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संदर्भ:
उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT), पीएम गति शक्ति पोर्टल के तहत उपलब्ध डेटा और मैपिंग सुविधाओं के उपयोग को लेकर निजी क्षेत्र के लिए विस्तृत दिशानिर्देश जारी करने पर कार्य कर रहा है, ताकि वे बुनियादी ढांचा और अन्य परियोजनाओं में प्रभावी निर्णय ले सकें।
PM गति शक्ति पोर्टल के बारे में:
- परिचय:
- PM गति शक्ति – राष्ट्रीय मास्टर प्लान एक डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म है, जो विभिन्न मंत्रालयों (जैसे रेलवे, सड़क परिवहन) को एकीकृत योजना और समन्वित क्रियान्वयन के लिए जोड़ता है।
- लॉन्च: अक्टूबर 2021।
- मुख्य उद्देश्य:
- GIS प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से मंत्रालयों को जोड़कर बेहतर समन्वय और योजना।
- मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना (रेल, सड़क, बंदरगाह, हवाई अड्डे आदि का एकीकृत विकास)।
- लॉजिस्टिक्स लागत को 8% तक कम करना, जैसा कि विकसित देशों में है।
- ‘मेक इन इंडिया’ को प्रोत्साहित करना, जिससे भारत वैश्विक विनिर्माण और व्यापार केंद्र के रूप में मजबूत हो सके।
निजी क्षेत्र के लिए DPIIT दिशानिर्देश:
- उद्देश्य: उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) निजी कंपनियों के लिए PM गति शक्ति पोर्टल से डेटा और मानचित्रों के उपयोग पर विस्तृत दिशानिर्देश जारी करेगा।
- डेटा साझाकरण विकल्प: सरकार निजी क्षेत्र के साथ डेटा साझा करने के विभिन्न तरीकों पर विचार कर रही है।
- सुरक्षित विकल्प: कंपनियों को उनके प्रोजेक्ट से संबंधित विशिष्ट प्रश्नों के आधार पर डेटा प्रदान करना।
- डेटा साझाकरण का उद्देश्य:
- बेहतर परियोजना योजना और लास्ट-माइल डिलीवरी को अनुकूलित करना।
- इंफ्रास्ट्रक्चर-आधारित एप्लिकेशन विकसित करना।
- उदाहरण:
- कोयला खनन कंपनी → सर्वोत्तम परिवहन मार्ग खोजने के लिए डेटा का उपयोग।
- टेलीकॉम कंपनी → मोबाइल टावरों के स्थानों की प्रभावी योजना बनाने के लिए।
PM गति शक्ति योजना: प्रमुख लाभ और चुनौतियाँ:
प्रमुख लाभ:
- तेज़ अवसंरचना विकास: 208 से अधिक प्रमुख अवसंरचना परियोजनाओं (मूल्य $180 बिलियन से अधिक) की निगरानी और तेज़ कार्यान्वयन।
- महत्वपूर्ण अवसंरचना अंतराल की पहचान: लास्ट-माइल कनेक्टिविटी में सुधार, खासकर कोयला और खाद्य वितरण जैसे क्षेत्रों में।
- वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि: लॉजिस्टिक्स लागत में कमी से भारतीय वस्तुएँ अंतरराष्ट्रीय बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी हुईं।
प्रमुख चुनौतियाँ:
- भूमि स्वामित्व विवाद: भूमि अधिग्रहण से जुड़े कानूनी और स्वामित्व विवादों के कारण परियोजनाओं में देरी।
- सरकारी रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण नहीं होना: अनुपलब्ध या असंगठित रिकॉर्ड के कारण फैसले लेने में कठिनाई।
- डेटा साझाकरण और तकनीकी दक्षता की कमी:
- निजी क्षेत्र के साथ डेटा साझा करने को लेकर सुरक्षा चिंताएँ।
- उन्नत भू-स्थानिक (Geospatial) तकनीक के लिए कुशल कार्यबल की कमी।