Endocrine-Disrupting Chemicals
संदर्भ:
मानव शरीर में माइक्रोप्लास्टिक और एंडोक्राइन डिस्टर्बिंग केमिकल्स (EDCs) की घुसपैठ एक अदृश्य लेकिन गंभीर संकट बन गई है, जो हमारे हार्मोनल तंत्र को बाधित कर रही है। यह समस्या भारत में और भी विकराल रूप ले रही है, जो विश्व का सबसे बड़ा प्लास्टिक कचरा उत्पन्न करने वाला देश है। आज प्लास्टिक प्रदूषण केवल एक पर्यावरणीय समस्या नहीं, बल्कि एक जैविक आक्रमण बन चुका है, जो सीधे मानव स्वास्थ्य को खतरे में डाल रहा है।
एंडोक्राइन–विघटनकारी रसायन (Endocrine-Disrupting Chemicals – EDCs):
- क्या हैं ये रसायन?
- एंडोक्राइन-विघटनकारी रसायन ऐसे रसायन होते हैं जो शरीर की हार्मोन प्रणाली (हॉर्मोन सिस्टम) में हस्तक्षेप करते हैं।
- ये विकास, प्रजनन, मूड और चयापचय (metabolism) को प्रभावित कर सकते हैं।
- ये कैसे काम करते हैं?
- ये प्राकृतिक हार्मोन जैसे — एस्ट्रोजन, टेस्टोस्टेरोन, थायरॉयड हार्मोन और कोर्टिसोल — की नकल करते हैं या उन्हें अवरुद्ध करते हैं।
- इससे शरीर के हार्मोन संकेत गड़बड़ा जाते हैं, जिससे जैविक प्रक्रियाएँ बाधित होती हैं।
- खतरा: बहुत कम मात्रा में भी — विशेष रूप से गर्भावस्था या किशोरावस्था के दौरान — इनका संपर्क लंबे समय तक हानिकारक प्रभाव डाल सकता है।
- संपर्क के माध्यम:
- दूषित भोजन के सेवन से
- प्रदूषित हवा में सांस लेने से
- कुछ प्लास्टिक उत्पादों या कॉस्मेटिक्स के त्वचा संपर्क से
- ये कहां पाए जाते हैं?
- प्लास्टिक बोतलों में: Bisphenol A (BPA)
- खिलौनों और सौंदर्य प्रसाधनों में: Phthalates (जैसे Di(2-ethylhexyl) phthalate)
- खाद्य पैकेजिंग सामग्री में: PFAS (Per- and Polyfluoroalkyl Substances)
- कीटनाशकों में: Dioxins, Polychlorinated Biphenyls (PCBs)
- छुपे हुए नुकसान:
- ये रसायन धीरे और चुपचाप असर करते हैं।
- दीर्घकालिक प्रभावों में बांझपन, हार्मोन असंतुलन, या कैंसर शामिल हो सकते हैं।
एंडोक्राइन–विघटनकारी रसायनों (EDCs) का मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव
- प्रजनन संबंधी हानि (Reproductive Harm):
- शुक्राणुओं की गुणवत्ता में गिरावट,
- मासिक धर्म चक्र में गड़बड़ी
- गर्भपात की संभावना में वृद्धि
- ये रसायन वीर्य, अपरा (placenta) और स्तन दूध में भी पाए जाते हैं।
- हार्मोनल असंतुलन: Bisphenol A जैसे रसायन जल्दी यौवन (early puberty), थायरॉयड समस्याएं, और हार्मोन गड़बड़ी का कारण बनते हैं।
- कैंसर का खतरा (Cancer Risk): स्तन, गर्भाशय, अंडकोष और प्रोस्टेट कैंसर से जुड़े हुए।
- कई EDCs को संभावित कैंसरजनक (probable carcinogens) के रूप में वैश्विक स्वास्थ्य एजेंसियों द्वारा वर्गीकृत किया गया है।
- चयापचय प्रभाव (Metabolic Effects):
- इंसुलिन की प्रक्रिया में बाधा,
- मोटापा और टाइप-2 डायबिटीज को बढ़ावा देना
- PFAS रसायन लीवर और हृदय रोग से जुड़े हुए हैं।
- मस्तिष्क और व्यवहार पर प्रभाव: बचपन में संपर्क के कारण ADHD, सीखने की समस्याएं, और IQ में गिरावट देखी गई है।
- पीढ़ियों तक प्रभाव: ये रसायन जीन अभिव्यक्ति (gene expression) में परिवर्तन ला सकते हैं, जिससे आने वाली पीढ़ियों के स्वास्थ्य पर असर पड़ता है — भले ही उन्हें प्रत्यक्ष संपर्क न हुआ हो।