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कृषि-कार्बन बाज़ार : कार्बन बाजारों की अवधारणा भारतीय कृषि में स्थिरता और जलवायु परिवर्तन से निपटने की अत्यधिक संभावनाएं रखती है। यह किसानों को सतत कृषि प्रथाओं के लिए प्रोत्साहित करते हुए आर्थिक लाभ प्रदान करती है। कार्बन बाजार GHG उत्सर्जन को नियंत्रित करने और वैश्विक जलवायु लक्ष्यों में योगदान देने का एक प्रभावी तरीका है।
कार्बन बाजार और उनका कार्य करने का तरीका:
परिचय:
कार्बन बाजारों को COP29 (नवंबर 2024) में संयुक्त राष्ट्र के तहत केंद्रीकृत कार्बन बाजार को मंजूरी मिली। भारत ने भी अनुपालन और स्वैच्छिक कार्बन बाजार शुरू करने की योजना बनाई है। राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के साथ मिलकर Verra रजिस्ट्री में पांच कृषि कार्बन क्रेडिट परियोजनाएं सूचीबद्ध की हैं।
वर्तमान कार्बन क्रेडिट परियोजनाएँ :
- सहयोगी पहल:
- राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और राज्य विश्वविद्यालयों ने Verra रजिस्ट्री में 5 कृषि कार्बन क्रेडिट परियोजनाएँ सूचीबद्ध की हैं।
- उद्देश्य: सतत कृषि को बढ़ावा देना और किसानों की आय बढ़ाना।
- कार्बन फार्मिंग परियोजनाएँ:
- 50 से अधिक परियोजनाएँ भारत में 16 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि को कवर करती हैं।
- इनका लक्ष्य 47 लाख कार्बन क्रेडिट प्रति वर्ष उत्पन्न करना है।
- वर्तमान स्थिति:
- अभी तक कोई भी परियोजना पंजीकृत नहीं हुई है।
- किसानों को आर्थिक लाभ नहीं मिला है।
Verra रजिस्ट्री का परिचय:
- Verra एक कार्बन क्रेडिट रजिस्ट्री है।
- यह वेरिफाइड कार्बन स्टैंडर्ड (VCS) के तहत उच्च-गुणवत्ता वाली परियोजनाओं का प्रबंधन और पारदर्शी क्रेडिट व्यापार सुनिश्चित करती है।
कार्बन बाजारों की अवधारणा और उनके उद्देश्य
अनुपालन कार्बन बाजार:
- परिभाषा: यह वे बाजार हैं जो अंतरराष्ट्रीय समझौतों, राष्ट्रीय सरकारों या क्षेत्रीय प्राधिकरणों द्वारा विनियमित होते हैं।
- उद्देश्य:
- GHG (ग्रीनहाउस गैस) उत्सर्जन की सीमा तय करना।
- जो कंपनियाँ और उद्योग इस सीमा से अधिक उत्सर्जन करते हैं, उन्हें कार्बन क्रेडिट खरीदने या आर्थिक दंड भरने की आवश्यकता होती है।
स्वैच्छिक कार्बन बाजार:
- परिभाषा: यह बाजार सरकारी आदेशों के बाहर स्वतंत्र रूप से संचालित होते हैं।
- उद्देश्य:
- कंपनियों, व्यक्तियों, और संगठनों को अपना कार्बन फुटप्रिंट कम करने का वैकल्पिक विकल्प प्रदान करना।
- CSR पहल और पर्यावरणीय जिम्मेदारी को बढ़ावा देना।
- उदाहरण: क्लीन डेवलपमेंट मैकेनिज्म, वेरा (Verra) और गोल्ड स्टैंडर्ड जैसे संगठनों द्वारा प्रमाणित परियोजनाएँ।
कार्बन बाजारों का समग्र उद्देश्य:
- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना और जलवायु परिवर्तन से निपटना।
- अनुपालन बाजार प्रणालीगत परिवर्तन लागू करते हैं।
- स्वैच्छिक बाजार नवाचार और जन भागीदारी को बढ़ावा देते हैं।
भारत में कृषि कार्बन बाजार की चुनौतियाँ:
- किसानों में जागरूकता की कमी:
- किसानों को कार्बन बाजारों की अवधारणा और उनके लाभ के बारे में कम जानकारी है।
- 45% किसान जो कार्बन क्रेडिट परियोजनाओं से जुड़े हैं, परियोजना के उद्देश्यों के बारे में कुछ भी नहीं
- स्थायी प्रथाओं में प्रशिक्षण की कमी: 60% किसान नई कृषि तकनीकों जैसे शून्य जुताई, अंतर-फसल, सूक्ष्म सिंचाई, और वैकल्पिक सिंचाई विधियों में कोई प्रशिक्षण नहीं पाते।
- वित्तीय प्रोत्साहन में देरी: किसानों को अतिरिक्त आय का वादा किया गया था, लेकिन 99% किसानों को अब तक कोई भुगतान नहीं मिला।
- उपज में कमी और खाद्य सुरक्षा: टिकाऊ कृषि प्रथाओं को अपनाने के प्रारंभिक वर्षों में उपज में कमी होती है।