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लड़ाकू विमानों को लेकर भारत की दुविधा

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संदर्भ:

Aero India-2025 में रूस के Su-57 और अमेरिका के F-35 लड़ाकू विमानों ने पहली बार भाग लिया। इन पांचवीं पीढ़ी के स्टेल्थ लड़ाकू विमानों ने अपनी उन्नत तकनीक, गतिशीलता और प्रदर्शन क्षमता का प्रभावशाली प्रदर्शन किया, जिससे विमानन विशेषज्ञों और रक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों में उत्साह देखने को मिला।

भारत के संभावित लड़ाकू विमान अधिग्रहण और विकास:

  • भारत को F-35 देने की संभावना:
    • अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिया कि अमेरिका भविष्य में भारत को F-35 स्टेल्थ फाइटर जेट प्रदान कर सकता है।
    • F-35 एक सिंगल-सीट, सिंगल-इंजन स्ट्राइक फाइटर है, जिसकी तीन प्रकार की वेरिएंट मौजूद हैं।
    • F-35 की कीमत लगभग $100 मिलियन (करीब 830 करोड़ रुपये) है, और इसके विकास और रखरखाव की कुल लागत 2088 तक $2 ट्रिलियन से अधिक हो सकती है।
  • भारत का FGFA (Su-57) परियोजना से बाहर होना:
    • भारत और रूस ने मिलकर फिफ्थ जेनरेशन फाइटर एयरक्राफ्ट (FGFA) को विकसित करने की योजना बनाई थी, जो Su-57 पर आधारित था।
    • हालांकि, भारत इस परियोजना से पीछे हट गया क्योंकि:
      • विकास लागत बहुत अधिक थी
      • रूस से अपेक्षित तकनीकी हस्तांतरण (टेक्नोलॉजी ट्रांसफर) सीमित था
  • भारत का मल्टीरोल फाइटर एयरक्राफ्ट (MRFA) कार्यक्रम:
    • भारतीय वायुसेना (IAF) अपनी घटती फाइटर जेट क्षमता को मजबूत करने के लिए 114 मल्टी-रोल फाइटर जेट खरीदने की योजना बना रही है।
    • स्वीडिश एयरोस्पेस कंपनी Saab ने इस परियोजना में भाग लेने में रुचि दिखाई है।
    • MRFA कार्यक्रम का उद्देश्य भारत की वायु युद्ध क्षमता को बढ़ाना और पुराने हो चुके विमानों को प्रतिस्थापित करना है।

भारतीय वायुसेना (IAF) के आधुनिकीकरण योजना:

  • 500+ लड़ाकू विमानों की खरीद योजना: भारत स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित 500+ फाइटर जेट्स हासिल करने की योजना बना रहा है
  • जिसमें निम्नलिखित प्राथमिकताएँ शामिल हैं:
    • LCA-Mk1A:
      • 83 विमानों का ऑर्डर दिया गया है।
      • GE-404 इंजन की आपूर्ति में देरी के कारण डिलीवरी प्रभावित।
    • LCA-Mk2: विकास कार्य 2027 के अंत तक पूरा होने की उम्मीद।
    • AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft):
      • पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान।
      • विकास कार्य अगले दशक तक जारी रहेगा।
  • MRFA (Multi-Role Fighter Aircraft):
    • 114 लड़ाकू विमानों की खरीद पर विचार।
    • प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (Technology Transfer) की महत्वपूर्ण भूमिका।

भारतीय वायुसेना की खरीद योजनाओं की मुख्य चुनौतियाँ:

  • इंजन आपूर्ति में देरी:
    • LCA-Mk1A के लिए GE-404 इंजन की आपूर्ति कोविड19 के कारण प्रभावित
    • GE F-414 इंजन के लाइसेंस निर्माण पर अब भी बातचीत जारी।
  • पुरानी होती फ्लीट:
    • MiG-29 और Jaguar 2027-28 तक सेवा से बाहर होने लगेंगे
    • Mirage-2000 और शुरुआती Su-30MKI 2040 के दशक की शुरुआत तक धीरे-धीरे सेवानिवृत्त होंगे।
  • MRFA परियोजना में देरी: 2019 में RFI जारी, लेकिन अब तक कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं
    • 2030 के मध्य तक बड़ी संख्या में विमान उपलब्ध नहीं होंगे।
  • विदेशी इंजनों पर निर्भरता: GE F-414 के लाइसेंस निर्माण की योजना के बावजूद, भारत अभी भी अमेरिका और फ्रांस पर महत्वपूर्ण इंजन भागों के लिए निर्भर।

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