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केर्च जलडमरूमध्य में तेल रिसाव

चर्चा में क्यों?

हाल ही में रूस के वोल्गोनेफ्ट 212 टैंकर के दो हिस्सों में टूटने से केर्च जलडमरूमध्य में हजारों टन तेल फैल गया। यह घटना एक भयंकर तूफान के दौरान हुई, जिससे पर्यावरणीय आपातकाल उत्पन्न हो गया है। यह घटना समुद्री सुरक्षा और पर्यावरणीय प्रभाव पर गंभीर चिंताएं पैदा करती है।

  • केर्च जलडमरूमध्य में तेल रिसाव ने पहले से ही युद्धजनित पर्यावरणीय नुकसान झेल रहे काला सागर क्षेत्र को एक गंभीर पर्यावरणीय संकट में डाल दिया है।  
  • ये टैंकर रूसी नौसेना के लिए भारी ईंधन तेल (मज़ूत) लेकर जा रहे थे। 
  • ग्रीनपीस ने चेतावनी दी है कि यह रिसाव समुद्री आवासों और तटीय पारिस्थितिकी तंत्रों को अपूरणीय क्षति पहुंचा सकता है, खासकर अगर तेल तटों पर आकर जमा हो गया।

तेल रिसाव का अर्थ:

तेल रिसाव का अर्थ जल निकायों जैसे महासागर, नदियों या झीलों में तेल का फैलाव या रिसाव है। यह प्रदूषण का एक गंभीर रूप है, जो अक्सर मानव लापरवाही या दुर्घटनाओं के कारण होता है। 

  • तेल रिसाव मुख्य रूप से समुद्री क्षेत्रों में देखा जाता है, जहां कच्चा तेल या परिष्कृत तेल जैसे केरोसीन, डीज़ल, पेट्रोल, हाइड्रोलिक तेल और जेट ईंधन पानी में मिल जाते हैं।
  • तेल रिसाव के परिणामस्वरूप जल का प्रदूषण होता है, जो समुद्री जीवों और पारिस्थितिक तंत्रों के लिए घातक साबित हो सकता है। 
  • इनका आकार लाखों गैलन तक हो सकता है और सफाई की लागत बहुत अधिक होती है, जिसमें महीनों से लेकर वर्षों तक का समय लग सकता है।
  • तेल प्रदूषण से निपटने और इसकी रोकथाम के लिए 1990 में ऑयल पॉल्यूशन एक्ट बनाया गया था, जिसे 1994 में बेहतर तैयारी और प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए संशोधित किया गया।

तेल रिसाव के प्रकार:

  • वर्ग A तेल (अत्यधिक विषाक्त और वाष्पशील): वर्ग A तेल हल्के, वाष्पशील और अत्यधिक विषाक्त होते हैं। ये तेजी से फैलते हैं और जल्दी वाष्पित हो जाते हैं, जिससे जल और वायु दोनों में प्रदूषण होता है। ये समुद्री जीवन और मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होते हैं क्योंकि इनका पानी में आसानी से घुलने की क्षमता अधिक होती है। इनके उदाहरणों में कच्चा तेल, जेट ईंधन और पेट्रोल शामिल हैं।
  • वर्ग B तेल (कम विषाक्त लेकिन ज्वलनशील): वर्ग B तेल वर्ग A की तुलना में कम विषाक्त होते हैं, लेकिन फिर भी पर्यावरण को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं। ये गैर-सान्द्र (नॉन-विस्कस) होते हैं और बड़े क्षेत्रों में फैलने की क्षमता रखते हैं। इनसे लंबे समय तक प्रदूषण का खतरा बना रहता है। उदाहरण के रूप में केरोसीन और हीटिंग ऑयल आते हैं।
  • वर्ग C तेल (भारी और चिपचिपे): वर्ग C तेल भारी और गाढ़े होते हैं, जो पानी या मिट्टी के साथ आसानी से नहीं मिलते। ये सतह पर चिपचिपी परत बनाते हैं, जिससे स्थानीय प्रदूषण और पर्यावरणीय क्षति होती है। इनके उदाहरणों में बंकर बी और बंकर सी तेल शामिल हैं। ये तेल सफाई के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण होते हैं।
  • वर्ग D तेल (ठोस या अर्ध-ठोस): वर्ग D तेल ठोस या अर्ध-ठोस प्रकृति के होते हैं और ठंडे वातावरण में जल्दी जम जाते हैं। ये कम विषाक्त होते हैं, लेकिन सफाई करना बेहद मुश्किल होता है। इनका ठोस स्वरूप इन्हें हटाने के प्रयासों को जटिल बनाता है। इसके उदाहरणों में ठोस पेट्रोलियम और भारी तेल शामिल हैं।
  • गैर-खनिज तेल (पशु और वनस्पति आधारित): गैर-खनिज तेल, जो मुख्य रूप से पशु वसा या वनस्पति तेल से बने होते हैं, पर्यावरण को गंभीर क्षति पहुंचा सकते हैं। ये पेट्रोलियम तेलों की तुलना में पतले होते हैं, लेकिन मिट्टी और पानी में लंबे समय तक मौजूद रहकर प्रदूषण फैलाते हैं। इनसे पारिस्थितिक तंत्र पर स्थायी प्रभाव पड़ सकता है।

