संदर्भ:
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने घोषणा की है कि ‘अग्निवीरों‘ को राज्य की पुलिस भर्ती में 20 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा। यह फैसला ‘अग्निपथ योजना‘ के तहत सेवा दे चुके युवाओं को पुनर्स्थापन और सम्मानजनक करियर विकल्प देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
- वर्ष 2023-24 में हरियाणा के 2,893 अग्निवीरों को भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना में भर्ती किया गया, जबकि 2022-23 में यह संख्या 2,227 रही थी।
अग्निपथ योजना (Agnipath Scheme):
परिचय:
- “अग्निवीर” शब्द का अर्थ है “अग्नि योद्धा”, और यह एक नई सैन्य रैंक है।
- यह योजना भारतीय सशस्त्र बलों में अधिकारी स्तर से नीचे (Non-Commissioned Ranks) जैसे कि सैनिक, एयरमैन, और नाविक की भर्ती के लिए शुरू की गई है।
- भर्ती की अवधि 4 वर्ष की होती है।
- 4 वर्षों के बाद, 25% तक अग्निवीरों को स्थायी सेवा में शामिल किया जा सकता है (15 साल के लिए), यह मेरिट और संगठन की आवश्यकता पर निर्भर करेगा।
- वर्तमान में सभी सैनिक, नाविक और एयरमैन (मेडिकल शाखा को छोड़कर) इस योजना के अंतर्गत भर्ती किए जा रहे हैं।
उद्देश्य:
- सेना को युवा बनाए रखना।
- स्थायी सैनिकों की संख्या में कमी, ताकि सरकार पर पेंशन का वित्तीय बोझ घटे।
पात्रता (Eligibility Criteria):
- आयु सीमा: 17.5 वर्ष से 23 वर्ष तक (पहले ऊपरी सीमा 21 वर्ष थी, बाद में बढ़ाई गई)।
- लड़कियाँ भी इस योजना के अंतर्गत आवेदन कर सकती हैं, लेकिन कोई आरक्षण नहीं है।
वेतन और लाभ:
- कर्तव्य के दौरान मृत्यु: ₹1 करोड़ का संयुक्त मुआवजा, जिसमें सेवा निधि (Seva Nidhi) और बकाया वेतन शामिल होता है।
- विकलांगता: यदि सेवा के दौरान या उसके कारण विकलांगता होती है तो ₹44 लाख तक का मुआवजा दिया जाता है। यह विकलांगता की गंभीरता पर निर्भर करता है।
- पेंशन:
- सामान्य अग्निवीरों को पेंशन नहीं दी जाएगी।
- केवल वे 25% अग्निवीर, जो स्थायी कमीशन में चुने जाते हैं, उन्हें पेंशन का लाभ मिलेगा।
अग्निपथ योजना से जुड़ी प्रमुख समस्याएं:
- सेवानिवृत्ति लाभों की कमी–
- 4 साल की सेवा के बाद ₹11.71 लाख की एकमुश्त राशि दी जाती है, लेकिन पेंशन या ग्रेच्युटी नहीं मिलती।
- इससे नौकरी की सुरक्षा और पेंशन की अपेक्षा रखने वाले युवाओं में असंतोष फैला है।
- कम सेवा अवधि–
- केवल 4 साल की सेवा अवधि को अपर्याप्त माना जा रहा है।
- इससे दीर्घकालिक प्रशिक्षण, अनुभव और समर्पण की कमी हो सकती है।
- आयु सीमा की समस्या–
- अधिकतम आयु सीमा 23 वर्ष तय की गई है।
- महामारी के दौरान भर्ती न होने के कारण कई युवा योग्यता से बाहर हो गए।
- बेरोजगारी की चिंता–
- सिर्फ 25% अग्निवीरों को स्थायी नियुक्ति मिलती है।
- इससे बाकी 75% को सेवा के बाद नौकरी की अनिश्चितता का सामना करना पड़ता है।
- यह पहले से ही ऊंची युवा बेरोजगारी दर को और बढ़ा सकता है।
- राजनीतिक उद्देश्य का संदेह–
- योजना को जल्दबाज़ी में लागू किया गया, बिना पर्याप्त विमर्श के।
- चुनाव से पहले इसे राजनीतिक कदम माना जा रहा है, और रक्षा बलों की स्पष्ट स्वीकृति नहीं मिली है।
- पेंशन खर्च में कटौती का प्रयास–
- योजना को सरकार के पेंशन बिल कम करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
- इससे लंबी अवधि की सैन्य क्षमता निर्माण पर प्रभाव पड़ सकता है।