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AI निगरानी: भारत निगरानी प्रणाली में AI को अपनाने में अग्रणी है। यह तकनीकी एकीकरण कानून प्रवर्तन को आधुनिक बनाने के लिए एक सकारात्मक कदम है, लेकिन उपयुक्त कानूनी ढांचे के अभाव में यह नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों, विशेष रूप से गोपनीयता के अधिकार, के उल्लंघन का कारण बन सकता है।
मुख्य बिंदु:
- 2019 में भारतीय सरकार ने दुनिया का सबसे बड़ा फेशियल रिकग्निशन सिस्टम बनाने की घोषणा की थी।
- अगले पांच वर्षों में, योजना वास्तविकता में बदल गई है, जिसमें रेलवे स्टेशनों पर AI-आधारित निगरानी प्रणाली और दिल्ली पुलिस द्वारा अपराध निगरानी के लिए AI का उपयोग शामिल है।
- 50 AI-शक्ति वाले उपग्रहों की योजना बनाई जा रही है, जो भारत की निगरानी व्यवस्था को और मजबूत करेंगे।
भारत में AI निगरानी से संबंधित मौजूदा कानूनी ढांचे:
- संविधानिक प्रावधान:
- अनुच्छेद 21 के तहत गोपनीयता का अधिकार।
- S. Puttaswamy केस (2017) में सुप्रीम कोर्ट ने गोपनीयता को मौलिक अधिकार के रूप में पहचाना।
- गोपनीयता में सूचना गोपनीयता भी शामिल है।
- डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट (DPDPA):
- 2023 में लागू हुआ।
- डेटा गोपनीयता और सहमति प्रबंधन को नियंत्रित करता है।
- आलोचना: सरकार को सहमति के बिना डेटा संसाधित करने की छूट, खासकर चिकित्सा और रोजगार संबंधी मामलों में।
- AI निगरानी के लिए विशिष्ट नियमों की कमी:
- कोई व्यापक कानून नहीं है।
- डिजिटल इंडिया एक्ट के तहत भविष्य में नियमों का वादा, लेकिन अभी तक कोई मसौदा नहीं है।
भारतीय संदर्भ:
- भारत में निगरानी की क्षमताएँ तेजी से बढ़ रही हैं, जिसमें 50 ए.आई.-संचालित उपग्रहों की योजना और सार्वजनिक प्रणालियों में AI का समाकलन शामिल है।
- तेलंगाना पुलिस डेटा उल्लंघन जैसे मामले व्यक्तिगत डेटा के दुरुपयोग को उजागर करते हैं, खासकर कल्याण योजनाओं (जैसे “समग्र वेदिका”) के माध्यम से एकत्रित डेटा।
- मौजूदा कानूनी ढांचे डेटा संग्रहण और ए.आई. के उपयोग में पारदर्शिता, न्यायिक निगरानी, या जिम्मेदारी सुनिश्चित करने में असफल हैं।
अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ:
- यूरोपीय संघ (EU):
- यूरोपीय संघ का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक्ट जोखिम-आधारित दृष्टिकोण अपनाता है:
- AI अनुप्रयोगों को अस्वीकार्य, उच्च, पारदर्शिता या न्यूनतम जोखिम के रूप में वर्गीकृत करता है।
- कानून प्रवर्तन के लिए वास्तविक समय बायोमेट्रिक पहचान पर कड़े शर्तों के तहत प्रतिबंध लगाता है।
- यूरोपीय संघ का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक्ट जोखिम-आधारित दृष्टिकोण अपनाता है:
- संयुक्त राज्य अमेरिका: निगरानी कानून जैसे FISA (Foreign Intelligence Surveillance Act) बताते हैं कि अत्यधिक निगरानी की संभावना और कड़े सुरक्षा उपायों की आवश्यकता होती है।
नागरिक स्वतंत्रताओं पर प्रभाव:
- गोपनीयता का उल्लंघन: बिना पर्याप्त सुरक्षा उपायों के, डेटा संग्रहण से सूचना गोपनीयता खतरे में पड़ सकती है।
- भेदभाव: पक्षपाती ए.आई. प्रणालियाँ सामाजिक असमानताओं को बढ़ा सकती हैं।
- डेटा उल्लंघन: कमजोर सुरक्षा उपाय साइबर हमलों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ा सकते हैं।
- विश्वास की हानि: नागरिक सार्वजनिक संस्थाओं पर विश्वास खो सकते हैं।