तेल रिसाव के कारण:

  • प्राकृतिक कारण:
    • समुद्र की तलहटी में मौजूद तलछटी चट्टानों के प्राकृतिक क्षरण से तेल रिसाव हो सकता है।
    • भूकंप, ज्वालामुखीय गतिविधियाँ, या विवर्तनिक हलचलें भूमिगत तेल भंडार या पृथ्वी की सतह के नीचे फंसे तेल को बाहर निकाल सकती हैं।
    • समुद्री तूफान या चक्रवात जैसे अत्यधिक मौसम की स्थितियाँ कभी-कभी प्राकृतिक तेल भंडार को नुकसान पहुँचाकर रिसाव का कारण बनती हैं।
    • महासागर की सतह के नीचे दबे तेल की परतें कभी-कभी स्वतः बाहर आ जाती हैं, जिससे स्थानीय पर्यावरण प्रभावित होता है।
  • मानवीय कारण:
    • तेल के परिवहन, भंडारण, और निकासी में लापरवाही और सुरक्षा नियमों की अनदेखी से तेल रिसाव की घटनाएँ होती हैं।
    • पुरानी और अपर्याप्त तकनीक का उपयोग तेल की खुदाई और भंडारण के दौरान दुर्घटनाओं का कारण बनता है।
    • तेल टैंकरों की टक्कर, पाइपलाइनों का फटना, या ड्रिलिंग रिग्स में तकनीकी खराबी जैसी औद्योगिक दुर्घटनाएँ बड़े पैमाने पर तेल रिसाव का कारण बनती हैं।
    • समुद्र के माध्यम से तेल का परिवहन करते समय जहाजों या टैंकरों की खराब स्थिति, जंग लगना, या यांत्रिक विफलताएँ रिसाव को बढ़ावा देती हैं।

तेल रिसाव के प्रभाव:

  • समुद्री जीवन पर प्रभाव:
    • पानी की सतह पर फैला तेल सूरज की रोशनी को प्रवेश करने से रोकता है, जिससे जल में ऑक्सीजन का स्तर घट जाता है।
    • प्रदूषित जल में समुद्री जीवों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है।
    • तेल में मौजूद जहरीले रसायन प्रजनन क्षमता को कम करते हैं, जिससे कई प्रजातियों की संख्या घट सकती है।
  • पर्यावरण पर प्रभाव:
    • तेल के जहरीले पदार्थ मिट्टी, जल, और वायु को प्रदूषित करते हैं, जिससे स्थलीय और जलीय पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित होता है।
    • तेल भूमि पर फैलकर मिट्टी को बंजर बना देता है और भूजल को दूषित कर देता है।
    • वाष्पशील यौगिक जैसे बेंजीन और टोल्यून वायुमंडल में मिलकर वायु प्रदूषण को बढ़ाते हैं।
    • वनस्पति और कृषि पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे स्थानीय खाद्य सुरक्षा खतरे में आती है।
  • जीवों के प्राकृतिक आवास पर प्रभाव:
    • तेल की परत पक्षियों की उड़ान क्षमता को बाधित करती है और उनके शरीर की गर्मी बनाए रखने की क्षमता को कम कर देती है।
    • खाद्य स्रोतों की कमी और प्रदूषण के कारण जंगली जानवरों का जीवन संकट में आ जाता है।
    • समुद्री किनारे पर बसे प्रवासी पक्षियों के लिए यह समस्या और गंभीर हो जाती है।
  • मानव स्वास्थ्य और आर्थिक प्रभाव:
    • तेल रिसाव से उत्पन्न जहरीले रसायनों के संपर्क में आने से श्वसन, यकृत, और प्रतिरोधक तंत्र पर गंभीर असर पड़ता है।
    • दूषित जल स्रोतों के कारण पीने के पानी की आपूर्ति बाधित हो जाती है, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट उत्पन्न होता है।
    • मछली पकड़ने, पर्यटन और तटीय क्षेत्रों की आर्थिक गतिविधियाँ प्रभावित होती हैं।
    • प्रदूषित समुद्र तट और पार्क मनोरंजन और व्यापार के लिए अनुपयोगी हो जाते हैं।

