Agamas
संदर्भ:
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को राज्य के उन मंदिरों में ‘अर्चक‘ (पुजारी) नियुक्त करने की अनुमति दे दी है, जो आगम परंपरा (Agama tradition) द्वारा शासित नहीं हैं।
- यह निर्णय मंदिरों मेंसामाजिक समावेशन और धार्मिक समानता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
पृष्ठभूमि:
- तमिलनाडु में जाति आधारित पुजारियों, मंदिर स्वायत्तता और अनुष्ठानिक एकरूपता को लेकर कई बहसें हुई हैं।
- आगमिक मंदिरों की पहचान करने से यह सुनिश्चित होता है कि पुजारी नियुक्ति (अर्चक/मणियम) पारंपरिक प्रक्रियाओं और संवैधानिक मानदंडों के अनुसार हो।
आगम (Agamas) के बारे में
- आगम वे शास्त्रों का समूह हैं जो मंदिरों में अनुष्ठान, मंदिर वास्तुकला, मूर्ति पूजा के तरीके और दैनिक पूजा प्रक्रियाओं को निर्धारित करते हैं।
- ये वेदों से भिन्न हैं और विशेष रूप से दक्षिण भारत में मंदिर-आधारित हिंदू धर्म की धार्मिक आधारशिला माने जाते हैं।
- आगम तीन प्रमुख परंपराओं के लिए केंद्रीय हैं:
- शैव आगम: भगवान शिव की पूजा पर केंद्रित, जो तमिलनाडु के शैव मंदिरों में व्यापक रूप से पालन किए जाते हैं।
- वैष्णव आगम (पंचरात्र और वैखनास): भगवान विष्णु की पूजा से संबंधित, और दक्षिण भारत के प्रमुख वैष्णव मंदिरों जैसे तिरुपति में प्रचलित।
शक्त आगम (तंत्र): देवी शक्ति की पूजा से जुड़ी परंपराएं।