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संदर्भ:
भारत- तालिबान पहली उच्च-स्तरीय वार्ता: दुबई में हुई बैठक ने 2021 में अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद भारत और तालिबान के बीच अब तक के सबसे उच्चस्तरीय संवाद को चिह्नित किया। हालाँकि भारत ने तालिबान प्रशासन को औपचारिक मान्यता नहीं दी है, लेकिन वह काबुल में एक छोटा मिशन संचालित करता है, जो व्यापार, सहायता, और चिकित्सा समर्थन के साथ-साथ मानवीय सहायता जारी रखता है।
भारत की तालिबान के साथ पहली उच्च–स्तरीय वार्ता: विदेश सचिव विक्रम मिश्री ने दुबई में अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी से मुलाकात की।
- यह तालिबान शासन के साथ भारत की पहली उच्च-स्तरीय द्विपक्षीय वार्ता है।
- पहले भारत केवल संयुक्त सचिव स्तर पर तालिबान से संपर्क कर रहा था।
भारत- तालिबान पहली उच्च-स्तरीय वार्ता के मुख्य चर्चा के क्षेत्र:
- सुरक्षा चिंताएँ:
- भारत ने अफगान भूमि पर भारत-विरोधी आतंकवादी समूहों को रोकने की आवश्यकता पर जोर दिया।
- पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह जैसे लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) पर चिंता व्यक्त की गई।
- अफगान पक्ष ने भारत की सुरक्षा चिंताओं को समझने और समर्थन देने का आश्वासन दिया।
- विकास और मानवीय सहायता:
- भारत ने अफगानिस्तान में चल रही मानवीय सहायता और विकास परियोजनाओं के पुनर्मूल्यांकन का वादा किया।
- भारत ने पहले ही खाद्य सामग्री, दवाइयाँ, टीके और भूकंप राहत सामग्री सहित बड़ी मात्रा में सहायता भेजी है।
- स्वास्थ्य सेवाओं और शरणार्थी पुनर्वास के लिए अतिरिक्त सहायता पर सहमति हुई।
- चाबहार बंदरगाह का उपयोग:
- अफगानिस्तान में व्यापार और मानवीय सहायता के लिए ईरान के चाबहार बंदरगाह के उपयोग को बढ़ावा देने पर सहमति हुई।
- भारत को इस बंदरगाह के उपयोग के लिए अमेरिकी प्रतिबंधों से छूट मिली है।
- खेल संबंध मजबूत करना:
- क्रिकेट में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा हुई।
- भारत ने नोएडा में अफगान खिलाड़ियों को प्रशिक्षण और सुविधाएँ प्रदान करने का समर्थन किया।
भारत–अफगानिस्तान संबंध:
पृष्ठभूमि:
- 1950 का मैत्री संधि समझौता: भारत और अफगानिस्तान ने करीबी और मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखे।
- तालिबान का लौटना: भारत ने आधिकारिक रूप से तालिबान को मान्यता नहीं दी, लेकिन संपर्क जारी रहे।
- भारतीय दूतावास में तकनीकी टीम की तैनाती: मानवीय सहायता और अफगान जनता से निरंतर जुड़ाव सुनिश्चित करने के लिए।
- आधिकारिक बैठक (नवंबर 2024): काबुल में, तालिबान के रक्षा नेतृत्व और भारतीय राजनयिक के बीच पहली आधिकारिक बैठक।
भारत के लिए अफगानिस्तान का महत्व:
- स्थान:
- अफगानिस्तान का ‘एशिया का हृदय‘ के रूप में स्थान ऐतिहासिक और रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
- खैबर और बोलन दर्रों के माध्यम से भारत के लिए यह प्राचीन काल से मार्ग प्रदान करता रहा है।
- स्थिरता और सुरक्षा:
- अफगानिस्तान का उपयोग आतंकवादी समूहों द्वारा सुरक्षित अड्डे के रूप में किया गया है।
- रचनात्मक जुड़ाव आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद की समस्याओं का समाधान सुनिश्चित कर सकता है।
- मध्य एशिया के साथ जुड़ाव: अफगानिस्तान, मध्य एशिया और दक्षिण एशिया के चौराहे पर स्थित है, जो क्षेत्रीय व्यापार और कनेक्टिविटी के लिए महत्वपूर्ण है।
- भारत की सॉफ्ट पावर को मजबूत करना: मानवीय सहायता, जैसे 2021 में अफगानिस्तान में सूखा प्रभावित लोगों को गेहूं की आपूर्ति, भारत की छवि को सुधारने में मदद करती है।
- भारतीय परियोजनाएँ: अफगान–भारत मैत्री बांध (सलमा डैम), ज़ारंज–डेलाराम राजमार्ग, जैसे प्रमुख विकास परियोजनाएँ भारत की भागीदारी को दर्शाती हैं।
- चीन की बढ़ती भूमिका:
- चीन ने काबुल में शहरी विकास परियोजनाओं की पहल की है और राजदूतों के बीच आदान-प्रदान को तेज किया है।
- यह भारत के लिए क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बनाए रखने का एक रणनीतिक दबाव बनाता है।