तेल रिसाव को रोकने और साफ करने के तरीके:

  • जैव उपचार (Bioremediation): यह विधि सूक्ष्मजीवों या जैविक एजेंटों का उपयोग करके तेल को तोड़ने या हटाने में मदद करती है। कुछ विशेष बैक्टीरिया, जैसे अल्कैनिवोरेक्स और मेथिलोसेला सिल्वेस्ट्रिस, हाइड्रोकार्बन को प्राकृतिक रूप से विघटित करने में सक्षम होते हैं।
  • जैव उपचार त्वरक (Bioremediation Accelerators): इस तकनीक में ऐसे बाइंडर अणु उपयोग किए जाते हैं जो पानी से हाइड्रोकार्बन को निकालकर जेल के रूप में बदल देते हैं। यह प्रक्रिया सूक्ष्मजीवों की गतिविधि को तेज करके तेल विघटन की गति बढ़ाती है।
  • नियंत्रित दहन (Controlled Combustion): पानी की सतह पर मौजूद तेल को जलाकर उसकी मात्रा कम की जा सकती है। यह विधि केवल कम हवा वाले मौसम में प्रभावी है लेकिन वायु प्रदूषण का कारण बन सकती है।
  • ड्रेजिंग (Dredging): ड्रेजिंग तकनीक का उपयोग पानी की सतह से फैले हुए तेल को हटाने के लिए किया जाता है। इस विधि में डिटर्जेंट और पानी का मिश्रण बनाकर तेल को इकट्ठा और अलग किया जाता है।

इतिहास के सबसे बड़े और भयंकर तेल रिसाव :

  1. नाइजर डेल्टा तेल रिसाव (1970-2000): नाइजर डेल्टा को पारिस्थितिकी तंत्र के विनाश के सबसे खतरनाक उदाहरणों में से एक माना जाता है, जहाँ 1970 से 2000 के बीच 7,000 से अधिक तेल रिसाव हुए। 1956 से 2006 के बीच इस क्षेत्र में अनुमानित 1.5 मिलियन टन तेल रिसाव हुआ, जिससे स्थानीय पर्यावरण को भारी नुकसान हुआ।
  2. गोल्फ वॉर तेल रिसाव (1991): गोल्फ युद्ध के दौरान, लगभग 13,60,000 से 15,00,000 टन (8 मिलियन बैरल) तेल को फारस की खाड़ी में छोड़ा गया था, जो इतिहास के सबसे बड़े जानबूझकर किए गए तेल रिसावों में से एक था।
  3. इक्सटोक I तेल रिसाव (1979): गुल्फ ऑफ मेक्सिको में, एक ऑफशोर तेल कुएं में ब्लोआउट के कारण 4,54,000 टन तेल का रिसाव हुआ था, जो नौ महीने से अधिक समय तक जारी रहा, अंततः इसे बंद किया गया।
  4. नाउरु तेल क्षेत्र रिसाव (1983): पहले गोल्फ युद्ध के दौरान, एक टैंकर नाउरु तेल क्षेत्र में टकरा गया, जिसके परिणामस्वरूप 2,60,000 टन तेल समुद्र में फैल गया।

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