ्लीट: रूस प्रतिबंधों को नजरअंदाज करते हुए शैडो फ्लीट और तृतीय पक्षों के माध्यम से युद्ध-संबंधी सामान जैसे बैटलफील्ड आइटम्स (युद्धक्षेत्र में उपयोग होने वाली वस्तुएं) प्राप्त कर रहा है।
    • तीसरे देशों की भूमिका: यूरोपीय संघ का आरोप है कि भारत समेत कुछ अन्य देशों में स्थित कंपनियां रूस को प्रतिबंधित वस्तुएं उपलब्ध कराने में भूमिका निभा रही हैं।
  2. भारत से जुड़े मुख्य बिंदु:
    • भारतीय कंपनियों पर आरोप: यूरोपीय संघ ने भारत स्थित दो कंपनियों Si2 Microsystems Pvt Ltd और Innovio Ventures पर आरोप लगाया है कि ये कंपनियां ‘Common High Priority Items’ (जैसे सेमीकंडक्टर्स, माइक्रोचिप्स, और तकनीकी उपकरण) रूस को निर्यात कर रही हैं।
      • ये सामान रूसी सैन्य उपकरणों को अधिक सटीक और घातक बनाने के लिए उपयोग हो रहे हैं।

भारत द्वारा रूस को सहायता:

  1. ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग: भारत ने रूस से कच्चे तेल (क्रूड ऑयल) के आयात में तेजी से वृद्धि की है।
    • वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत और रूस के बीच व्यापार $65.4 बिलियन तक पहुंच गया, जिसमें 5% की वृद्धि हुई।
  2. प्रौद्योगिकी और औद्योगिक वस्तुएं: प्रतिबंधित तकनीकी सामान (जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, चिप्स और सटीक हथियार तकनीक) रूस को निर्यात करने का आरोप लगाया गया है।
  3. रक्षा सहयोग: भारत ने अपनी मेक इन इंडिया रक्षा नीति के तहत रूस से साझेदारी जारी रखी है।
  4. वित्तीय प्रणाली का उपयोग: रूस के साथ व्यापार में डॉलर के स्थान पर वैकल्पिक भुगतान प्रणाली (रुपया-रूबल लेनदेन) का उपयोग बढ़ा है।

भारत का आधिकारिक रुख:

  • भारत G7 और यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों का समर्थन नहीं करता।
  • भारत केवल संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्वीकृत प्रतिबंधों को मानता है और एकतरफा प्रतिबंधों का विरोध करता है।
  • भारत का कहना है कि उसके व्यापार और गैर-प्रसार से जुड़े कानून मजबूत हैं।

भारत-रूस व्यापार (तेल)मुख्य बिंदु:

  1. युद्ध के बावजूद भारतरूस संबंध:
    • 24 फरवरी 2022 से रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है।
    • अमेरिका और यूरोपीय देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं, लेकिन भारत और चीन ने रूस के साथ अपने संबंधों में कोई कमी नहीं आने दी।
    • भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध का समर्थन नहीं किया लेकिन दोनों पक्षों को बातचीत के जरिए समझाने की कोशिश की।
  2. यूरोपीय संघ को भारत से ईंधन निर्यात में वृद्धि:
    • 2024 की पहली तीन तिमाहियों में भारत से यूरोपीय संघ को डीजल और अन्य ईंधन का निर्यात 58% बढ़ गया।
    • यूरोपीय संघ और जी7 देशों द्वारा रूस के कच्चे तेल पर प्रतिबंध और मूल्य सीमा के बावजूद भारत के माध्यम से तेल निर्यात जारी रहा।
    • भारत ने रूस से कच्चे तेल का आयात कर उसे रिफाइन कर यूरोपीय देशों को कानूनी रूप से निर्यात किया।
  3. रूस का सबसे बड़ा तेल खरीदार भारत:
    • भारत रूस का दूसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल खरीदार बन गया है।
    • युद्ध से पहले भारत की कुल तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी 1% से भी कम थी, जो अब बढ़कर लगभग 40% हो गई है।
    • ऊर्जा और स्वच्छ वायु पर शोध केंद्र (CREA) के अनुसार, भारत ने प्रतिबंधों में मौजूद शोधन नियमों की खामियों का लाभ उठाकर यूरोपीय संघ को तेल निर्यात में शीर्ष स्थान प्राप्त कर लिया है।
  4. भारत की प्रमुख रिफाइनरियाँ:
    • तीन प्रमुख रिफाइनरियाँ यूरोपीय संघ को ईंधन निर्यात करती है:
      • रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (जामनगर, गुजरात): भारत की सबसे बड़ी निजी तेल रिफाइनरी।
      • वडिनार रिफाइनरी (गुजरात): रूस की रोसनेफ्ट समर्थित नायरा एनर्जी द्वारा संचालित।
      • मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड (एमआरपीएल): सरकारी स्वामित्व वाली ओएनजीसी की सहायक कंपनी।
    • तीनों रिफाइनरियों ने 2024 के पहले आठ महीनों में यूरोपीय संघ को लगभग 7 मिलियन मीट्रिक टन तेल निर्यात कर €5.4 बिलियन की कमाई की।
    • इन रिफाइनरियों की कच्चे तेल की खरीद का 30% से 70% हिस्सा रूस से आता है।

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