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भारत में कॉरपोरेट निवेश में मंदी (Slowdown in corporate investment in India) | Apni Pathshala

Slowdown in corporate investment in India

Slowdown in corporate investment in India

संदर्भ:

भारत की औद्योगिक उत्पादन वृद्धि दर घटकर सिर्फ 1.2% रह गई है, जो कि पिछले नौ महीनों का सबसे निचला स्तर है। यह गिरावट कॉरपोरेट निवेश की सुस्ती और औद्योगिक गतिविधियों में मंदी को लेकर चिंता बढ़ा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह संकेत भारत की आर्थिक पुनरुद्धार गति में संभावित रुकावट का प्रतीक हो सकता है।

(Slowdown in corporate investment in India) भारत में कॉरपोरेट निवेश में मंदी के प्रमुख कारण
  1. कमजोर उपभोक्ता मांग:
  • मांग की कमी के कारण कंपनियां नए निवेश से बच रही हैं, भले ही मुनाफा और कर राहत मिली हो।
  • 2019 में कॉरपोरेट टैक्स कटौती (30% से 22%) के बावजूद FY20–FY23 में निजी निवेश में केवल 35% वृद्धि (मशीनरी और बौद्धिक संपदा में), जैसा कि आर्थिक सर्वेक्षण 2024–25 में उल्लेख किया गया।
  1. अधिशेष औद्योगिक क्षमता:
  • COVID के बाद कई फैक्ट्रियाँ पूरी क्षमता से नहीं चल रही हैं।
  • कम उत्पादन उपयोग दर के कारण कंपनियाँ नई उत्पादन इकाइयों में निवेश करने से बच रही हैं।
  • ब्याज दरें कम होने और तरलता अधिक होने के बावजूद मांग की अनिश्चितता निवेश को हतोत्साहित करती है।
  1. मुनाफानिवेश संबंध की गलतफहमी:
  • सामान्य धारणा: “मुनाफा बढ़ेगा तो निवेश बढ़ेगा।”
  • मिखाइल कालेकी के अनुसार: “निवेश मुनाफे को तय करता है, न कि मुनाफा निवेश को।”
  • जब तक मांग में पुनरुद्धार नहीं होगा, तब तक कंपनियां मुनाफे के बावजूद निवेश नहीं करेंगी क्योंकि रिटर्न की अनिश्चितता बनी रहती है।
  1. वैश्विक व्यापार में प्रतिकूल परिस्थितियां: वैश्विक स्तर पर संरक्षणवादी नीतियों, जिनमें अमेरिका जैसे प्रमुख बाजारों में टैरिफ व्यवस्थाएं शामिल हैं, ने निर्यात-आधारित निवेश अवसरों को कमजोर कर दिया है।

भारत में निवेश बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए प्रमुख कदम

उद्योग और नवाचार को बढ़ावा देने के उपाय

  • Make in India: घरेलू निर्माण और विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए।
  • Startup India: नवाचार, उद्यमिता और स्टार्टअप इकोसिस्टम को मजबूत करने हेतु।

बुनियादी ढांचा और लॉजिस्टिक्स सुधार

  • PM GatiShakti Yojana:
  • National Industrial Corridor Programme (NICDP)

उत्पादन और निर्यात बढ़ाने के उपाय: PLI Schemes (उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजनाएं): विशिष्ट क्षेत्रों में घरेलू उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए।

व्यापार सुविधा और नियामक सुधार

  • Ease of Doing Business (EoDB) Reforms: लाइसेंस, निरीक्षण, और अनुपालन प्रक्रियाओं को सरल बनाना।
  • National Single Window System (NSWS): सभी मंजूरी और निवेश सुविधा को एक ही डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाना।
  • India Industrial Land Bank (IILB): निवेशकों के लिए देशभर में औद्योगिक भूमि की जानकारी देना।

प्रोजेक्ट कार्यान्वयन और निगरानी

  • Project Monitoring Group: अटके हुए बड़े निवेश परियोजनाओं को मंजूरी दिलाने के लिए।
  • Project Development Cells (PDCs): सभी मंत्रालयों में निवेश प्रस्तावों की सुविधा और समर्थन हेतु समर्पित सेल।

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को प्रोत्साहन

  • 90% से अधिक FDI स्वचालित मार्ग के अंतर्गत आता है – कोई पूर्व सरकारी मंजूरी नहीं चाहिए।
  • अधिकांश क्षेत्र 100% FDI के लिए खुले हैं, केवल कुछ रणनीतिक क्षेत्रों को छोड़कर।

आगे की राह (Way Forward):

  • मांग को बढ़ावा देना:सरकार को गरीब और मध्यम वर्ग के लिए लक्षित कल्याण योजनाओं और रोजगार गारंटी के माध्यम से आय सहायता पर ध्यान देना चाहिए, जिससे खपत बढ़ेगी और निजी निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा।
  • पूंजीगत व्यय का प्रभाव बढ़ाना: सार्वजनिक निवेश को श्रम-प्रधान, स्थानीय संसाधनों पर आधारित और आयात पर निर्भरता घटाने वाला होना चाहिए ताकि घरेलू मांग बढ़े और निजी क्षेत्र के निवेश को बल मिले।

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